Re-infarction – दोबारा हार्ट अटैक का खतरा और इससे बचाव के उपाय

Re-infarction का मतलब होता है एक बार हार्ट अटैक (Myocardial Infarction) होने के बाद फिर से दिल का अटैक आना। यह स्थिति गंभीर होती है क्योंकि दिल पहले ही कमजोर हो चुका होता है और पुनः रक्त प्रवाह में बाधा पड़ती है। Re-infarction दिल की कोशिकाओं को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।


Re-infarction क्या होता है?

जब किसी व्यक्ति को पहला हार्ट अटैक होता है, तो दिल की मांसपेशी के कुछ हिस्से को रक्त नहीं मिल पाता। Re-infarction में पहले अटैक के बाद फिर से वही प्रक्रिया होती है, यानी दिल के किसी हिस्से में रक्त की कमी से नया अटैक होता है। यह आमतौर पर पहले अटैक के कुछ दिनों या महीनों के भीतर हो सकता है।


Re-infarction के कारण (Causes)

Re-infarction के मुख्य कारण हैं:

  • पहले हार्ट अटैक के बाद सही इलाज न होना
  • ब्लॉकेज का फिर से होना (Artery में रुकावट)
  • रक्त के थक्के (Blood Clots) बनना
  • कोरोनरी आर्टरी की बीमारी का बढ़ना
  • उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल
  • धूम्रपान और शराब का सेवन
  • डायबिटीज
  • तनाव और अनियमित जीवनशैली
  • दवाइयों का समय पर न लेना या छोड़ देना

Re-infarction के लक्षण (Symptoms)

Re-infarction के लक्षण आमतौर पर पहले हार्ट अटैक के समान होते हैं:

  • छाती में तेज या दबाव जैसा दर्द
  • सांस लेने में कठिनाई
  • ठंडा पसीना आना
  • जी मचलाना या उल्टी महसूस होना
  • थकान और कमजोरी
  • दिल की धड़कन तेज या अनियमित होना
  • अचानक कमजोरी या बेहोशी

Re-infarction को कैसे पहचानें? (Diagnosis)

Re-infarction की पहचान के लिए डॉक्टर निम्न जांच कर सकते हैं:

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG)
  • ब्लड टेस्ट (Cardiac enzymes जैसे Troponin)
  • इकोकार्डियोग्राफी (Echo)
  • कोरोनरी एंजियोग्राफी
  • Chest X-ray

Re-infarction का इलाज (Treatment)

Re-infarction का इलाज जितना जल्दी हो सके शुरू करना जरूरी है:

  1. दवाइयां:

    • रक्त पतला करने वाली दवाएं (Antiplatelets जैसे Aspirin)
    • रक्तचाप नियंत्रक दवाएं
    • कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं (Statins)
    • दर्द और सूजन कम करने वाली दवाएं
    • एंजाइना के लिए दवाएं
  2. इंटरवेंशनल ट्रीटमेंट:

    • एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग
    • कोरोनरी बाईपास सर्जरी (CABG)
  3. जीवनशैली में बदलाव:

    • धूम्रपान छोड़ना
    • संतुलित आहार
    • नियमित व्यायाम
    • तनाव नियंत्रण

Re-infarction को कैसे रोके (Prevention)

  • हार्ट अटैक के बाद नियमित डॉक्टर चेकअप कराएं
  • दवाइयां सही समय पर लें
  • संतुलित और हेल्दी डाइट लें
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें
  • वजन नियंत्रण रखें
  • तनाव कम करें
  • नियमित व्यायाम करें

Re-infarction के घरेलू उपाय (Home Remedies)

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मछली, अलसी आदि खाएं
  • तुलसी की चाय और हरी सब्जियां सेवन करें
  • नींबू पानी और गुड़ का सेवन फायदेमंद होता है
  • रोजाना हल्का व्यायाम या वॉक करें
  • तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें

सावधानियाँ (Precautions)

  • डॉक्टर की सलाह के बिना दवा बंद न करें
  • अचानक छाती में दर्द या सांस लेने में समस्या हो तो तुरंत अस्पताल जाएं
  • नियमित जांच करवाएं और हार्ट हेल्थ पर ध्यान दें
  • शराब और तंबाकू से पूरी तरह बचें
  • अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाएं

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

प्र.1: Re-infarction कितनी बार हो सकता है?
उत्तर: Re-infarction कई बार हो सकता है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली से इसे कम किया जा सकता है।

प्र.2: हार्ट अटैक के बाद कितनी जल्दी Re-infarction हो सकता है?
उत्तर: यह कुछ दिनों से लेकर महीनों तक किसी भी समय हो सकता है।

प्र.3: क्या Re-infarction का इलाज संभव है?
उत्तर: हाँ, अगर समय पर इलाज शुरू किया जाए तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

प्र.4: क्या Re-infarction में दर्द हमेशा छाती में ही होता है?
उत्तर: आमतौर पर हाँ, लेकिन कभी-कभी दर्द कंधा, पीठ या जबड़े तक भी महसूस हो सकता है।

प्र.5: क्या हार्ट अटैक के बाद पूरी जिंदगी दवा लेनी पड़ती है?
उत्तर: हां, डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयां नियमित लेना जरूरी होता है।


निष्कर्ष

Re-infarction एक गंभीर स्थिति है, लेकिन सही समय पर पहचान और इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। हार्ट अटैक के बाद अपनी सेहत का खास ध्यान रखें, दवाइयों का नियमित सेवन करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं ताकि दोबारा अटैक का खतरा कम हो।



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