Dengue Hemorrhagic Fever की पूरी जानकारी: कारण, लक्षण, इलाज और बचाव

डेंगू हैमरेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic Fever - DHF) डेंगू वायरस से होने वाला एक गंभीर संक्रमण है, जो डेंगू बुखार से अधिक खतरनाक होता है। यह बीमारी मच्छरों की एक विशेष प्रजाति Aedes aegypti के काटने से फैलती है। इस स्थिति में शरीर में खून का बहाव (bleeding), प्लाज्मा लीकेज और प्लेटलेट्स की भारी गिरावट देखी जाती है, जिससे जान का खतरा भी हो सकता है।

डेंगू हैमरेजिक फीवर क्या होता है ? (What is Dengue Hemorrhagic Fever?)

डेंगू वायरस की दूसरी बार संक्रमण होने पर यह गंभीर रूप ले सकता है, जिसे डेंगू हैमरेजिक फीवर कहा जाता है। इसमें रक्त से संबंधित कई समस्याएं होती हैं, जैसे रक्तस्राव, लीवर डैमेज और शरीर में तरल पदार्थ का रिसाव।

डेंगू हैमरेजिक फीवर के कारण (Causes of Dengue Hemorrhagic Fever):

  1. डेंगू वायरस (Dengue virus – DENV) के चार प्रकारों में से किसी एक से दूसरी बार संक्रमण।
  2. मच्छर के काटने के बाद वायरस का शरीर में प्रवेश।
  3. कमजोर इम्यून सिस्टम।
  4. पिछली बार संक्रमित होने के बाद एंटीबॉडी का प्रतिक्रिया देना।

डेंगू हैमरेजिक फीवर के लक्षण (Symptoms of Dengue Hemorrhagic Fever):

  1. तेज बुखार (High fever)
  2. सिरदर्द और आंखों के पीछे दर्द (Headache and pain behind the eyes)
  3. मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द (Severe muscle and joint pain)
  4. शरीर पर चकत्ते (Skin rashes)
  5. नाक, मसूड़ों या अन्य भागों से खून आना (Bleeding from nose, gums, or under the skin)
  6. उल्टी या उल्टी में खून (Vomiting or blood in vomit)
  7. पेट में तेज दर्द (Severe abdominal pain)
  8. प्लेटलेट्स की संख्या में कमी (Low platelet count)
  9. शरीर में नीला या बैंगनी निशान (Bruising easily)

 डेंगू हैमरेजिक फीवर का निदान (Diagnosis of Dengue Hemorrhagic Fever):

  1. ब्लड टेस्ट (Blood test) – प्लेटलेट काउंट, हीमैटोक्रिट स्तर आदि की जांच।
  2. NS1 Antigen Test – वायरस की उपस्थिति पता करने के लिए।
  3. RT-PCR Test – वायरस की पहचान के लिए।
  4. ELISA टेस्ट – डेंगू के एंटीबॉडीज की पहचान के लिए।

डेंगू हैमरेजिक फीवर का इलाज (Treatment of Dengue Hemorrhagic Fever):

डेंगू हैमरेजिक फीवर का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों का इलाज करके रोगी को बचाया जा सकता है:

  1. अस्पताल में भर्ती और निगरानी।
  2. तरल पदार्थ की उचित आपूर्ति (IV fluids)।
  3. ब्लड और प्लेटलेट्स की आवश्यकता अनुसार चढ़ाना।
  4. पेरासिटामोल द्वारा बुखार और दर्द का इलाज (एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन नहीं देना चाहिए)।

इसे कैसे रोके (Prevention of Dengue Hemorrhagic Fever):

  1. मच्छरों से बचाव करें – मच्छरदानी, मच्छर भगाने वाली क्रीम का उपयोग।
  2. घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
  3. पूरी बांह के कपड़े पहनें।
  4. डेंगू के समय मच्छर काटने से बचना (ताकि दूसरों में संक्रमण न फैले)।

डेंगू हैमरेजिक फीवर के घरेलू उपाय (Home Remedies):

  1. नारियल पानी, नींबू पानी, और इलेक्ट्रोलाइट्स से हाइड्रेशन बनाए रखें।
  2. पपीते के पत्तों का रस (Papaya leaf juice) – प्लेटलेट बढ़ाने के लिए।
  3. गिलोय का सेवन – इम्यून सिस्टम मजबूत करने हेतु।
  4. ताजा फल और हल्का भोजन लें।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. प्लेटलेट्स कम होने पर Aspirin या NSAIDs का सेवन न करें।
  2. डिहाइड्रेशन से बचें।
  3. लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  4. नियमित रूप से ब्लड काउंट जांचते रहें।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न 1: क्या डेंगू हैमरेजिक फीवर जानलेवा होता है?
उत्तर: हां, यदि समय पर इलाज न मिले तो यह जानलेवा हो सकता है।

प्रश्न 2: क्या डेंगू हैमरेजिक फीवर से उबरने के बाद फिर से हो सकता है?
उत्तर: हां, डेंगू वायरस के चार प्रकार होते हैं, और हर बार अलग प्रकार से संक्रमण हो सकता है।

प्रश्न 3: प्लेटलेट्स कितने नीचे गिरने पर खतरा होता है?
उत्तर: 20,000 से नीचे आने पर खतरा अधिक बढ़ जाता है और तत्काल चिकित्सा की जरूरत होती है।

प्रश्न 4: क्या डेंगू हैमरेजिक फीवर में ब्लड ट्रांसफ्यूजन जरूरी होता है?
उत्तर: प्लेटलेट्स की अत्यधिक कमी या आंतरिक रक्तस्राव की स्थिति में ट्रांसफ्यूजन जरूरी हो सकता है।

कैसे पहचाने (How to Identify):

यदि डेंगू के सामान्य लक्षणों के साथ-साथ ब्लीडिंग, पेट दर्द, उल्टी या प्लेटलेट्स में गिरावट हो तो यह डेंगू हैमरेजिक फीवर हो सकता है। तुरंत जांच और अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है।

निष्कर्ष (Conclusion):

डेंगू हैमरेजिक फीवर एक गंभीर बीमारी है लेकिन समय पर पहचान और इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। मच्छरों से बचाव, समय पर जांच और सही चिकित्सा से जान बचाई जा सकती है। सावधानी और जागरूकता ही सबसे बड़ा उपाय है।


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