डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (Dissociative Identity Disorder - DID) को पहले मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Multiple Personality Disorder) कहा जाता था। यह एक गंभीर मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति की पहचान (identity) दो या अधिक अलग-अलग व्यक्तित्वों में बंट जाती है। यह स्थिति आमतौर पर लंबे समय तक मानसिक आघात (psychological trauma), खासकर बचपन में शारीरिक या यौन शोषण के कारण विकसित होती है।
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या होता है (What is DID)
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर में व्यक्ति के अंदर दो या अधिक स्पष्ट और अलग-अलग व्यक्तित्व (Identities) विकसित हो जाते हैं, जो बारी-बारी से व्यवहार, स्मृति और सोचने के तरीके को नियंत्रित करते हैं। व्यक्ति को अपनी पहचान, यादें और घटनाओं का लगातार अनुभव नहीं रहता।
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कारण (Causes of Dissociative Identity Disorder)
- बचपन में गंभीर मानसिक, भावनात्मक या यौन शोषण
- दीर्घकालिक उपेक्षा या पारिवारिक हिंसा
- युद्ध या प्राकृतिक आपदा जैसी अत्यधिक तनावपूर्ण घटनाएं
- आत्म-संरक्षण के लिए मस्तिष्क द्वारा विकसित की गई रक्षा प्रणाली
- ट्रॉमा के समय मानसिक अलगाव (Dissociation) की आदत
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of Dissociative Identity Disorder)
- दो या अधिक अलग व्यक्तित्वों का अनुभव होना
- स्मृति खो जाना (Memory gaps), जैसे महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारी भूल जाना
- अपनी पहचान को लेकर भ्रम
- आत्म-नुकसान करने वाली प्रवृत्तियाँ या आत्महत्या के विचार
- अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety)
- किसी दूसरे व्यक्ति की तरह बोलना या व्यवहार करना
- अचानक व्यवहार में परिवर्तन
- सिरदर्द और नींद की समस्या
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कैसे पहचाने (Diagnosis of Dissociative Identity Disorder)
- साइकोलॉजिकल मूल्यांकन (Psychological Evaluation)
- DSM-5 के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल द्वारा निदान
- रोगी के बचपन और मानसिक स्थिति का पूरा इतिहास
- MRI या EEG जैसे न्यूरोलॉजिकल टेस्ट, अन्य मानसिक बीमारियों से भेद करने के लिए
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर इलाज (Treatment of Dissociative Identity Disorder)
- साइकोथेरेपी (Psychotherapy): टॉक थैरेपी, ट्रॉमा-फोकस्ड थैरेपी
- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT)
- हाइपोथेरेपी (Hypnotherapy)
- मेडिकेशन: एंटीडिप्रेसेंट्स या एंटी-एंग्जायटी ड्रग्स (मूल समस्या नहीं, सहायक लक्षणों के लिए)
- ग्रुप थेरेपी और फैमिली थेरेपी
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कैसे रोके (Prevention)
- बचपन में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
- ट्रॉमा के बाद मनोवैज्ञानिक मदद लेना
- समाज और स्कूल स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा
- जागरूकता बढ़ाना और समय पर चिकित्सा सहायता लेना
घरेलू उपाय (Home Remedies)
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का इलाज केवल विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए, लेकिन इन घरेलू उपायों से सपोर्ट मिल सकता है:
- ध्यान और मेडिटेशन
- अच्छी नींद और संतुलित आहार
- तनाव कम करने वाले अभ्यास जैसे योग
- आत्म-अभिव्यक्ति के लिए लेखन या कला
- सोशल सपोर्ट सिस्टम का विकास
सावधानियाँ (Precautions)
- रोगी को अकेले छोड़ने से बचें
- आत्म-नुकसान या आत्महत्या के संकेतों पर तुरंत ध्यान दें
- पेशेवर चिकित्सा सलाह के बिना दवा न लें
- ट्रॉमा को नजरअंदाज न करें
- नियमित साइकोथेरेपी जारी रखें
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: क्या डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का इलाज संभव है?
हाँ, लंबे समय तक चलने वाले थैरेपी से रोगी की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।
Q2: क्या यह कोई मानसिक कमजोरी है?
नहीं, यह ट्रॉमा के कारण उत्पन्न एक मानसिक स्थिति है, कमजोरी नहीं।
Q3: क्या रोगी को यह खुद पता होता है कि उसे DID है?
अक्सर नहीं। रोगी को अपने अलग-अलग व्यक्तित्वों की जानकारी नहीं होती।
Q4: क्या यह बीमारी आम है?
यह दुर्लभ है, लेकिन जिन लोगों को गंभीर बचपन का ट्रॉमा हुआ हो, उनमें यह देखने को मिलती है।
Q5: क्या यह रोग जीवनभर रहता है?
समुचित इलाज से व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है, लेकिन यह दीर्घकालिक चिकित्सा प्रक्रिया है।
निष्कर्ष (Conclusion)
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (DID) एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य मानसिक विकार है जो अधिकतर बचपन के गहरे ट्रॉमा से जुड़ा होता है। समय पर पहचान, सही मनोचिकित्सकीय सहायता और लगातार थैरेपी से रोगी सामान्य जीवन की ओर लौट सकता है। समाज को चाहिए कि वह मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से ले और ऐसे रोगियों को सहानुभूति के साथ समझे और सहयोग करे।