एपिस्क्लेराइटिस (Episcleritis) आंख से जुड़ी एक सामान्य सूजन संबंधी समस्या है, जिसमें आंख के सफेद हिस्से (Sclera) और उस पर स्थित पतली परत (Episclera) में सूजन हो जाती है। यह स्थिति ज्यादातर हल्की होती है और स्वयं ठीक भी हो सकती है, लेकिन कई बार यह परेशानी बार-बार हो सकती है। यह आंखों में लालिमा, हल्का दर्द और असहजता का कारण बनती है।
एपिस्क्लेराइटिस क्या होता है? (What is Episcleritis?)
एपिस्क्लेराइटिस आंख की सतह की एक सूजन संबंधी बीमारी है। यह मुख्य रूप से एपिस्क्लेरा नामक परत को प्रभावित करती है, जो स्क्लेरा (आंख का सफेद हिस्सा) और कंजंक्टिवा (Conjunctiva) के बीच होती है। यह अक्सर एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है।
एपिस्क्लेराइटिस के कारण (Causes of Episcleritis)
एपिस्क्लेराइटिस का सटीक कारण हमेशा स्पष्ट नहीं होता, लेकिन कुछ कारण इसमें योगदान कर सकते हैं:
- ऑटोइम्यून बीमारियाँ (Autoimmune diseases) – जैसे रुमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis), ल्यूपस (Lupus), क्रोहन डिजीज (Crohn’s disease)
- संक्रमण (Infections) – वायरल, बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन
- एलर्जिक रिएक्शन (Allergic reactions)
- आंख में चोट या बाहरी उत्तेजना (Eye trauma or irritation)
- अन्य कारण – तनाव, हार्मोनल बदलाव, कुछ दवाइयाँ
एपिस्क्लेराइटिस के लक्षण (Symptoms of Episcleritis)
- आंखों में हल्की लालिमा (Redness in eyes)
- हल्का दर्द या जलन (Mild pain or burning sensation)
- आंखों में सूजन (Swelling in the eye surface)
- पानी आना (Watery eyes)
- रोशनी से संवेदनशीलता (Light sensitivity / Photophobia)
- कभी-कभी धुंधला दिखना (Blurred vision)
एपिस्क्लेराइटिस की पहचान कैसे करें? (How to Diagnose Episcleritis?)
- डॉक्टर द्वारा स्लिट लैम्प एग्ज़ामिनेशन (Slit-lamp examination)
- मरीज का मेडिकल हिस्ट्री (Medical history)
- अगर बार-बार हो रहा है तो ऑटोइम्यून टेस्ट (Autoimmune tests)
एपिस्क्लेराइटिस का इलाज (Treatment of Episcleritis)
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हल्के मामलों में (Mild cases):
- किसी खास इलाज की जरूरत नहीं, यह 1-2 हफ्तों में अपने आप ठीक हो सकता है।
- आर्टिफिशियल टीयर्स (Artificial tears) का इस्तेमाल।
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मध्यम से गंभीर मामलों में (Moderate to severe cases):
- एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसे Ibuprofen
- स्टेरॉयड आई ड्रॉप्स (Steroid eye drops) डॉक्टर की सलाह से
- इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयाँ यदि यह ऑटोइम्यून डिजीज से जुड़ा है।
एपिस्क्लेराइटिस को कैसे रोके? (Prevention of Episcleritis)
- आंखों को धूल, धुएं और केमिकल्स से बचाकर रखें।
- ऑटोइम्यून बीमारियों का सही समय पर इलाज कराएं।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और तनाव कम करें।
- बार-बार आंखों को रगड़ने से बचें।
एपिस्क्लेराइटिस के घरेलू उपाय (Home Remedies for Episcleritis)
- आंखों पर ठंडी सिकाई (Cold compress) करें।
- आराम के लिए आर्टिफिशियल टीयर्स (Lubricating eye drops) डालें।
- पर्याप्त नींद लें और आंखों को आराम दें।
- कंप्यूटर या मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने से बचें।
एपिस्क्लेराइटिस में सावधानियाँ (Precautions in Episcleritis)
- डॉक्टर की सलाह के बिना स्टेरॉयड ड्रॉप्स का उपयोग न करें।
- आंखों को जोर से रगड़ें नहीं।
- कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग संक्रमण के दौरान न करें।
- बार-बार समस्या होने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या एपिस्क्लेराइटिस खतरनाक है?
एपिस्क्लेराइटिस सामान्य रूप से खतरनाक नहीं है और ज्यादातर अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन बार-बार होने पर यह किसी ऑटोइम्यून बीमारी का संकेत हो सकता है।
Q2. क्या एपिस्क्लेराइटिस से आंख की रोशनी चली जाती है?
नहीं, एपिस्क्लेराइटिस से स्थायी दृष्टि हानि नहीं होती।
Q3. एपिस्क्लेराइटिस और स्क्लेराइटिस में क्या अंतर है?
एपिस्क्लेराइटिस हल्की सूजन होती है और अपने आप ठीक हो सकती है, जबकि स्क्लेराइटिस गंभीर होती है और गहरी सूजन व तीव्र दर्द के साथ होती है।
Q4. क्या यह बार-बार हो सकता है?
हाँ, विशेषकर अगर मरीज को कोई ऑटोइम्यून रोग है।
निष्कर्ष (Conclusion)
एपिस्क्लेराइटिस (Episcleritis) आंखों की एक सामान्य सूजन है, जो हल्की परेशानी देती है और आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन अगर यह बार-बार हो या दर्द अधिक हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। समय पर पहचान और उचित देखभाल से इस समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
