Ergotism (एरगॉटिज़्म) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है जो Claviceps purpurea नामक कवक (fungus) से दूषित अनाज, विशेष रूप से राई (rye) और अन्य अनाज खाने से होती है। इस विषैले कवक में Ergot alkaloids नामक रसायन पाए जाते हैं, जो तंत्रिका तंत्र (nervous system) और रक्त प्रवाह (blood circulation) पर असर डालते हैं। इतिहास में इसे “St. Anthony’s Fire” भी कहा जाता था, क्योंकि यह जलन और तेज दर्द का कारण बनता था।
Ergotism क्या होता है (What is Ergotism)
जब मनुष्य या पशु ऐसे अनाज खाते हैं जो एरगॉट (ergot fungus) से संक्रमित होते हैं, तो शरीर में जहरीले alkaloids प्रवेश कर जाते हैं। ये विषाक्त तत्व
- रक्त वाहिकाओं को संकुचित करते हैं,
- रक्त प्रवाह को रोकते हैं,
- और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं।
इससे कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं जैसे हाथ-पाँव में जलन, दर्द, सुन्नपन और मानसिक भ्रम।
Ergotism कारण (Causes of Ergotism)
- संक्रमित अनाज का सेवन – खासकर राई (rye), गेहूँ (wheat), जौ (barley) और बाजरा (millet)।
- एरगॉट अल्कलॉइड्स (Ergot alkaloids) – जैसे ergotamine और ergometrine, जो विषाक्त होते हैं।
- गंदे भंडारण (poor storage) – नमी और असुरक्षित जगह पर रखे गए अनाज।
- जानवरों के चारे में दूषित अनाज – जिससे पशुओं में भी संक्रमण होता है और अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्यों में पहुँच सकता है।
Ergotism के लक्षण (Symptoms of Ergotism)
Ergotism के लक्षण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
1. Convulsive Ergotism (तंत्रिका तंत्र पर असर)
- मांसपेशियों में ऐंठन (muscle spasms)
- हाथ-पैर हिलने पर नियंत्रण न होना (tremors)
- मानसिक भ्रम (confusion)
- दौरे (seizures)
- उल्टी और दस्त (vomiting and diarrhea)
2. Gangrenous Ergotism (रक्त प्रवाह रुकने पर असर)
- हाथ-पाँव में जलन (burning sensation)
- त्वचा का काला पड़ना (skin blackening)
- सुन्नपन और झुनझुनी (numbness and tingling)
- उंगलियों या पैरों का सड़ना (gangrene)
- तीव्र दर्द और अंगों का खोना (loss of limbs due to tissue death)
Ergotism इलाज (Treatment of Ergotism)
- संक्रमित भोजन बंद करना – तुरंत दूषित अनाज का सेवन रोकें।
- दवाइयाँ –
- Vasodilators (रक्त वाहिकाएँ फैलाने वाली दवाइयाँ)
- Sedatives (दौरे रोकने के लिए)
- Painkillers (दर्द कम करने के लिए)
- Fluid therapy – शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करना।
- सर्जरी – अगर gangrene गंभीर हो तो प्रभावित अंग को काटना पड़ सकता है।
- Intensive care – गंभीर मामलों में ICU में भर्ती करना।
Ergotism कैसे रोके (Prevention of Ergotism)
- अनाज को सुखाकर और साफ जगह पर रखें।
- दूषित और काले रंग के दानों को अलग करें।
- आधुनिक मशीनों से अनाज की छँटाई करवाएँ।
- सरकार द्वारा तय गुणवत्ता मानकों का पालन करें।
- पशुओं के चारे में सुरक्षित दानों का ही प्रयोग करें।
घरेलू उपाय (Home Remedies for Ergotism)
(नोट: ये केवल सहायक उपाय हैं, इलाज का विकल्प नहीं)
- दूषित भोजन तुरंत बंद करें।
- अधिक पानी पीएँ ताकि विषाक्त तत्व जल्दी बाहर निकल सकें।
- हल्का और पचने योग्य भोजन करें।
- नींबू पानी और नारियल पानी लें ताकि शरीर हाइड्रेट रहे।
- आराम करें और शरीर को गर्म रखें।
सावधानियाँ (Precautions for Ergotism)
- हमेशा अनाज खरीदते समय उसकी गुणवत्ता जाँचें।
- गीले या फफूंदी लगे अनाज का सेवन न करें।
- किसानों को भंडारण के दौरान नमी से बचाव करना चाहिए।
- गाँव या कस्बों में दूषित अनाज की पहचान और रोकथाम के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
Ergotism कैसे पहचाने (How to Identify Ergotism)
- अचानक अंगों में जलन और सुन्नपन महसूस होना।
- अनाज खाने के बाद ऐंठन और दौरे आना।
- हाथ-पाँव का रंग बदलकर काला होना।
- कई लोगों में एक साथ ऐसे लक्षण दिखाई देना (खासकर गाँवों में जहाँ सभी ने एक ही अनाज खाया हो)।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1: Ergotism सबसे ज्यादा किस अनाज में होता है?
उत्तर: यह मुख्य रूप से राई (rye) में होता है, लेकिन गेहूँ, जौ और अन्य अनाजों में भी मिल सकता है।
प्रश्न 2: क्या Ergotism संक्रामक (infectious) है?
उत्तर: नहीं, यह संक्रामक बीमारी नहीं है। यह केवल दूषित अनाज खाने से होता है।
प्रश्न 3: क्या इसका इलाज घर पर संभव है?
उत्तर: प्रारंभिक लक्षणों में दूषित भोजन बंद करके और शरीर को हाइड्रेट रखकर सुधार हो सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में तुरंत अस्पताल जाना जरूरी है।
प्रश्न 4: क्या आज भी Ergotism होता है?
उत्तर: आधुनिक कृषि और अनाज भंडारण तकनीक के कारण यह बहुत दुर्लभ है, लेकिन गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी खतरा हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Ergotism (एरगॉटिज़्म) एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने वाली बीमारी है। यह दूषित अनाज खाने से होती है और तंत्रिका तंत्र व रक्त प्रवाह को बुरी तरह प्रभावित करती है। समय पर पहचान, दूषित अनाज से बचाव और सही इलाज से इससे बचाव संभव है। जागरूकता और सावधानी ही इसका सबसे बड़ा उपचार है।
