Khushveer Choudhary

Insulin Autoimmune Syndrome क्या है? कारण, लक्षण और इलाज की पूरी जानकारी

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम (IAS) एक दुर्लभ (Rare) ऑटोइम्यून विकार है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) खुद ही इंसुलिन नामक हार्मोन के खिलाफ एंटीबॉडी (Antibodies) बनाती है।

इन एंटीबॉडी के कारण इंसुलिन का स्तर अचानक बढ़ या घट सकता है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) यानी रक्त में शुगर का स्तर बहुत कम होना शुरू हो जाता है।
इस बीमारी को Hirata Disease भी कहा जाता है, क्योंकि इसे सबसे पहले जापानी वैज्ञानिक हिराता ने 1970 में पहचाना था।

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम क्या होता है  (What is Insulin Autoimmune Syndrome)?

जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के अपने इंसुलिन को एक “अजनबी पदार्थ” समझ लेती है, तो वह उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है।
ये एंटीबॉडी इंसुलिन से जुड़ जाती हैं, जिससे इंसुलिन की मात्रा अस्थिर हो जाती है —
कभी बहुत अधिक, तो कभी बहुत कम।
इसी कारण मरीज को बार-बार हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या होती है, भले ही वह डायबिटीज का मरीज न हो।

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम के कारण (Causes of Insulin Autoimmune Syndrome)

इस सिंड्रोम के मुख्य कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन कई कारक इसके विकास में भूमिका निभाते हैं —

  1. ऑटोइम्यून विकार (Autoimmune Disorders):
    जैसे रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis), लुपस (Lupus) आदि।

  2. दवाओं का प्रभाव (Drug Induced Causes):
    कुछ दवाएं जैसे Methimazole, Carbimazole, Alpha-lipoic acid, Captopril, और Penicillamine इस बीमारी को ट्रिगर कर सकती हैं।

  3. अनुवांशिक कारण (Genetic Factors):
    कुछ लोगों में HLA (Human Leukocyte Antigen) genes की विशेष किस्में इस रोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाती हैं।

  4. प्रतिरक्षा असंतुलन (Immune Imbalance):
    जब शरीर की इम्यून प्रणाली गलती से अपने हार्मोन को दुश्मन समझ लेती है।

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Insulin Autoimmune Syndrome)

इस रोग के लक्षण मुख्य रूप से लो ब्लड शुगर (Hypoglycemia) से संबंधित होते हैं, जो शरीर पर तत्काल प्रभाव डालते हैं —

  1. अत्यधिक थकान (Extreme Fatigue)
  2. अचानक चक्कर आना (Dizziness)
  3. हृदय गति तेज होना (Rapid Heartbeat)
  4. हाथ-पैर कांपना (Tremors)
  5. पसीना आना (Sweating)
  6. भूख बढ़ना (Hunger)
  7. भ्रम या चिड़चिड़ापन (Confusion or Irritability)
  8. कभी-कभी बेहोशी या दौरे पड़ना (Loss of Consciousness or Seizures)

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम का निदान कैसे करें (Diagnosis of Insulin Autoimmune Syndrome)

निदान के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांचें करते हैं —

  1. फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट (Fasting Blood Sugar Test)
  2. इंसुलिन लेवल टेस्ट (Insulin Level Test)
  3. C-peptide Test
  4. इंसुलिन एंटीबॉडी टेस्ट (Insulin Autoantibody Test)
  5. HLA Typing Test — अनुवांशिक कारणों की पुष्टि के लिए

यदि व्यक्ति डायबिटिक नहीं है, लेकिन ब्लड शुगर बार-बार बहुत कम हो जाता है और इंसुलिन लेवल असामान्य रूप से ज्यादा है, तो डॉक्टर इस सिंड्रोम की संभावना मानते हैं।

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम का इलाज (Treatment of Insulin Autoimmune Syndrome)

इलाज का मुख्य उद्देश्य है — ब्लड शुगर को स्थिर रखना और एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करना।

  1. दवा बंद करना (Stop Triggering Drug):
    यदि यह दवा से हुआ है, तो संबंधित दवा को तुरंत रोक दिया जाता है।

  2. आहार में बदलाव (Dietary Management):

    1. बार-बार कम मात्रा में भोजन करें।
    1. हाई-प्रोटीन और लो-कार्बोहाइड्रेट डाइट लें।
    1. खाली पेट लंबे समय तक न रहें।
  3. दवाओं का उपयोग (Medications):

    1. Prednisolone या अन्य कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स एंटीबॉडी की क्रिया को कम करते हैं।
    1. गंभीर मामलों में इम्यूनोसप्रेसिव (Immunosuppressive) दवाएं दी जाती हैं।
  4. प्लास्मा एक्सचेंज (Plasma Exchange):
    यह प्रक्रिया रक्त से एंटीबॉडी को हटाने के लिए की जाती है, खासकर गंभीर मामलों में।

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम को कैसे रोके (Prevention of Insulin Autoimmune Syndrome)

  1. बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें।
  2. यदि परिवार में किसी को ऑटोइम्यून रोग है, तो अपने ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच करें।
  3. किसी भी दवा के दुष्प्रभाव को नजरअंदाज न करें।
  4. स्वस्थ और संतुलित आहार लें।

घरेलू उपाय (Home Remedies for Insulin Autoimmune Syndrome)

हालांकि यह रोग मेडिकल ट्रीटमेंट से ही नियंत्रित होता है, लेकिन कुछ घरेलू उपाय सहायक हो सकते हैं —

  1. फाइबर युक्त भोजन जैसे ओट्स, फल, सब्जियां ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
  2. प्रोटीन आधारित स्नैक्स दिन में कई बार लें ताकि ब्लड शुगर गिरने से बचा जा सके।
  3. तनाव कम करें, क्योंकि तनाव हार्मोनल असंतुलन बढ़ा सकता है।
  4. पर्याप्त नींद लें और शारीरिक गतिविधि बनाए रखें।

सावधानियाँ (Precautions)

  • हाइपोग्लाइसीमिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानें।
  • हमेशा अपने साथ कुछ मीठा (जैसे ग्लूकोज टैबलेट या मिठाई) रखें।
  • लंबे समय तक उपवास न करें।
  • डॉक्टर से नियमित जांच करवाते रहें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: क्या इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम डायबिटीज का एक प्रकार है?
उत्तर: नहीं, यह डायबिटीज नहीं है। बल्कि यह एक ऑटोइम्यून विकार है जिसमें शरीर अपने ही इंसुलिन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है।

प्रश्न 2: क्या यह रोग ठीक हो सकता है?
उत्तर: हाँ, यदि सही समय पर निदान और उपचार हो जाए तो अधिकांश मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

प्रश्न 3: क्या यह रोग बार-बार हो सकता है?
उत्तर: दुर्लभ मामलों में, लेकिन यदि ट्रिगरिंग दवा या कारण फिर से सामने आता है तो दोबारा हो सकता है।

प्रश्न 4: क्या यह आनुवंशिक (Genetic) है?
उत्तर: कुछ लोगों में HLA genes के कारण इसकी संभावना बढ़ जाती है, लेकिन यह हमेशा आनुवंशिक नहीं होता।

कैसे पहचानें (How to Identify Insulin Autoimmune Syndrome)

  • यदि व्यक्ति को डायबिटीज नहीं है, फिर भी बार-बार लो ब्लड शुगर की समस्या होती है,
  • ब्लड टेस्ट में इंसुलिन लेवल बहुत अधिक आता है,
  • और शरीर में इंसुलिन एंटीबॉडी मौजूद हैं —
    तो यह इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम हो सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इंसुलिन ऑटोइम्यून सिंड्रोम (Insulin Autoimmune Syndrome) एक दुर्लभ लेकिन इलाज योग्य ऑटोइम्यून विकार है।
इसका मुख्य कारण शरीर का अपने ही इंसुलिन के खिलाफ प्रतिक्रिया करना है।
यदि समय रहते निदान और उपचार किया जाए तो रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।
स्वस्थ खानपान, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।


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