जॉइंट लैक्सिटी (Joint Laxity), जिसे लिगामेंटस लैक्सिटी (Ligamentous Laxity) भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों (joints) के आसपास के लिगामेंट्स (ligaments) सामान्य से अधिक ढीले या लचीले हो जाते हैं।
इस कारण जोड़ अपनी सामान्य स्थिति से अधिक घूम सकते हैं या हिल सकते हैं। इसे आम भाषा में “ढीले जोड़ (Loose joints)” भी कहा जाता है।
जॉइंट लैक्सिटी क्या होता है (What is Joint Laxity)
जॉइंट लैक्सिटी एक मस्कुलोस्केलेटल (musculoskeletal) स्थिति है जिसमें लिगामेंट्स की मजबूती कम हो जाती है।
लिगामेंट्स हड्डियों को जोड़कर स्थिरता प्रदान करते हैं, लेकिन जब ये अधिक खिंच जाते हैं तो जोड़ अपनी सीमा से अधिक हिलने लगते हैं।
इसे “हाइपरमोबिलिटी (Hypermobility)” भी कहा जाता है।
जॉइंट लैक्सिटी के कारण (Causes of Joint Laxity)
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आनुवंशिक कारण (Genetic Causes):
कुछ लोगों में जन्म से ही लिगामेंट्स कमजोर या लचीले होते हैं। जैसे Ehlers-Danlos Syndrome या Marfan Syndrome जैसी बीमारियाँ। -
चोट या दुर्घटना (Injury or Trauma):
किसी जोड़ पर बार-बार चोट लगना या मोच आने से लिगामेंट्स खिंच सकते हैं। -
हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Changes):
महिलाओं में गर्भावस्था या हार्मोनल बदलाव के कारण लिगामेंट्स अस्थायी रूप से ढीले हो सकते हैं। -
मांसपेशियों की कमजोरी (Weak Muscles):
अगर आसपास की मांसपेशियाँ कमजोर हैं तो जोड़ पर ज़्यादा दबाव पड़ता है जिससे लिगामेंट्स ढीले हो जाते हैं। -
अधिक व्यायाम या गलत प्रशिक्षण (Over-exercise or Wrong Training):
अत्यधिक स्ट्रेचिंग या बिना उचित वार्मअप के व्यायाम करना भी एक कारण हो सकता है।
जॉइंट लैक्सिटी के लक्षण (Symptoms of Joint Laxity)
- जोड़ सामान्य से अधिक घूमना या मुड़ना
- बार-बार मोच या डिसलोकेशन (जोड़ निकल जाना)
- चलने या दौड़ने में अस्थिरता महसूस होना
- जोड़ में दर्द या खिंचाव
- थकान जल्दी होना
- मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन
- खेलते या व्यायाम करते समय जोड़ “क्लिक” या “पॉप” की आवाज़ करना
कैसे पहचानें जॉइंट लैक्सिटी (How to Identify Joint Laxity)
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Beighton Score Test:
डॉक्टर इस टेस्ट से जांचते हैं कि शरीर के कौन-कौन से जोड़ अधिक लचीले हैं।
यह 9-पॉइंट स्केल पर आधारित होता है।
अगर स्कोर 4 या उससे अधिक है तो व्यक्ति को हाइपरमोबिलिटी माना जाता है। -
शारीरिक परीक्षा (Physical Examination):
डॉक्टर जोड़ की गति, लिगामेंट की स्थिति और दर्द का मूल्यांकन करते हैं। -
MRI या X-Ray:
यदि चोट या स्ट्रक्चरल समस्या का संदेह हो तो इमेजिंग टेस्ट कराए जा सकते हैं।
जॉइंट लैक्सिटी का इलाज (Treatment of Joint Laxity)
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फिजियोथेरेपी (Physiotherapy):
यह सबसे प्रभावी उपचार है। इसमें विशेष व्यायाम दिए जाते हैं जो जोड़ को मजबूत और स्थिर बनाते हैं। -
मसल स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज (Muscle Strengthening Exercises):
खासकर कोर, हिप और घुटने के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने से जोड़ स्थिर होते हैं। -
ऑर्थोपेडिक सपोर्ट (Orthopedic Support):
ब्रेसेस, नी-सपोर्ट या टेपिंग का उपयोग जोड़ को सुरक्षित रखता है। -
दवाइयाँ (Medications):
दर्द या सूजन के लिए NSAIDs (Non-steroidal anti-inflammatory drugs) दी जा सकती हैं। -
सर्जरी (Surgery):
यदि लिगामेंट बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हो चुका है तो सर्जिकल रिपेयर की आवश्यकता हो सकती है (बहुत कम मामलों में)।
घरेलू उपाय (Home Remedies for Joint Laxity)
- गर्म सेक (Hot Compress):
जोड़ के दर्द या सूजन में गर्म पानी से सेक करें। - हल्दी और दूध (Turmeric and Milk):
हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन कम करते हैं। - अलसी के बीज (Flax Seeds):
ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर, जो जोड़ों की सूजन कम करता है। - प्रोटीन युक्त आहार (Protein-rich Diet):
मांसपेशियों की मजबूती के लिए प्रोटीन लेना जरूरी है। - योग और स्ट्रेचिंग (Yoga and Stretching):
हल्का योग या नियंत्रित स्ट्रेचिंग जोड़ की लचीलापन और स्थिरता दोनों बनाए रखती है।
कैसे रोके जॉइंट लैक्सिटी (Prevention of Joint Laxity)
- नियमित फिजिकल एक्सरसाइज करें।
- स्ट्रेचिंग सीमित और नियंत्रित मात्रा में करें।
- चोट लगने पर तुरंत इलाज करें।
- कैल्शियम, विटामिन D और प्रोटीन से भरपूर आहार लें।
- गलत मुद्रा (posture) से बचें।
सावधानियाँ (Precautions)
- बिना वार्मअप के व्यायाम न करें।
- जोड़ पर अत्यधिक दबाव डालने वाले खेलों से बचें।
- बार-बार मोच आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- सपोर्टिव फुटवियर का उपयोग करें।
- लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने से बचें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या जॉइंट लैक्सिटी खतरनाक है?
– ज़्यादातर मामलों में यह सामान्य होती है, लेकिन अगर बार-बार चोट या दर्द होता है तो डॉक्टर से जांच जरूरी है।
Q2. क्या इसका इलाज संभव है?
– हाँ, फिजियोथेरेपी और सही व्यायाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
Q3. क्या यह स्थायी समस्या है?
– अगर यह आनुवंशिक है तो पूरी तरह ठीक नहीं होती, लेकिन नियंत्रित की जा सकती है।
Q4. क्या बच्चे इससे प्रभावित हो सकते हैं?
– हाँ, बच्चों में यह अक्सर अधिक देखी जाती है क्योंकि उनके लिगामेंट स्वाभाविक रूप से लचीले होते हैं।
Q5. क्या योग फायदेमंद है?
– हाँ, नियंत्रित योग और मसल स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज जोड़ की स्थिरता बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
जॉइंट लैक्सिटी (Joint Laxity) कोई जानलेवा समस्या नहीं है, लेकिन यह शरीर की स्थिरता और जोड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
यदि समय रहते इसकी पहचान की जाए और सही फिजियोथेरेपी, आहार और व्यायाम अपनाए जाएँ, तो व्यक्ति पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकता है।
संतुलित व्यायाम, सही मुद्रा और स्वस्थ खानपान अपनाकर इसे नियंत्रित रखना पूरी तरह संभव है।