कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली (Kallikrein-Kinin System, KKS) एक जैव-रासायनिक प्रणाली है जो रक्तप्रवाह में मौजूद विशेष प्रोटीन और एंजाइम्स (कैल्लीक्रिन, प्रीकैल्लीक्रिन, किनिनोजेन आदि) के माध्यम से कार्य करती है।
यह प्रणाली निम्न कार्यों में शामिल होती है:
- रक्त वाहिकाओं (blood vessels) का वासोडायलेशन (vasodilation) — यानी वाहिकाओं का फैलना।
- रक्त वाहिकाओं की पारगम्यता (vascular permeability) बढ़ाना, जिससे तरल पदार्थ टिशू में जमा हो सकता है (oedema)।
- रक्तचाप (blood pressure) का नियंत्रण एवं गुर्दे-हृदय क्रियाओं पर प्रभाव।
जब इस प्रणाली में गड़बड़ी (dysregulation) या अनियंत्रित सक्रियता (unregulated activation) हो जाती है, तो इसे हमने यहाँ कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार कहा है।
कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार क्या होता है ? (What is Kallikrein-Kinin System Disorder?)
सामान्यतः जब KKS ठीक प्रकार से काम करती है, तो कैल्लीक्रिन एंजाइम प्रीकैल्लीक्रिन से सक्रिय होकर किनिनोजेन (kininogen) को किनिन (जैसे ब्रैडीकिनिन) में बदलता है, जो फिर B₂ और B₁ किनिन रिसेप्टर्स पर कार्य कर वाहिकाओं को फैलने तथा परगम्यता बढ़ने का संकेत देता है।
यदि इस नियंत्रण में कमी हो जाए — जैसे कि C1-इनहिबिटर (C1-INH) की कमी हो जाना, या फैक्टर XII / प्रीकैल्लीक्रिन का अधिक सक्रिय होना — तो ब्रैडीकिनिन अत्यधिक बन जाती है, जिससे एंगियो एडेमा (angioedema), सूजन, रक्तचाप में कमी, या अन्य जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार कारण (Causes of Kallikrein-Kinin System Disorder)
यह विकार विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिनमें प्रमुख हैं:
- जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic Mutations): उदाहरण के लिए Hereditary Angioedema (HAE) में C1-INH की कमी या दोष होता है, जिसके कारण KKS अनियंत्रित हो जाती है।
- C1-इनहिबिटर की कमी या दोष (C1-INH Deficiency/Dysfunction): यह क्लासिकल कंप्लीमेंट पाथवे सहित KKS को नियंत्रित करती है।
- कैल्लीक्रिन या किनिनोजेन की असामान्यता (Abnormal kallikrein or kininogen): जैसे प्रीकैल्लीक्रिन का अधिक सक्रिय होना या अन्य प्रोटीन का दोष।
- दूसरी चिकित्सकीय स्थितियाँ (Other Medical Conditions): जैसे हृदय/किडनी रोग, उच्च रक्तचाप, विकृति या संक्रमण जो KKS को प्रभावित कर सकती हैं।
कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार लक्षण (Symptoms of Kallikrein-Kinin System Disorder)
इस प्रणाली में विकार होने पर निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं — जो कि विकार की गंभीरता और प्रकार पर निर्भर करते हैं:
- अचानक आने वाली सूजन (edema) — विशेषकर चेहरे, गले, हाथ-पैर या आंतों में (उदाहरण: HAE में) ।
- रक्त वाहिकाओं में अतिउच्च परगम्यता (increased vascular permeability) से रक्तचाप में कमी (hypotension) या चक्कर आना ।
- दर्द, जलन या लाली (pain, redness, heat) — किनिन द्वारा सक्रियित वेसोडायलेशन और सूजन।
- गुर्दे या धमनियों/हृदय से जुड़ी जटिलताएँ — जैसे किडनी कार्य बिगड़ जाना ।
- अन्य लक्षण: थकान, कमजोरी, श्वसन समस्या (यदि फेफड़ों से प्रभावित हो)
कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार कैसे पहचानें (Diagnosis of Kallikrein-Kinin System Disorder)
डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षणों द्वारा इस विकार की पहचान करते हैं:
- रक्त परीक्षण (Blood tests): C1-INH की मात्रा/कार्य, प्रीकैल्लीक्रिन, किनिनोजेन, फैक्टर XII की गतिविधि ।
- जेनेटिक टेस्ट (Genetic testing): HAE या अन्य आनुवंशिक कारणों के लिए ।
- क्लिनिकल हिस्ट्री एवं लक्षण (Clinical history & symptoms): बार-बार सूजन झटपट आना, कारण स्पष्ट नहीं होना ।
- विशेष परीक्षण (Special assays): जैसे किनिन स्तर, कैल्लीक्रिन-किनीनी सक्रियता ।
- अन्य इमेजिंग या कार्य-परीक्षण: यदि गुर्दे, हृदय या अन्य अंग प्रभावित हों।
कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार इलाज (Treatment of Kallikrein-Kinin System Disorder)
इलाज मुख्य रूप से कारण को नियंत्रित करने और लक्षणों को प्रबंधित करने पर आधारित है:
- C1-INH प्रतिस्थापन (C1-INH replacement): HAE में उपयोगी ।
- कैलीक्रिन इनहिबिटर (Kallikrein inhibitors): जैसे ecallantide आदि ।
- किनिन रिसेप्टर ब्लॉकर (Kinin receptor antagonists): जैसे icatibant ।
- लक्षणात्मक इलाज: सूजन, दर्द या रक्तचाप में कमी के लिए उपाय।
- अन्य चिकित्सकीय देखभाल: गुर्दे/हृदय की स्थिति हो तो उनका प्रबंधन ।
- जीवनशैली एवं जोखिम प्रबंधन: ट्रिगर (उदाहरण: तनाव, संक्रमण, हार्मोनल बदलाव) से बचाव ।
घरेलू उपाय एवं जीवनशैली (Home Remedies & Lifestyle for KKS Disorder)
हालाँकि यह विकार चिकित्सकीय देखभाल माँगता है, निम्न उपाय सहायक हो सकते हैं:
- नियमित चिकित्सकीय फॉलो-अप ।
- संक्रमण से बचाव (स्वच्छता, समय पर इलाज) ।
- तनाव प्रबंधन (योग, ध्यान) ।
- संतुलित भोजन एवं पर्याप्त तरल पदार्थ ।
- ट्रिगर से बचाव (उदाहरण: किसी known trigger से सूजन बढ़ती हो तो उसे पहचानना) ।
रोकथाम (Prevention of Kallikrein-Kinin System Disorder)
- यदि परिवार में HAE या किन्निं प्रणाली विकार रहा हो तो जेनेटिक काउंसलिंग लें।
- प्राथमिक लक्षण दिखते ही चिकित्सक से सलाह लें ।
- जोखिम-प्रेरित स्थितियों (उदाहरण: संक्रमण, सर्जरी, तनाव) में सावधानी बरतें ।
सावधानियाँ (Precautions for KKS Disorder)
- स्वयं दवा लेने से बचें, विशेष रूप से किन्निं या कैल्लीक्रिन ब्लॉकर ।
- सूजन, गैस्ट्रिक लक्षण या साँस की परेशानी हो तो समय से डॉक्टर को दिखाएँ ।
- नियमित रूप से डॉक्टर द्वारा निर्देशित इलाज एवं परीक्षण जारी रखें ।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार सुरक्षित है?
– यदि समय पर निदान न हो और उचित उपचार न मिले, तो सूजन (angioedema) गले में भी हो सकती है जिससे साँस फूल सकती है — यह गंभीर हो सकता है।
Q2. क्या यह अनुवांशिक है?
– हाँ- खासकर HAE के प्रकार में C1-INH की कमी आनुवांशिक होती है।
Q3. क्या इस रोग का इलाज संभव है?
– पूर्ण “मुकम्मल इलाज” आज तक नहीं है, लेकिन सही उपचार और ट्रिगर नियंत्रण से जीवन गुणवत्ता अच्छा रखी जा सकती है।
Q4. क्या इसे घर पर बिना डॉक्टर के नियंत्रित किया जा सकता है?
– नहीं- यह चिकित्सकीय देखभाल माँगता है। घरेलू उपाय केवल सहायक हैं।
Q5. क्या यह बढ़ती उम्र या कोई विशेष लिंग में ज्यादा होती है?
– विशेष लिंग या उम्र तक सीमित नहीं है- HAE अनुवांशिक प्रारंभ हो सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कैल्लीक्रिन-किनिन प्रणाली विकार (Kallikrein-Kinin System Disorder) वह स्थिति है जिसमें हमारी शरीर की एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक प्रणाली गड़बड़ हो जाती है, जिससे सूजन, रक्तप्रवाह की असामान्यता, रक्तचाप की समस्या और अन्य अंगों पर प्रभाव हो सकता है।
समय पर पहचान, उचित उपचार, ट्रिगर से बचाव और नियमित चिकित्सकीय निगरानी इस रोग के प्रति सबसे प्रभावी उपाय हैं। यदि आपको या आपके परिचित को बार-बार बिना स्पष्ट कारण के सूजन, चक्कर, गले या चेहरे में फुलाव महसूस हो रहा हो — तो इसे हल्के में न लें और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें