तंगिआसिस (Tungiasis) एक त्वचा रोग है जिसे Tunga penetrans नामक छोटी रेत-पिस्सू (sand flea) द्वारा उत्पन्न किया जाता है।
यह कहा जाता है कि आम बोलचाल में “जिगर्स” (jiggers) के नाम से जाना जाता है।
मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय व उप-उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाया जाता है, जहाँ बुनियादी स्वच्छता व पैरों की रक्षा कम होती है।
jiggers क्या होता है? (What is jiggers)?
इसमें प्रक्रिया निम्न प्रकार से होती है:
- Tunga penetrans नामक मादा पिस्सू जमीन में या रेत/छायादार मिट्टी में विकसित होती है।
- यह इंसान के पैर (विशेष रूप से पंजे, एड़ियाँ, पैर की जाँघ / उँगलियाँ) की त्वचा में चुभ जाती है या उसमें घुस जाती है और अपनी पूँछ का हिस्सा बाहर रखती है ताकि श्वसन हो सके।
- उसके अंदर अंडे बनते हैं, पिस्सू बढ़ती है, अंकुरित करती है, और फिर बाहर निकलते अंडे मिट्टी में गिर जाते हैं। इस तरह पुनरावृत्ति संभव होती है।
- घुसने के बाद त्वचा में सफेद-पतला या हल्के लाल घेरा बन जाता है, बीच में एक काला बिंदु दिख सकता है, जो उस पिस्सू का पिछला भाग हो सकता है।
- यदि इलाज न हो तो यह घुमावदार संक्रमण, अव्यवस्था, असुविधा, दर्द और चलने-फिरने में समस्या उत्पन्न कर सकती है।
jiggers कारण (Causes)
- इस स्थिति का मुख्य कारण है Tunga penetrans मादा पिस्सू द्वारा त्वचा में प्रवेश करना।
- बहुत-से मामले सीधे जमीन या रेत के संपर्क में आने से होते हैं—विशेष रूप से бос पैर चलना, छायादार मिट्टी, कच्चे फर्श वाले कमरे जिसमें मिट्टी या रेत हो।
- गृह-पशुओं (जैसे कुत्ते, बिल्लियाँ, सूअर, चूहा आदि) द्वारा संक्रमण का स्रोत बनना भी संभव है। यानी यह एक जूओनोटिक समस्या (मानव + पशु) हो सकती है।
- सामाजिक-आर्थिक कारण जैसे स्वच्छता की कमी, मिट्टी का खुला फर्श, जूतेपायल की कमी आदि भी जोखिम बढ़ाते हैं।
jiggers लक्षण (Symptoms of Tungiasis)
- फुट स्पर्श करते समय दर्द या खुजली महसूस हो सकती है, विशेष रूप से पैरों के तलवे, उँगलियों के आसपास या एड़ियों पर।
- त्वचा पर एक छोटा सफेद-गोल/उभरा हुआ घेरा दिखाई दे सकता है, बीच में एक काला बिंदु होता है।
- वृद्धि के साथ उस हिस्से में सूजन, लाली, छीलन (desquamation), दर्द, चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है।
- यदि संक्रमण बढ़ जाए, तो फोड़ / पुुस बनना, घाव बन जाना, नाखूनों का क्षय, पैरों में विकृति हो सकती है।
- चूंकि यह सामाजिक रूप से कमजोर-स्थितियों में अधिक होता है, इससे व्यक्ति की रोज-मर्रा की गतिविधियों में बाधा आ सकती है।
jiggers कैसे पहचाने (How to Identify)
- यदि आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में हैं/रहे हैं और पैर के तलवे या उँगलियों में ऊपर बताए गए गोल-सफेद घेरों के बीच काले बिंदु दिख रहे हों, तो यह संकेत हो सकता है।
- उस घाव के आसपास खुजली, दर्द, सूजन हो रही हो।
- यदि जूते या मोजे कम पहनने वाला हो या मिट्टी-वाले फर्श वाले उपयुक्त माहौल में हो।
- किसी डॉक्टर से जांच करवाना उचित है, क्योंकि कभी-कभी ये सामान्य कील-नाखून की समस्या या अन्य त्वचा रोग से भ्रमित हो सकते हैं।
- कैमरे या मोबाइल से घाव की तस्वीर लें और डॉक्टर को दिखाएं — विशेष रूप से यदि संक्रमण का डर हो।
jiggers इलाज (Treatment)
- सबसे महत्वपूर्ण है कि घुस चुकी पिस्सू को सुरक्षित तरीके से हटाया जाए। यह प्रक्रिया चिकित्सकीय देखरेख में होनी चाहिए।
- कुछ मामले में टॉपिकल (स्थानीय) तेल आधारित उपचार जैसे डिमेटिकोन (dimeticone) प्रयुक्त होता है, जिससे पिस्सू प्रभावित हिस्से में मर सकती है।
- यदि बैक्टीरियल संक्रमण हो गया हो, तो एंटीबायोटिक और घाव-देखभाल की आवश्यकता होती है।
- घाव की सफाई, सूखे व स्वच्छ वातावरण में रखना, प्रभावित जूते/मोजे बदलना आदि आवश्यक हैं।
- गंभीर मामलों में अस्पताल में दाखिला व विशेष देखभाल की जरूरत पड़ सकती है।
jiggers कैसे रोके (Prevention)
- पैर को नग्न न रखें — जब भी संभव हो जूते-मोजे पहनें, विशेष रूप से मिट्टी-वाले फर्श पर।
- घर के फर्श को मृत मपैया (earthen floor) नहीं रखना चाहिए, यदि संभव हो तो सीमेंट या टाइल-फर्श का विकल्प चुनें।
- नियमित रूप से पैर की सफाई करें, साबुन से धोएं व अच्छी-तरह सूखा रखें।
- पालतू पशुओं और गली-मोहल्ले में घूमने वाले जानवरों की सफाई व संरक्षण करें, क्योंकि वे पिस्सू का स्रोत हो सकते हैं।
- प्रभावित क्षेत्रों में मिट्टी, रेत या छायादार जमीन पर सीधे पैर न रखें।
- समुदाय स्तर पर जागरूकता बढ़ाएं — शिक्षा, स्वच्छता, पैर सुरक्षा आदि के उपाय अपनाएं।
घरेलू उपाय
हालाँकि चिकित्सकीय उपचार प्रथम प्राथमिकता है, कुछ घरेलू-सहायता उपाय इस प्रकार हैं (लेकिन ये मुख्य उपचार का विकल्प नहीं हैं):
- प्रभावित पैर को गर्म पानी व हल्के साबुन से हल्के से साफ़ करना।
- संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए प्रभावित हिस्से को स्वच्छ व सूखा रखना।
- जब तक डॉक्टर निर्देश न दें, प्रभावित क्षेत्र को बहुत ज्यादा न खरोंचें या पिस्सू निकालने का प्रयास खुद न करें — इससे संक्रमण बढ़ सकता है।
- स्व-सहायता वाला काल्पनिक उपाय: प्रभावित जगह पर जूते व मोजे बदलना, पैर को ऊपर उठाकर रखना, वैकल्पिक पैर-संबंधी स्वच्छता।
ध्यान दें: घरेलू उपाय केवल सहायक हैं; भरोसा केवल उनपर न रखें तथा लक्षण गंभीर हों तो तुरंत चिकित्सक से मिलें।
सावधानियाँ
- प्रभावित पैर पर खुद पिस्सू निकालने का प्रयास न करें, खासकर बिना स्वच्छ उपकरण या चिकित्सकीय देखरेख के, क्योंकि इससे संक्रमण (जैसे बेक्टेरिया) का खतरा बढ़ जाता है।
- यदि घाव में सूजन, दर्द, बुखार या पस बनने लगे हों, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- निगरानी रखें कि पिस्सू संक्रमण दोबारा न हो — पैर की सफाई व स्वच्छता अनियंत्रित रूप से छोड़ना जोखिम रहेगा।
- सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर समूहों में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर हो सकती है; इसलिए उपेक्षित न करें।
- यात्रा के समय यदि उष्णकटिबंधीय या उप उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में जा रहे हों, तो पहले से पैर सुरक्षा-उपकरण जैसे अच्छे जूते, मोजे साथ रखें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या जूते नहीं पहनने से यह रोग ज्यादा होता है?
हाँ। बिना जूते, मिट्टी-वाले फर्श या रेत पर सीधे पैर चलने से पिस्सू त्वचा में आसानी से प्रवेश कर सकती है।
Q2. क्या यह रोग सिर्फ पैर में ही होता है?
अधिकतर यह पैर (व विशेषकर तलवे, उँगलियाँ, एड़ियाँ) में होता है क्योंकि पिस्सू ज़मीन से संपर्क में वहीं आती है। लेकिन theoretically अन्य शरीर के हिस्सों में भी हो सकता है।
Q3. क्या एक बार इलाज हुआ तो दोबारा नहीं होगा?
इलाज के बाद पुनरावृत्ति का जोखिम कम होता है, लेकिन यदि जोखिम-प्रवण माहौल (मिट्टी-फर्श, जूते नहीं, स्वच्छता कमी) बना रहेगा तो दोबारा हो सकता है।
Q4. क्या घरेलू उपाय पर्याप्त हैं?
नहीं, केवल घरेलू उपाय पर्याप्त नहीं हैं – चिकित्सकीय सलाह व उचित उपचार ज़रूरी है। घरेलू उपाय सहायक हैं।
Q5. क्या यह बीमारी गंभीर हो सकती है?
हाँ — यदि बहुत संख्या में पिस्सू घुस जाएँ, या संक्रमण बढ़ जाए, तो दर्द, चलने-फिरने में असमर्थता, विकृति甚至 में विकसित हो सकती है।
निष्कर्ष
तंगिआसिस (जिगर्स) एक दुर्लभ नहीं बल्कि उपेक्षित ट्रॉपिकल समस्या है। यह खासतौर पर ऐसे क्षेत्रों में होती है जहाँ स्वच्छता, जूते-मोजे, संरचित फर्श जैसी बुनियादी सुविधाएँ कम होती हैं। यदि समय पर पहचान हो जाए और उचित बचाव-उपाय अपनाए जाएँ, तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। पैर की सुरक्षा, स्वच्छता, समय-समय पर जाँच और संक्रमित हिस्सों का जल्द उपचार इसके प्रमुख स्तंभ हैं। यदि आपको या आपके जान-पहचान में किसी को इस तरह के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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