Khushveer Choudhary

Plummer’s Disease कारण, लक्षण, पहचान और इलाज की पूरी जानकारी

Plummer’s Disease (प्लमर डिज़ीज़) को चिकित्सकीय भाषा में Toxic Multinodular Goiter – TMNG (टॉक्सिक मल्टीनोड्यूलर ग्वाइटर) कहा जाता है।

यह थायरॉयड ग्रंथि (Thyroid gland) की एक बीमारी है, जिसमें थायरॉयड में कई गांठें (nodules) बन जाती हैं और ये गांठें अधिक मात्रा में थायरॉयड हार्मोन बनाने लगती हैं।

यह रोग अधिकतर मध्यम आयु और बुजुर्ग लोगों में पाया जाता है और लंबे समय से चले आ रहे साधारण ग्वाइटर (goiter) के बाद विकसित हो सकता है।

प्लमर डिज़ीज़ क्या होता है? (What is Plummer’s Disease)

Plummer’s Disease वह स्थिति है जिसमें:

  • थायरॉयड ग्रंथि में कई गांठें बन जाती हैं
  • ये गांठें बिना नियंत्रण के हार्मोन बनाती हैं
  • शरीर में Hyperthyroidism (हाइपरथायरॉयडिज़्म) हो जाता है

इसमें थायरॉयड हार्मोन बढ़ जाता है, लेकिन यह Graves’ disease से अलग होता है क्योंकि इसमें ऑटोइम्यून कारण शामिल नहीं होता।

प्लमर डिज़ीज़ के कारण (Causes of Plummer’s Disease)

1. लंबे समय से मौजूद ग्वाइटर (Long-standing Goiter)

  • वर्षों तक चला आ रहा थायरॉयड बढ़ना

2. आयोडीन की कमी या असंतुलन (Iodine imbalance)

  • लंबे समय तक आयोडीन की कमी के बाद अचानक अधिक आयोडीन मिलना

3. उम्र से जुड़ा कारण (Age-related changes)

  • यह बीमारी आमतौर पर 40–60 वर्ष के बाद होती है

4. थायरॉयड गांठों की स्वायत्तता (Autonomous thyroid nodules)

  • गांठें शरीर के नियंत्रण के बिना हार्मोन बनाने लगती हैं

प्लमर डिज़ीज़ के लक्षण (Symptoms of Plummer’s Disease)

हाइपरथायरॉयडिज़्म से जुड़े लक्षण:

  • वजन तेजी से कम होना (Weight loss)
  • दिल की धड़कन तेज होना (Palpitations)
  • घबराहट और चिड़चिड़ापन
  • अत्यधिक पसीना आना
  • गर्मी सहन न होना (Heat intolerance)
  • हाथों में कंपन (Tremors)
  • थकान और कमजोरी

गर्दन से जुड़े लक्षण:

  • गर्दन में सूजन या गांठ
  • निगलने में कठिनाई
  • आवाज बैठना (Rare cases)

प्लमर डिज़ीज़ कैसे पहचाने? (Diagnosis / How to Identify Plummer’s Disease)

1. रक्त परीक्षण (Blood Tests)

  • T3 और T4 हार्मोन बढ़े हुए
  • TSH (Thyroid Stimulating Hormone) कम

2. थायरॉयड स्कैन (Thyroid Scan / Radionuclide Scan)

  • कई “hot nodules” दिखाई देते हैं

3. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound of Thyroid)

  • थायरॉयड में कई गांठों की पुष्टि

4. फाइन नीडल एस्पिरेशन (FNAC)

  • गांठ की प्रकृति जानने के लिए (जरूरत पड़ने पर)

प्लमर डिज़ीज़ का इलाज (Treatment of Plummer’s Disease)

1. दवाइयाँ (Medications)

  • Antithyroid drugs जैसे Methimazole
  • बीटा ब्लॉकर (Beta blockers) दिल की धड़कन नियंत्रित करने के लिए

2. रेडियोआयोडीन थेरेपी (Radioiodine Therapy)

  • सबसे सामान्य और प्रभावी उपचार
  • गांठों की गतिविधि को कम करता है

3. सर्जरी (Surgery / Thyroidectomy)

  • जब ग्वाइटर बहुत बड़ा हो
  • सांस या निगलने में दिक्कत हो
  • कैंसर का संदेह हो

प्लमर डिज़ीज़ कैसे रोके? (Prevention)

  • थायरॉयड की नियमित जांच
  • लंबे समय से ग्वाइटर हो तो इलाज कराना
  • आयोडीन युक्त दवाओं का अनावश्यक सेवन न करना
  • बुजुर्गों में थायरॉयड लक्षणों को नजरअंदाज न करना

घरेलू उपाय (Home Remedies)

घरेलू उपाय इलाज का विकल्प नहीं हैं, लेकिन लक्षणों में हल्की मदद कर सकते हैं।

  • संतुलित और पौष्टिक आहार
  • कैफीन कम करें
  • तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान
  • पर्याप्त नींद

सावधानियाँ (Precautions)

  • बिना डॉक्टर की सलाह थायरॉयड दवा न लें
  • आयोडीन युक्त सप्लीमेंट से बचें
  • दिल की धड़कन तेज होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
  • नियमित follow-up जरूरी है

FAQs (Frequently Asked Questions)

1. क्या Plummer’s Disease और Graves’ Disease एक ही हैं?

नहीं, दोनों में Hyperthyroidism होता है लेकिन कारण अलग होते हैं।

2. क्या Plummer’s Disease जानलेवा है?

सीधे नहीं, लेकिन इलाज न होने पर हृदय संबंधी जटिलताएँ हो सकती हैं।

3. क्या यह पूरी तरह ठीक हो सकती है?

हाँ, सही इलाज से इसे नियंत्रित या पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

4. क्या यह महिलाओं में अधिक होती है?

हाँ, यह महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है।

5. क्या सर्जरी हमेशा जरूरी होती है?

नहीं, अधिकतर मामलों में रेडियोआयोडीन थेरेपी पर्याप्त होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Plummer’s Disease (प्लमर डिज़ीज़) थायरॉयड की एक महत्वपूर्ण बीमारी है, जिसमें कई गांठों के कारण हाइपरथायरॉयडिज़्म हो जाता है।
समय पर पहचान, सही जांच और उचित इलाज से इसे सफलतापूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है।
यदि वजन तेजी से घटे, दिल की धड़कन बढ़े या गर्दन में गांठ महसूस हो, तो तुरंत एंडोक्राइनोलॉजिस्ट (Endocrinologist) से परामर्श लेना चाहिए।

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