नेल फंगस (नाखूनों का फंगल संक्रमण):
नेल फंगस, जिसे चिकित्सकीय भाषा में ओनिकोमाइकोसिस (Onychomycosis) या टीनिया अनगुइयम (Tinea Unguium) कहा जाता है, नाखूनों का एक सामान्य फंगल संक्रमण है। यह संक्रमण नाखूनों को पीला, मोटा और भंगुर बना देता है। यह अक्सर पैरों के नाखूनों में होता है, लेकिन हाथों के नाखूनों को भी प्रभावित कर सकता है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और अगर समय पर इलाज न हो, तो नाखून पूरी तरह खराब हो सकता है।

नेल फंगस क्या है ?
नेल फंगस मुख्य रूप से डर्माटोफाइट (dermatophyte) नामक फंगस के कारण होता है। ये फंगस नाखून में मौजूद केराटिन (keratin) नामक प्रोटीन पर पनपते हैं। इसके अलावा, यीस्ट (जैसे कैंडिडा) और कुछ मोल्ड भी इस संक्रमण का कारण बन सकते हैं। यह फंगस नाखून में छोटी दरारों या नाखून और त्वचा के बीच के गैप से प्रवेश करता है, और नमी तथा गर्मी वाले वातावरण में तेजी से पनपता है।

नेल फंगस के कारण :
नेल फंगस के पनपने के कई कारण हो सकते हैं, खासकर वे स्थितियां जो नाखूनों के लिए नम और गर्म वातावरण बनाती हैं:
* नमी का अधिक रहना: लगातार गीले या नम पैर फंगस के विकास को बढ़ावा देते हैं।
* अनुचित जूते: तंग, हवा रहित या गीले जूते पहनने से पैरों में नमी और गर्मी बनी रहती है।
* खराब स्वच्छता: नाखूनों की नियमित और सही सफाई न करना।
* नाखूनों में चोट: नाखून में लगने वाली कोई भी चोट फंगस को प्रवेश करने का मार्ग दे सकती है।
* फंगल संक्रमण का फैलाव: यदि आपको पहले से ही एथलीट फुट (टीनिया पेडीस) जैसे पैर का फंगल संक्रमण है, तो यह नाखूनों तक फैल सकता है।
* कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: मधुमेह, एचआईवी, या कुछ दवाओं के कारण कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
* सार्वजनिक स्थान: स्विमिंग पूल, जिम, या सार्वजनिक शावर जैसे स्थानों पर नंगे पैर चलने से फंगस से संपर्क हो सकता है।
* बढ़ती उम्र: उम्र के साथ नाखून धीरे बढ़ते हैं और भंगुर हो जाते हैं, जिससे संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।

नेल फंगस के लक्षण :
नेल फंगस के लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होते हैं और नाखूनों की उपस्थिति को प्रभावित करते हैं:
* रंग बदलना: नाखून का रंग पीला, सफेद, भूरा या कभी-कभी काला हो सकता है।
* मोटा होना: नाखून सामान्य से अधिक मोटा हो जाता है और विकृत दिख सकता है।
* भंगुरता: नाखून कमजोर होकर आसानी से टूट सकते हैं, किनारे टूट सकते हैं या उनमें दरारें पड़ सकती हैं।
* नाखून का ढीला होना: नाखून अपने बिस्तर से अलग होकर ऊपर उठने लगता है (ओनिकोलाइसिस)।
* मलबा जमा होना: नाखून के नीचे एक सफेद या पीले रंग का पाउडर जैसा पदार्थ जमा हो सकता है।
* दुर्गंध: कुछ मामलों में, संक्रमित नाखून से अप्रिय गंध आ सकती है।
* दर्द या बेचैनी: आमतौर पर संक्रमण दर्द रहित होता है, लेकिन गंभीर मामलों में दबाव पड़ने पर या जूते पहनने पर दर्द हो सकता है।
नेल फंगस का इलाज :
नेल फंगस का इलाज चुनौतीपूर्ण हो सकता है और इसमें समय लगता है, क्योंकि संक्रमित नाखून के पूरी तरह से ठीक होकर नए, स्वस्थ नाखून के बढ़ने में कई महीने लग सकते हैं।
1. चिकित्सकीय उपचार
* ओरल एंटीफंगल दवाएं: ये अक्सर सबसे प्रभावी होती हैं और गंभीर संक्रमणों के लिए पहली पसंद होती हैं।
* टर्बिनाफाइन (Terbinafine) और इट्राकोनाजोल (Itraconazole) सामान्य रूप से निर्धारित की जाने वाली दवाएं हैं।
* उपचार आमतौर पर 6 से 12 सप्ताह तक चलता है, लेकिन पूरा परिणाम देखने में कई महीने लग सकते हैं।
* इन दवाओं के कुछ दुष्प्रभाव (जैसे लिवर पर प्रभाव) हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर लिवर फंक्शन की निगरानी कर सकते हैं।
* टॉपिकल एंटीफंगल दवाएं: ये सीधे नाखून पर लगाई जाती हैं, अक्सर नेल पॉलिश या क्रीम के रूप में।
* साइक्लोपिरोक्स (Ciclopirox) नेल लैकर, एफिनाकोनाजोल (Efinaconazole) और टावबोरोले (Tavaborole) कुछ विकल्प हैं।
* ये हल्के संक्रमणों के लिए या ओरल दवाओं के साथ सहायक उपचार के रूप में उपयोग किए जाते हैं। नाखूनों को पतला करने से दवा के बेहतर अवशोषण में मदद मिल सकती है।
* अन्य उपचार:
* लेजर थेरेपी: कुछ लेजर उपचार नेल फंगस के लिए प्रभावी पाए गए हैं, हालांकि ये महंगे हो सकते हैं।
* नाखून निकालना: गंभीर, दर्दनाक या इलाज प्रतिरोधी मामलों में संक्रमित नाखून को आंशिक या पूरी तरह से हटाने की सलाह दी जा सकती है।
2. घरेलू उपाय (सावधानी के साथ) :
कुछ घरेलू उपाय हल्के संक्रमणों में सहायक हो सकते हैं, लेकिन ये चिकित्सकीय उपचार का विकल्प नहीं हैं। इन्हें आज़माने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें।
* टी ट्री ऑयल: इसमें एंटीफंगल गुण होते हैं। इसे सीधे प्रभावित नाखून पर दिन में 1-2 बार लगाएं।
* सिरका (Apple Cider Vinegar): पानी में सिरका मिलाकर उसमें पैरों को 15-20 मिनट तक भिगोने से फंगस के विकास को रोका जा सकता है।
* लहसुन का पेस्ट: लहसुन में एंटीफंगल गुण होते हैं। इसका पेस्ट बनाकर नाखूनों पर लगाया जा सकता है।
नेल फंगस से बचाव कैसे करें?
नेल फंगस को रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं:
* पैरों को साफ और सूखा रखें: नहाने या पैर धोने के बाद पैरों और नाखूनों को अच्छी तरह से सुखाएं, खासकर उंगलियों के बीच।
* सही जूते और मोजे पहनें: हवादार जूते पहनें और सूती या ऊन के मोजे चुनें जो नमी को सोखते हों। तंग और गीले जूते पहनने से बचें।
* सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी: स्विमिंग पूल, जिम, या सार्वजनिक शावर जैसे स्थानों पर हमेशा चप्पल पहनें।
* नाखूनों की उचित देखभाल: नाखूनों को नियमित रूप से काटें और साफ रखें। उन्हें बहुत छोटा या नुकीला न काटें।
* उपकरण साझा न करें: अपने नेल क्लिपर, फाइल या अन्य मैनीक्योर/पेडीक्योर उपकरण दूसरों के साथ साझा न करें।
* पैर के अन्य फंगल संक्रमण का इलाज करें: यदि आपको एथलीट फुट है, तो उसे तुरंत ठीक करें ताकि वह नाखूनों तक न फैले।
निष्कर्ष
नेल फंगस एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। सही समय पर पहचान और उचित उपचार से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। व्यक्तिगत स्वच्छता, नियमित देखभाल और डॉक्टर की सलाह इस संक्रमण से बचाव और इसके सफल उपचार के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। यदि आपको लगता है कि आपको नेल फंगस है, तो त्वचा विशेषज्ञ (dermatologist) से परामर्श करना सबसे अच्छा है ताकि सही निदान और उपचार योजना मिल सके।