पेरिटोनियल डायलिसिस क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में
पेरिटोनियल डायलिसिस :
परिचय:
जब किसी व्यक्ति की गुर्दे (किडनी) अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाते, तो शरीर में विषैले तत्व, अतिरिक्त पानी और लवण जमा होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत होती है। डायलिसिस दो प्रकार की होती है – हीमोडायलिसिस और पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal Dialysis)।
इस ब्लॉग में हम पेरिटोनियल डायलिसिस को विस्तार से समझेंगे।
पेरिटोनियल डायलिसिस क्या है?
पेरिटोनियल डायलिसिस एक प्रकार की किडनी रिप्लेसमेंट थेरेपी है, जिसमें शरीर के अंदर मौजूद पेट की झिल्ली (Peritoneum) को फ़िल्टर की तरह उपयोग किया जाता है। इसके ज़रिए खून से अपशिष्ट (toxins), अतिरिक्त पानी और हानिकारक रसायनों को बाहर निकाला जाता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस कैसे काम करता है?
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एक विशेष द्रव (डायलिसेट) को एक कैथेटर के माध्यम से पेट की गुहा (abdominal cavity) में डाला जाता है।
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यह द्रव कुछ घंटों तक पेट में रहता है और झिल्ली के ज़रिए खून से अपशिष्ट पदार्थों को खींच लेता है।
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फिर इस द्रव को बाहर निकाल दिया जाता है और नया द्रव डाला जाता है।
इस प्रक्रिया को एक्सचेंज (Exchange) कहा जाता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस के प्रकार
1. कंटिन्यूअस एम्बुलेटरी पेरिटोनियल डायलिसिस (CAPD):
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मरीज खुद ही दिन में 3–4 बार द्रव डालता और निकालता है।
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इसमें मशीन की जरूरत नहीं होती।
2. ऑटोमेटेड पेरिटोनियल डायलिसिस (APD):
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रात में सोते समय एक मशीन (cycler) द्रव को ऑटोमेटिक रूप से एक्सचेंज करती है।
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समय बचाने वाला तरीका।
पेरिटोनियल डायलिसिस की प्रक्रिया
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सर्जरी के ज़रिए पेट में एक कैथेटर डाला जाता है (स्थायी रूप से)।
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प्रक्रिया साफ-सफाई और संक्रमण से बचाव के साथ घर पर ही की जा सकती है।
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हर एक्सचेंज में लगभग 30–40 मिनट लगते हैं।
किन मरीजों के लिए यह उपयुक्त है?
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जिन्हें नियमित हीमोडायलिसिस के लिए अस्पताल जाना कठिन हो।
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जिनकी नसें (veins) कमजोर हैं।
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जो कम रक्तचाप (low BP) वाले हैं।
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बुजुर्ग और बच्चों में उपयोगी।
फायदे (Advantages)
✅ घर पर किया जा सकता है
✅ अधिक स्वतंत्रता और लचीलापन
✅ कोई सुई नहीं लगती
✅ निरंतर डायलिसिस – विषैले पदार्थों का बेहतर नियंत्रण
✅ कम आहार प्रतिबंध
नुकसान (Disadvantages)
❌ संक्रमण का खतरा (Peritonitis)
❌ पेट फूलना, वजन बढ़ना
❌ लंबे समय तक पेट में कैथेटर रखने से असुविधा
❌ कभी-कभी इलाज की प्रभावशीलता कम हो सकती है
❌ सफाई न रखने पर जटिलताएं बढ़ सकती हैं
सावधानियाँ
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साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
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कैथेटर वाली जगह को सूखा और साफ रखें।
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डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें।
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किसी भी लक्षण (जैसे पेट दर्द, बुखार, धुंधला द्रव) पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
पेरिटोनियल डायलिसिस बनाम हीमोडायलिसिस
विशेषता | पेरिटोनियल डायलिसिस | हीमोडायलिसिस |
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स्थान | घर पर | अस्पताल/डायलिसिस सेंटर |
प्रक्रिया | पेट की झिल्ली से | मशीन द्वारा खून साफ करना |
बारंबारता | रोजाना | सप्ताह में 2–3 बार |
उपकरण | कैथेटर और द्रव | मशीन, सुई, पाइप्स |
संक्रमण का खतरा | पेट में परिटोनिटिस | खून से संबंधित |
निष्कर्ष
पेरिटोनियल डायलिसिस एक सरल, सुविधाजनक और घर पर किया जा सकने वाला विकल्प है, जो किडनी फेलियर के मरीजों के लिए जीवनदायक साबित होता है। हालांकि इसकी सफलता साफ-सफाई, समय पर प्रक्रिया, और नियमित जांच पर निर्भर करती है।
यदि आप या आपके किसी परिचित को किडनी संबंधी समस्या है, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर पेरिटोनियल डायलिसिस के विकल्प पर विचार करें।
अस्वीकरण: यह जानकारी केवल शिक्षा और जनजागरूकता के लिए है। किसी भी उपचार से पहले विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
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