Ischemic Heart Failure: लक्षण, कारण, निदान और बचाव के उपाय

इस्कीमिक हार्ट फेलियर (Ischemic Heart Failure) हृदय की वह स्थिति है जब हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियाँ (कोरोनरी आर्टरी) संकुचित या अवरुद्ध हो जाती हैं, जिससे हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। इसके कारण हृदय की पंपिंग क्षमता कम हो जाती है और हार्ट फेलियर के लक्षण उत्पन्न होते हैं।

यह स्थिति अक्सर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) या हार्ट अटैक के बाद विकसित होती है।

क्या होता है Ischemic Heart Failure?

इस्कीमिक हार्ट फेलियर में हृदय की मांसपेशियाँ ऑक्सीजन और पोषण की कमी के कारण कमजोर हो जाती हैं। जब हृदय पर्याप्त रक्त को शरीर में पंप नहीं कर पाता, तब हार्ट फेलियर होता है। "इस्कीमिक" शब्द का अर्थ है "रक्त की आपूर्ति में कमी"।

Ischemic Heart Failure के कारण (Causes)

Ischemic Heart Failure के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज (CAD) – धमनियों में प्लाक जमना
  2. हार्ट अटैक (Myocardial Infarction) – दिल की मांसपेशियों को नुकसान
  3. उच्च रक्तचाप (Hypertension)
  4. डायबिटीज़ (मधुमेह)
  5. धूम्रपान और अत्यधिक शराब सेवन
  6. उच्च कोलेस्ट्रॉल
  7. तनाव और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली

Ischemic Heart Failure के लक्षण (Symptoms)

  • सांस फूलना (विशेषकर सोते समय या हल्का परिश्रम करते हुए)
  • थकान और कमजोरी
  • पैरों, टखनों या पेट में सूजन
  • तेज या अनियमित दिल की धड़कन
  • वजन बढ़ना (तरल जमाव के कारण)
  • खांसी या घरघराहट
  • नींद में खलल या बार-बार जागना
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

Ischemic Heart Failure को कैसे पहचानें (Diagnosis)

इस्कीमिक हार्ट फेलियर की पहचान के लिए निम्नलिखित जांचें की जाती हैं:

  • ईसीजी (Electrocardiogram) – दिल की विद्युत गतिविधियों की जांच
  • ईकोकार्डियोग्राफी (Echocardiogram) – दिल की संरचना और कार्य देखना
  • BNP या NT-proBNP टेस्ट – हार्ट फेलियर की पुष्टि
  • कोरोनरी एंजियोग्राफी – धमनियों में रुकावट की जांच
  • स्ट्रेस टेस्ट
  • ब्लड टेस्ट – शुगर, कोलेस्ट्रॉल, थायरॉइड आदि की जांच

Ischemic Heart Failure का इलाज (Treatment)

1. दवाएं (Medications)

  • ACE Inhibitors और ARBs
  • Beta-blockers
  • Diuretics (पेशाब बढ़ाने की दवाएं)
  • Aldosterone antagonists
  • Statins – कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए
  • Antiplatelet drugs – जैसे Aspirin

2. सर्जरी या प्रक्रिया

  • एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग
  • बाईपास सर्जरी (CABG)
  • ICD (Implantable Cardioverter Defibrillator)
  • CRT (Cardiac Resynchronization Therapy)
  • हार्ट ट्रांसप्लांट (अत्यधिक मामलों में)

3. जीवनशैली में बदलाव

  • नमक और वसा की मात्रा कम करना
  • धूम्रपान और शराब से परहेज
  • नियमित व्यायाम
  • वजन नियंत्रण
  • तनाव प्रबंधन

Ischemic Heart Failure के घरेलू उपाय (Home Remedies)

  • अदरक और लहसुन का सेवन
  • तुलसी और ग्रीन टी
  • हल्का व्यायाम (जैसे सुबह की सैर)
  • गहरी सांस लेने का अभ्यास
  • पोषक तत्वों से भरपूर आहार (फाइबर, ओमेगा-3, हरी सब्जियां)
  • डॉक्टर से पूछकर आयुर्वेदिक उपाय जैसे अर्जुन की छाल

सावधानियाँ (Precautions)

  • डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं न छोड़ें
  • नियमित ब्लड प्रेशर और शुगर की निगरानी करें
  • अचानक वजन बढ़ने या सांस फूलने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
  • तनाव को कम करने के लिए ध्यान और योग करें
  • नियमित रूप से दिल की जांच कराएं

रोकथाम (Prevention)

  • संतुलित आहार और सक्रिय जीवनशैली अपनाएं
  • धूम्रपान, शराब और अधिक नमक से बचें
  • नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं
  • रक्तचाप और शुगर को नियंत्रित रखें
  • दिल की सेहत के प्रति सजग रहें

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्र.1: Ischemic Heart Failure और सामान्य हार्ट फेलियर में क्या अंतर है?
उ: इस्कीमिक हार्ट फेलियर का कारण हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों की रुकावट होती है, जबकि सामान्य हार्ट फेलियर कई अन्य कारणों से हो सकता है।

प्र.2: क्या इस्कीमिक हार्ट फेलियर पूरी तरह ठीक हो सकता है?
उ: यह क्रॉनिक स्थिति है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

प्र.3: क्या हृदय की पंपिंग क्षमता वापस बढ़ सकती है?
उ: कुछ मामलों में इलाज के बाद पंपिंग क्षमता में सुधार हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है।

प्र.4: क्या इस स्थिति में व्यायाम करना सुरक्षित है?
उ: हां, लेकिन हल्का व्यायाम और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही।

प्र.5: क्या उम्रदराज़ लोगों में यह अधिक होता है?
उ: हां, उम्र बढ़ने के साथ हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा अधिक हो जाता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

इस्कीमिक हार्ट फेलियर एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय हृदय रोग है। इसका समय रहते निदान, सही दवाएं, जीवनशैली में सुधार और चिकित्सकीय देखरेख के माध्यम से इसके लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अगर आप या आपके किसी परिजन को इस तरह के लक्षण दिखें तो तुरंत हृदय विशेषज्ञ से संपर्क करें।



एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने