रेक्टोयूरेथ्रल फिस्टुला (Rectourethral Fistula) एक गंभीर और जटिल चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें मलद्वार (Rectum) और मूत्रमार्ग (Urethra) के बीच एक असामान्य नलीनुमा रास्ता (फिस्टुला) बन जाता है। इस स्थिति में मल और गैस मूत्रमार्ग से निकल सकते हैं, जिससे पेशाब में गड़बड़ी, संक्रमण और सामाजिक असुविधा हो सकती है।
यह स्थिति दुर्लभ है लेकिन पुरुषों में अधिक देखी जाती है, खासकर प्रोस्टेट सर्जरी, कैंसर उपचार या चोट के बाद।
क्या होता है Rectourethral Fistula?
रेक्टोयूरेथ्रल फिस्टुला में मल और मूत्र प्रणाली आपस में जुड़ जाती हैं। इसके कारण पेशाब में मल या गैस, जलन, बदबू और बार-बार संक्रमण हो सकता है। यह शल्य चिकित्सा या विकिरण (Radiation Therapy) के बाद एक जटिल दुष्प्रभाव के रूप में उभर सकता है।
Rectourethral Fistula के कारण (Causes)
- प्रोस्टेट सर्जरी (Radical Prostatectomy) के बाद
- रेक्टल कैंसर या प्रोस्टेट कैंसर का इलाज (Radiation Therapy)
- आंत्र रोग जैसे Crohn’s disease
- पेरिनियल ट्रॉमा (गुदा और मूत्रमार्ग के बीच की चोट)
- मलाशय या प्रोस्टेट में गहरी संक्रमण या फोड़ा
- जन्मजात दोष (जैसे बच्चों में Imperforate Anus के साथ)
- लंबे समय तक कैथेटर उपयोग या सर्जिकल जटिलता
Rectourethral Fistula के लक्षण (Symptoms)
- पेशाब में मल का आना
- पेशाब के साथ गैस का निकलना
- मूत्रमार्ग से बदबूदार रिसाव
- बार-बार पेशाब में संक्रमण (UTI)
- पेशाब करने में दर्द या जलन
- पराइनियल क्षेत्र में सूजन या फोड़ा
- मूत्रमार्ग या मलद्वार से मवाद
Rectourethral Fistula को कैसे पहचानें? (Diagnosis)
रेक्टोयूरेथ्रल फिस्टुला की पहचान के लिए कुछ प्रमुख जांचें की जाती हैं:
- Cystoscopy: मूत्रमार्ग के अंदर देखने के लिए
- MRI pelvis या CT scan: ट्रैक और आसपास के अंगों की स्थिति जानने के लिए
- Retrograde urethrogram (RUG): मूत्रमार्ग की संरचना देखने के लिए
- Fistulography: फिस्टुला की लंबाई और दिशा का विश्लेषण
- Methlyene Blue Dye Test: मलाशय से रंग पदार्थ देकर मूत्रमार्ग से रिसाव देखना
Rectourethral Fistula का इलाज (Treatment)
1. संक्रमण नियंत्रण और प्राथमिक देखभाल:
- एंटीबायोटिक्स से संक्रमण नियंत्रण
- कैथेटर के माध्यम से मूत्र निकालना
- तरल आहार और मल को नियंत्रित करने वाली दवाएं
2. सर्जिकल इलाज (Definitive Treatment):
प्रमुख सर्जिकल विकल्प:
- Transanal or Transperineal Repair
- Muscle Flap Interposition (जैसे Gracilis Flap)
- Laparoscopic या Robotic Assisted Repair
- Temporary Colostomy: मलमार्ग को अस्थायी रूप से डायवर्ट करना, ताकि फिस्टुला भर सके
सर्जरी का चुनाव फिस्टुला के आकार, स्थान, और रोगी की समग्र स्थिति पर निर्भर करता है।
Rectourethral Fistula के घरेलू उपाय (Home Remedies)
ध्यान दें: घरेलू उपाय केवल अस्थायी राहत या संक्रमण से बचाव में सहायक हो सकते हैं, इलाज नहीं।
- गुनगुने पानी का Sitz Bath: पराइनियल क्षेत्र की सफाई और आराम के लिए
- नीम का पानी: संक्रमण कम करने में सहायक
- हल्दी दूध: इम्यून सिस्टम मजबूत करने में
- फाइबर युक्त आहार: मल को सॉफ्ट बनाकर आंत पर दबाव कम करता है
- दही और प्रोबायोटिक्स: पाचन सुधारने के लिए
Rectourethral Fistula को कैसे रोकें? (Prevention)
- प्रोस्टेट या रेक्टल सर्जरी के बाद उचित देखभाल
- Crohn’s Disease या IBD जैसी बीमारियों का समय पर इलाज
- लंबे समय तक कैथेटर के उपयोग से बचाव
- मलाशय और मूत्र मार्ग में चोट से बचना
- रेडिएशन थेरेपी से पहले डॉक्टर से पूरी जानकारी लेना
सावधानियाँ (Precautions)
- फिस्टुला के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से परामर्श करें
- खुद से दवा या एंटीबायोटिक्स लेना बंद करें
- संक्रमण की स्थिति में हाइजीन का विशेष ध्यान रखें
- सर्जरी के बाद मल त्याग और पेशाब पर नियंत्रण बनाए रखें
- कैथेटर या सर्जरी के बाद फॉलोअप में लापरवाही न करें
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. Rectourethral Fistula कितनी गंभीर स्थिति है?
उत्तर: यह एक जटिल और गंभीर समस्या है, लेकिन समय पर इलाज से पूर्ण राहत संभव है।
Q2. क्या इसका इलाज केवल सर्जरी से संभव है?
उत्तर: हाँ, छोटे मामलों में कुछ अस्थायी इलाज किए जा सकते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में सर्जरी ही स्थायी समाधान है।
Q3. क्या यह कैंसर में बदल सकता है?
उत्तर: नहीं, लेकिन इससे कैंसर के मरीजों में जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
Q4. क्या यह महिलाओं में भी होता है?
उत्तर: यह स्थिति मुख्यतः पुरुषों में पाई जाती है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में महिलाओं में भी हो सकती है।
Q5. सर्जरी के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है?
उत्तर: रिकवरी 4–6 सप्ताह में हो सकती है, लेकिन यह मरीज की स्थिति और सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष
Rectourethral Fistula एक संवेदनशील लेकिन पूरी तरह से इलाज योग्य स्थिति है। यदि समय रहते इसका पता चल जाए और विशेषज्ञ से उचित परामर्श लिया जाए, तो रोगी सामान्य जीवन जी सकता है। जागरूकता, स्वच्छता और सही इलाज इसकी कुंजी हैं।