तीव्र पेरिकार्डाइटिस (Acute Pericarditis) हृदय को चारों ओर से घेरने वाली पतली झिल्ली को प्रभावित करने वाली एक सूजनजन्य स्थिति है, जिसे पेरिकार्डियम (Pericardium) कहा जाता है। यह स्थिति अचानक शुरू होती है और कुछ हफ्तों तक रह सकती है। सही समय पर इलाज न करने पर यह जटिलताओं का कारण बन सकती है।
क्या होता है तीव्र पेरिकार्डाइटिस? (What is Acute Pericarditis?)
इस रोग में पेरिकार्डियम में सूजन आ जाती है, जिससे सीने में तेज़ दर्द, सांस लेने में तकलीफ और बुखार हो सकता है। यह अक्सर वायरल संक्रमण, हृदय आघात (Heart attack) या अन्य कारणों से हो सकता है। यह एक आपातकालीन स्थिति बन सकती है यदि समय रहते इलाज न किया जाए।
तीव्र पेरिकार्डाइटिस के कारण (Causes of Acute Pericarditis)
- वायरल संक्रमण (Viral infections) – जैसे कि कोक्सैकी वायरस, एचआईवी, इन्फ्लूएंज़ा
- बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial infections) – जैसे कि टीबी (ट्यूबरकुलोसिस)
- हृदयाघात (Myocardial infarction) के बाद
- ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune diseases) – जैसे ल्यूपस या रुमेटॉयड आर्थराइटिस
- कैंसर (Cancer) – विशेषकर लंग या ब्रेस्ट कैंसर का मेटास्टेसिस
- किडनी फेलियर (Kidney failure) – यूरेमिक पेरिकार्डाइटिस
- चोट या सर्जरी (Trauma or surgery) – हृदय की सर्जरी या छाती की चोट
तीव्र पेरिकार्डाइटिस के लक्षण (Symptoms of Acute Pericarditis)
- सीने में तीव्र, चुभता हुआ दर्द जो बैठने से बेहतर होता है और लेटने से बढ़ता है
- बुखार और कंपकंपी
- सांस लेने में तकलीफ
- थकावट और कमजोरी
- सूजन (विशेषकर टांगों में)
- दिल की धड़कन का अनियमित होना
- खांसी या हिचकी
तीव्र पेरिकार्डाइटिस की पहचान कैसे करें (How to Diagnose Acute Pericarditis)
- शारीरिक जांच (Physical examination) – छाती पर स्टेथोस्कोप से 'फ्रिक्शन रुब' सुनाई देना
- ईसीजी (Electrocardiogram) – हृदय की विद्युत गतिविधि में बदलाव
- एकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography) – पेरिकार्डियल फ्लूड की उपस्थिति
- एक्स-रे या सीटी स्कैन (X-ray / CT scan)
- ब्लड टेस्ट (Blood tests) – सूजन और संक्रमण का मूल्यांकन
तीव्र पेरिकार्डाइटिस का इलाज (Treatment of Acute Pericarditis)
-
दवाएं (Medications):
- एनएसएआईडी (NSAIDs) – सूजन और दर्द कम करने के लिए (जैसे इबुप्रोफेन)
- कोलचिसीन (Colchicine) – दोबारा होने से रोकने में मदद करता है
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) – यदि अन्य दवाएं प्रभावी न हों
- एंटीबायोटिक (Antibiotics) – यदि कारण जीवाणु संक्रमण हो
-
पेरिकार्डियोसेंथेसिस (Pericardiocentesis):
यदि पेरिकार्डियम में बहुत अधिक फ्लूड हो, तो इसे सुई से निकाला जा सकता है। -
अस्पताल में निगरानी (Hospitalization):
गंभीर मामलों में मरीज को निगरानी में रखने की आवश्यकता हो सकती है।
तीव्र पेरिकार्डाइटिस से बचाव कैसे करें (How to Prevent Acute Pericarditis)
- वायरल संक्रमण से बचाव
- हृदय संबंधी रोगों का समय पर इलाज
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना
- उचित टीकाकरण
- संतुलित आहार और व्यायाम
तीव्र पेरिकार्डाइटिस के घरेलू उपाय (Home Remedies for Acute Pericarditis)
नोट: घरेलू उपाय केवल सहायक होते हैं, इनसे पूर्ण इलाज संभव नहीं। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- अदरक और हल्दी का सेवन – सूजन कम करने में सहायक
- तुलसी और शहद – इम्युनिटी बढ़ाने के लिए
- गर्म पानी से सिंकाई – छाती की मांसपेशियों को आराम देने में मदद
- पर्याप्त आराम और तनाव से बचाव
- हल्का और सुपाच्य भोजन
तीव्र पेरिकार्डाइटिस में सावधानियाँ (Precautions in Acute Pericarditis)
- भारी व्यायाम से बचें
- ठंडी हवा या संक्रमण से खुद को बचाएँ
- डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं नियमित रूप से लें
- अचानक सीने में दर्द या सांस की तकलीफ हो तो तुरंत अस्पताल जाएँ
- बार-बार दोहराव होने पर नियमित फॉलो-अप कराएं
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs about Acute Pericarditis)
प्रश्न 1: क्या तीव्र पेरिकार्डाइटिस जानलेवा हो सकता है?
उत्तर: यदि समय पर इलाज न मिले या इसमें फ्लूड अधिक जमा हो जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।
प्रश्न 2: क्या यह बार-बार हो सकता है?
उत्तर: हां, कुछ मामलों में यह दोबारा हो सकता है जिसे रीकरेन्ट पेरिकार्डाइटिस कहते हैं।
प्रश्न 3: क्या यह संक्रामक रोग है?
उत्तर: इसका कारण यदि वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण हो, तो संक्रमण फैल सकता है, परंतु स्वयं पेरिकार्डाइटिस नहीं फैलता।
प्रश्न 4: इलाज के बाद कितने दिन में ठीक होता है?
उत्तर: हल्के मामलों में यह 1 से 3 हफ्तों में ठीक हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
तीव्र पेरिकार्डाइटिस (Acute Pericarditis) एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य स्थिति है। समय पर पहचान और उचित इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। यदि आपको बार-बार सीने में दर्द, बुखार या सांस लेने में परेशानी होती है, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। बचाव, सावधानी और जागरूकता इस रोग से सुरक्षित रहने के सर्वोत्तम उपाय हैं।