Bacillary Hemoglobinuria क्या है? कारण, लक्षण, इलाज, घरेलू उपाय और बचाव – सम्पूर्ण हिंदी जानकारी

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया (Bacillary Hemoglobinuria) एक गंभीर और तीव्र बैक्टीरियल संक्रमण है जो मुख्यतः Clostridium haemolyticum नामक जीवाणु के कारण होता है। यह बीमारी मुख्य रूप से पशुओं में देखी जाती है, विशेषकर गायों और भेड़ों में, लेकिन अत्यधिक संपर्क में आने पर यह इंसानों को भी प्रभावित कर सकती है। इसमें लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और हीमोग्लोबिन मूत्र में निकलने लगता है।

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया क्या होता है  (What is Bacillary Hemoglobinuria):

यह एक हेमोलाइटिक डिजीज (Hemolytic Disease) है जिसमें शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells - RBCs) तेजी से टूटती हैं, जिससे हीमोग्लोबिन मूत्र के रास्ते बाहर निकलता है। इसे आमतौर पर Red Water Disease भी कहा जाता है क्योंकि पेशाब का रंग गहरा लाल या भूरा हो जाता है।

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया कारण (Causes of Bacillary Hemoglobinuria):

  1. Clostridium haemolyticum नामक बैक्टीरिया का संक्रमण
  2. संक्रमित चारा या पानी का सेवन
  3. आक्सीजन की कमी वाले इलाकों में बैक्टीरिया का सक्रिय होना
  4. पाचन तंत्र में जिगर (Liver) से जुड़ी चोट या फ्लूके इंफेक्शन (Fasciola hepatica)
  5. दूषित जलवायु या खराब पर्यावरणीय स्थिति

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया के लक्षण (Symptoms of Bacillary Hemoglobinuria):

  1. तेज़ बुखार (High fever)
  2. मूत्र का रंग गहरा लाल या भूरा होना (Dark red or brown urine)
  3. कमजोरी और सुस्ती (Weakness and lethargy)
  4. पीली त्वचा और आंखें (Jaundice – Yellowing of skin and eyes)
  5. सांस फूलना (Shortness of breath)
  6. पेट दर्द और सूजन (Abdominal pain and bloating)
  7. अचानक मृत्यु पशुओं में (Sudden death in animals)

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया कैसे पहचाने (Diagnosis of Bacillary Hemoglobinuria):

  1. मूत्र परीक्षण (Urine test) – हीमोग्लोबिन की उपस्थिति
  2. रक्त जांच (Blood test) – एनीमिया और RBC की गिरावट
  3. लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver function test)
  4. PCR टेस्ट या बैक्टीरियल कल्चर – Clostridium की पुष्टि
  5. अल्ट्रासाउंड या इमेजिंग – लीवर की स्थिति जानने के लिए

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया इलाज (Treatment of Bacillary Hemoglobinuria):

  1. एंटीबायोटिक थेरेपी (Antibiotic therapy) – जैसे पेनिसिलिन (Penicillin)
  2. एंटीटॉक्सिन इंजेक्शन (Antitoxin injections)
  3. सपोर्टिव केयर (Supportive care) – जैसे तरल पदार्थ देना, ऑक्सीजन सपोर्ट
  4. ब्लड ट्रांसफ्यूजन (यदि आवश्यक हो)
  5. फ्लूके के खिलाफ दवाएं (Fluke treatment drugs) यदि मूल कारण लीवर फ्लू हो

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया कैसे रोके उसे (Prevention of Bacillary Hemoglobinuria):

  1. समय पर टीकाकरण (Vaccination) कराना
  2. फ्लूके नियंत्रण (Fluke control) द्वारा लीवर से संबंधित संक्रमण रोकना
  3. पशुओं को साफ और सुरक्षित चारा और पानी देना
  4. पीड़ित पशुओं से अन्य जानवरों को अलग रखना
  5. वातावरण की नियमित सफाई और संक्रमण नियंत्रण

घरेलू उपाय (Home Remedies for Bacillary Hemoglobinuria):

यह एक आपातकालीन और जानलेवा रोग है, इसलिए केवल घरेलू उपाय पर्याप्त नहीं होते। लेकिन पशु को राहत देने हेतु:

  • इलेक्ट्रोलाइट युक्त पानी पिलाना
  • हल्का गर्म भोजन और आराम देना
  • नीम या हल्दी मिश्रित पानी से शरीर पोंछना (सूजन व संक्रमण कम करने हेतु)
    नोट: घरेलू उपाय सिर्फ प्राथमिक राहत के लिए हैं। तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. संक्रमित पशु के मूत्र या खून से दूर रहें
  2. समय पर पशुओं की डीवॉर्मिंग और वैक्सीनेशन कराएं
  3. खेत, चारा और पानी के स्रोत की नियमित सफाई करें
  4. अचानक बुखार या लाल मूत्र दिखने पर तुरंत इलाज कराएं
  5. पशुपालक दस्ताने और मास्क पहनें

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):

Q.1: क्या बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया इंसानों में हो सकती है?
उत्तर: बहुत ही दुर्लभ मामलों में, अत्यधिक संक्रमित पशुओं के संपर्क से इंसान प्रभावित हो सकता है।

Q.2: इस बीमारी में पशु कितने समय में मर सकता है?
उत्तर: यह रोग तीव्र (acute) होता है और अगर समय पर इलाज न मिले तो 24-48 घंटों में मृत्यु हो सकती है।

Q.3: क्या वैक्सीन उपलब्ध है?
उत्तर: हां, पशुओं के लिए वैक्सीनेशन उपलब्ध है, जिसे समय पर लगवाना चाहिए।

Q.4: क्या यह रोग एक पशु से दूसरे में फैल सकता है?
उत्तर: प्रत्यक्ष रूप से नहीं, लेकिन संक्रमित जगह या चारे से बैक्टीरिया फैल सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

बैसिलरी हीमोग्लोबिन्यूरिया (Bacillary Hemoglobinuria) एक गंभीर और जानलेवा रोग है जो समय पर निदान और इलाज से नियंत्रित किया जा सकता है। पशुओं की नियमित देखभाल, साफ-सफाई और टीकाकरण इसके रोकथाम के मुख्य उपाय हैं। पशुपालकों को सतर्क रहकर लक्षण पहचानने चाहिए और तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, ताकि नुकसान को रोका जा सके।


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