Biliary Cirrhosis (बिलियरी सिरोसिस) एक पुरानी लिवर की बीमारी है जिसमें पित्त नलिकाएं (bile ducts) धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं। इससे पित्त (bile) लीवर में इकट्ठा हो जाता है, जिससे लिवर को नुकसान पहुंचता है और धीरे-धीरे सिरोसिस (Cirrhosis) विकसित हो जाता है। यह रोग Primary Biliary Cholangitis (PBC) के रूप में भी जाना जाता है, और यह मुख्यतः महिलाओं में अधिक पाया जाता है।
Biliary Cirrhosis क्या होता है ? (What is Biliary Cirrhosis?)
Biliary Cirrhosis में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) खुद की पित्त नलिकाओं पर हमला करती है। इससे पित्त लीवर से आंतों में नहीं पहुंच पाता और लीवर में जमा होकर उसे नुकसान पहुंचाता है। समय के साथ यह लिवर सिरोसिस, लीवर फेल्योर या लीवर कैंसर का कारण बन सकता है।
Biliary Cirrhosis के प्रकार (Types of Biliary Cirrhosis):
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Primary Biliary Cirrhosis / Primary Biliary Cholangitis (PBC):
- यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें छोटी पित्त नलिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होती हैं।
- अधिकतर 40 से 60 वर्ष की महिलाओं में पाया जाता है।
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Secondary Biliary Cirrhosis:
- यह बाहरी कारणों (जैसे पित्त नली में रुकावट, गॉलब्लैडर स्टोन, ट्यूमर) से होता है।
- इसमें पित्त नलिकाएं यांत्रिक रूप से बाधित होती हैं जिससे पित्त बाहर नहीं निकल पाता।
Biliary Cirrhosis के कारण (Causes):
Primary Biliary Cirrhosis के कारण:
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune disease)
- परिवार में इस बीमारी का इतिहास (Genetics)
- वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण
- हॉर्मोनल असंतुलन
Secondary Biliary Cirrhosis के कारण:
- बाइल डक्ट में रुकावट (Obstruction in bile ducts)
- गॉलब्लैडर स्टोन (Gallstones)
- बाइल डक्ट ट्यूमर या कैंसर
- सर्जरी के बाद पित्त नली में चोट
- क्रॉनिक पैनक्रिएटाइटिस
Biliary Cirrhosis के लक्षण (Symptoms of Biliary Cirrhosis):
शुरुआती लक्षण हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ गंभीर हो जाते हैं:
- थकान (Fatigue)
- त्वचा में खुजली (Severe itching)
- पीलिया (Jaundice)
- गहरे रंग का मूत्र (Dark urine)
- हल्के रंग का मल (Pale-colored stool)
- पेट और टखनों में सूजन (Abdominal and ankle swelling)
- त्वचा पर छोटे रक्त धब्बे (Spider angiomas)
- हड्डियों का कमजोर होना (Osteoporosis)
- वजन में कमी और भूख की कमी
Biliary Cirrhosis कैसे पहचाने (Diagnosis of Biliary Cirrhosis):
- लिवर फंक्शन टेस्ट (LFTs)
- एंटी-माइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी (AMA) टेस्ट
- अल्ट्रासाउंड और CT स्कैन
- लिवर बायोप्सी (Liver biopsy)
- MRI cholangiography या ERCP
Biliary Cirrhosis इलाज (Treatment of Biliary Cirrhosis):
1. दवाइयों द्वारा उपचार:
- Ursodeoxycholic acid (UDCA): पित्त प्रवाह को बेहतर बनाता है
- Obeticholic acid (यदि UDCA काम न करे)
- Antihistamines और Cholestyramine: खुजली के लिए
- विटामिन सप्लीमेंट्स (A, D, E, K)
2. लिवर प्रत्यारोपण (Liver Transplant):
- अंतिम स्टेज पर जब लिवर पूरी तरह डैमेज हो जाए।
घरेलू उपाय (Home Remedies for Biliary Cirrhosis):
- लो-फैट और हाई-फाइबर डाइट लें
- ज्यादा पानी पिएं और शराब से परहेज करें
- हल्दी (Turmeric) – प्राकृतिक सूजनरोधी
- दूध में शहद मिलाकर पीना (पाचन के लिए सहायक)
- योग और ध्यान – तनाव नियंत्रण में सहायक
नोट: घरेलू उपाय सिर्फ सपोर्ट के रूप में अपनाएं, मुख्य इलाज डॉक्टर के अनुसार ही करें।
रोकथाम (Prevention of Biliary Cirrhosis):
- शराब का सेवन न करें
- वायरल हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीकाकरण करवाएं
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
- पित्ताशय या पित्त नलिकाओं की किसी भी समस्या का समय पर इलाज करें
- नियमित लिवर टेस्ट कराते रहें यदि रिस्क फैक्टर मौजूद हों
सावधानियाँ (Precautions):
- कोई भी लक्षण नज़रअंदाज़ न करें
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों को नियमित रूप से लें
- लिवर डैमेज को रोकने के लिए शराब और जंक फूड से दूर रहें
- डॉक्टर से बिना पूछे कोई सप्लीमेंट न लें
- सर्जरी या ट्रांसप्लांट के बाद फॉलोअप नियमित रखें
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. क्या Biliary Cirrhosis पूरी तरह ठीक हो सकता है?
प्राथमिक चरण में इसका इलाज दवाओं से संभव है, लेकिन बाद के चरणों में केवल लिवर ट्रांसप्लांट ही विकल्प होता है।
Q2. यह पुरुषों में भी हो सकता है?
हाँ, लेकिन यह महिलाओं में अधिक सामान्य है।
Q3. क्या यह बीमारी अनुवांशिक है?
कुछ मामलों में पारिवारिक इतिहास इसका खतरा बढ़ा सकता है।
Q4. क्या बिना लक्षण के भी यह हो सकता है?
हाँ, शुरुआती चरण में कोई विशेष लक्षण नहीं होते।
निष्कर्ष (Conclusion):
Biliary Cirrhosis (बिलियरी सिरोसिस) एक गंभीर लेकिन पहचान योग्य और मैनेज करने योग्य लिवर रोग है। इसका शीघ्र निदान और इलाज लीवर को गंभीर नुकसान से बचा सकता है। सही समय पर दवाओं का सेवन, जीवनशैली में बदलाव और डॉक्टर की देखरेख में रहने से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।