सर्वाइकल मायलोपैथी (CSM): क्या है यह गंभीर रीढ़ की हड्डी की समस्या, लक्षण और पूरा इलाज?
क्या आपको चलते समय संतुलन बनाने में दिक्कत आती है? क्या आपके हाथों में कमजोरी या अजीब सा झुनझुनाहट महसूस होती है? अगर हाँ, तो यह सर्वाइकल मायलोपैथी (Cervical Spondylotic Myelopathy - CSM) का संकेत हो सकता है, जो गर्दन की रीढ़ की हड्डी से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है। यह केवल गर्दन दर्द से कहीं बढ़कर है, क्योंकि यह सीधे आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) को प्रभावित करती है।
सर्वाइकल मायलोपैथी (CSM) क्या है?
सर्वाइकल मायलोपैथी एक ऐसी स्थिति है जहाँ गर्दन की रीढ़ की हड्डी (spinal cord) पर धीरे-धीरे दबाव पड़ने लगता है। यह दबाव आमतौर पर सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के कारण होता है, जो उम्र के साथ गर्दन की रीढ़ में होने वाले टूट-फूट और बदलावों को दर्शाता है।
जब ये बदलाव (जैसे हड्डी में बोन स्पर्स का बनना, डिस्क का सूखना और फैलना, या लिगामेंट्स का मोटा होना) रीढ़ की हड्डी के रास्ते को संकरा कर देते हैं, तो रीढ़ की हड्डी दबने लगती है। यह संपीड़न (compression) शरीर के अन्य हिस्सों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पैदा कर सकता है क्योंकि रीढ़ की हड्डी मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच संदेशों को प्रसारित करने का मुख्य मार्ग है।
सर्वाइकल मायलोपैथी (CSM) के लक्षण क्या हैं?
सीएसएम के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो सकता है। जैसे-जैसे रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, लक्षण भी बदतर होते जाते हैं।
मुख्य लक्षण जिनमें आपको ध्यान देना चाहिए:
चलने में दिक्कत और संतुलन बिगड़ना: यह सबसे आम और परेशान करने वाला लक्षण है। व्यक्ति लड़खड़ा कर चल सकता है, संतुलन खो सकता है या उसे ऐसा महसूस हो सकता है कि वह जमीन पर पैर सही से नहीं रख पा रहा है।
हाथों में कमजोरी और फाइन मोटर स्किल्स में कमी: हाथों की छोटी, सटीक गतिविधियों को करने में मुश्किल होना, जैसे बटन बंद करना, लिखना, सिक्के उठाना या चाबी घुमाना।
हाथों और पैरों में सुन्नता या झुनझुनी: अक्सर दस्ताने या मोजे जैसा अहसास होता है, या बिजली के झटके जैसी सनसनी।
पैरों में अकड़न (Spasticity): पैरों की मांसपेशियां कठोर या कसी हुई महसूस हो सकती हैं, जिससे चलना और भी मुश्किल हो जाता है।
गर्दन में दर्द और अकड़न: हालांकि यह हमेशा मुख्य लक्षण नहीं होता, गर्दन में दर्द या अकड़न भी मौजूद हो सकती है।
मूत्राशय या आंत्र संबंधी समस्याएं: गंभीर मामलों में, मूत्राशय या आंत्र नियंत्रण का नुकसान हो सकता है।
पैरों में कमजोरी: मांसपेशियों की कमजोरी महसूस होना।
यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
CSM के कारण क्या हैं?
सर्वाइकल मायलोपैथी का सबसे आम कारण सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस ही है। उम्र के साथ रीढ़ की हड्डी में होने वाले सामान्य बदलाव ही इस स्थिति को जन्म देते हैं:
डिस्क डिजनरेशन (Disc Degeneration): गर्दन की कशेरुकाओं (vertebrae) के बीच की कुशन जैसी डिस्क सूख जाती हैं, पतली हो जाती हैं और अपनी ऊंचाई खो देती हैं। इससे कशेरुकाएं एक-दूसरे के करीब आ जाती हैं।
बोन स्पर्स (Bone Spurs/Osteophytes): हड्डी के अनावश्यक विकास, जिन्हें बोन स्पर्स कहा जाता है, रीढ़ की हड्डी के कैनाल या तंत्रिका के निकलने वाले छिद्रों में बन सकते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी का संपीड़न होता है।
लिगामेंट का मोटा होना (Thickening of Ligaments): रीढ़ की हड्डी को सहारा देने वाले लिगामेंट्स (जैसे लिगामेंटम फ्लेवम) समय के साथ मोटे और कठोर हो सकते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ सकता है।
डिस्क हर्निएशन (Disc Herniation): हालांकि कम आम, एक हर्नियेटेड डिस्क भी रीढ़ की हड्डी पर अचानक या गंभीर दबाव डाल सकती है।
आघात या चोट (Trauma or Injury): गर्दन में लगी पुरानी चोटें भी भविष्य में सीएसएम के विकास का कारण बन सकती हैं।
सर्वाइकल मायलोपैथी (CSM) का निदान कैसे होता है?
सीएसएम का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरीकों का उपयोग करते हैं:
शारीरिक परीक्षण (Physical Examination): डॉक्टर आपकी सजगता (reflexes), मांसपेशियों की ताकत, संतुलन और चाल की जांच करेंगे।
मेडिकल हिस्ट्री (Medical History): आपके लक्षणों, उनके शुरू होने के समय और किसी भी पिछली चिकित्सा स्थिति के बारे में जानकारी ली जाएगी।
इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests):
एमआरआई (MRI): यह रीढ़ की हड्डी, डिस्क और लिगामेंट्स की विस्तृत छवियां प्रदान करता है और रीढ़ की हड्डी पर दबाव को स्पष्ट रूप से दिखाता है। यह निदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट है।
सीटी स्कैन (CT Scan): हड्डियों की संरचना और बोन स्पर्स को बेहतर ढंग से देखने में मदद करता है।
सीटी मायलोग्राम (CT Myelogram): इसमें रीढ़ की हड्डी के चारों ओर एक डाई इंजेक्ट की जाती है और फिर सीटी स्कैन किया जाता है, जो दबाव के क्षेत्रों को और स्पष्ट करता है।
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल टेस्ट (Electrophysiological Tests):
इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) और नर्व कंडक्शन स्टडी (NCS): ये परीक्षण मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के कार्य का आकलन करने में मदद करते हैं, यह पता लगाने के लिए कि क्या लक्षण तंत्रिका जड़ संपीड़न (radiculopathy) के कारण हैं या रीढ़ की हड्डी संपीड़न (myelopathy) के कारण।
सोमैटोसेंसरी इवोक्ड पोटेंशियल (SSEP): यह रीढ़ की हड्डी के माध्यम से तंत्रिका संकेतों की गति का आकलन करता है।
सर्वाइकल मायलोपैथी (CSM) का इलाज
सीएसएम का उपचार आमतौर पर रीढ़ की हड्डी पर दबाव को कम करने और लक्षणों को बिगड़ने से रोकने पर केंद्रित होता है। कई मामलों में, सर्जरी ही सबसे प्रभावी उपचार विकल्प होती है।
1. गैर-सर्जिकल उपचार (Non-Surgical Treatment):
हल्के लक्षणों या उन रोगियों के लिए जिनमें सर्जरी का जोखिम अधिक होता है, डॉक्टर पहले कुछ गैर-सर्जिकल उपाय सुझा सकते हैं। हालांकि, मायलोपैथी एक प्रगतिशील स्थिति है और गैर-सर्जिकल उपचार अक्सर केवल लक्षणों को प्रबंधित करते हैं, न कि रीढ़ की हड्डी पर दबाव को हटाते हैं।
दवाएं: दर्द और सूजन को कम करने के लिए।
फिजियोथेरेपी (सावधानी के साथ): गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और पोस्चर में सुधार करने के लिए, लेकिन रीढ़ की हड्डी पर और दबाव डालने से बचने के लिए इसे बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए।
गर्दन का कॉलर: गति को सीमित करने और दर्द कम करने के लिए अस्थायी रूप से।
2. सर्जिकल उपचार (Surgical Treatment):
अधिकांश CSM रोगियों के लिए, सर्वाइकल डिकंप्रेशन सर्जरी (Cervical Decompression Surgery) सबसे प्रभावी उपचार है। सर्जरी का मुख्य लक्ष्य रीढ़ की हड्डी पर दबाव को कम करना और लक्षणों को और खराब होने से रोकना है।
सर्जन दबाव पैदा करने वाली हड्डी, डिस्क या लिगामेंट के हिस्से को हटा देगा। विभिन्न सर्जिकल तकनीकें हैं:
एंटीरियर सर्वाइकल डिसकेक्टॉमी और फ्यूजन (ACDF): गर्दन के सामने से पहुंच कर क्षतिग्रस्त डिस्क को हटा दिया जाता है और कशेरुकाओं को जोड़ा (फ्यूज) जाता है।
लैमिनेक्टॉमी (Laminectomy): गर्दन के पीछे से पहुंच कर रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली हड्डी (लैमिना) का एक हिस्सा हटा दिया जाता है ताकि रीढ़ की हड्डी के लिए अधिक जगह बन सके।
लैमिनोप्लास्टी (Laminoplasty): लैमिना को पूरी तरह हटाने के बजाय, इसे एक तरफ से "हिंज" किया जाता है और खुला छोड़ दिया जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी के लिए अधिक जगह बन जाती है।
पश्च सर्वाइकल फ्यूजन (Posterior Cervical Fusion): कुछ मामलों में, रीढ़ की हड्डी को स्थिर करने के लिए पीछे से कशेरुकाओं को फ्यूज किया जाता है।
सर्जरी के बाद रिकवरी और पुनर्वास:
सर्जरी के बाद, रिकवरी के लिए फिजियोथेरेपी और पुनर्वास (rehabilitation) महत्वपूर्ण हैं। यह ताकत, लचीलेपन और संतुलन को फिर से बनाने में मदद करता है।
कब डॉक्टर को दिखाएं?
यदि आपको चलने में दिक्कत, संतुलन का बिगड़ना, हाथों में कमजोरी या सुन्नता जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो इसे बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ न करें। यह सर्वाइकल मायलोपैथी का संकेत हो सकता है और शुरुआती निदान व उपचार भविष्य में होने वाली स्थायी अक्षमता को रोकने में मदद कर सकता है। जितनी जल्दी रीढ़ की हड्डी पर से दबाव हटाया जाता है, परिणाम उतने ही बेहतर होने की संभावना होती है।
अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें और किसी भी गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षण पर तुरंत चिकित्सा सलाह लें।