Khushveer Choudhary

Chloasma क्या है? कारण, लक्षण, इलाज, बचाव और घरेलू उपाय

Chloasma, जिसे Melasma (मलास्मा) भी कहा जाता है, एक सामान्य त्वचा संबंधी समस्या है जिसमें चेहरे की त्वचा पर भूरे, स्लेटी या हल्के काले रंग के धब्बे या चकत्ते दिखाई देते हैं। यह स्थिति अधिकतर महिलाओं में गर्भावस्था, हार्मोनल परिवर्तन या सूर्य की तेज़ किरणों के संपर्क में आने के कारण देखी जाती है। इसे "Mask of Pregnancy" भी कहा जाता है जब यह गर्भावस्था के दौरान होता है।








क्लोआस्मा क्या होता है  (What is Chloasma)?

Chloasma त्वचा पर होने वाला एक हाइपरपिगमेंटेशन (Hyperpigmentation) है जो सामान्यतः गाल, माथे, नाक और ऊपरी होंठ पर होता है। यह दर्द रहित होता है लेकिन सौंदर्य को प्रभावित कर सकता है।

क्लोआस्मा के कारण (Causes of Chloasma / Melasma)

  1. हार्मोनल बदलाव (Hormonal changes) – गर्भावस्था, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन या हार्मोनल थेरेपी।
  2. सूर्य की किरणें (Sun exposure) – UV rays मेलानिन के उत्पादन को बढ़ाती हैं।
  3. पारिवारिक इतिहास (Genetics) – अगर परिवार में किसी को हो तो संभावना अधिक होती है।
  4. कॉस्मेटिक्स का उपयोग (Use of cosmetics) – कुछ स्किन केयर प्रोडक्ट्स रिएक्शन कर सकते हैं।
  5. दवाइयों का प्रभाव (Side effects of medicines) – विशेषकर हार्मोनल या एंटी-एपिलेप्टिक दवाइयां।
  6. तनाव और थायरॉइड समस्या (Stress and thyroid disorders) – यह भी कारण हो सकते हैं।

क्लोआस्मा के लक्षण (Symptoms of Chloasma / Melasma)

  • गालों, माथे, नाक, और ऊपरी होंठ पर भूरा या स्लेटी धब्बा
  • असमान रंग का पैच
  • आमतौर पर दर्द, जलन या खुजली नहीं होती
  • दोनों गालों पर एक जैसा धब्बा (Symmetrical pattern)

क्लोआस्मा की पहचान (Diagnosis of Chloasma)

  • डर्माटोलॉजिकल जांच (Dermatological examination) – त्वचा विशेषज्ञ लक्षणों को देखकर पहचान करते हैं।
  • Wood's lamp test – इससे त्वचा की गहराई में छिपे पिगमेंट को देखा जा सकता है।
  • स्किन बायोप्सी (Skin biopsy) – ज़रूरत पड़ने पर की जाती है।

क्लोआस्मा का इलाज (Treatment of Chloasma)

  1. टॉपिकल क्रीम (Topical creams) – हाइड्रोक्विनोन (Hydroquinone), ट्रेटिनॉइन (Tretinoin), कोजिक एसिड (Kojic acid) आदि।
  2. सनस्क्रीन (Sunscreen) – SPF 30+ वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन जरूरी है।
  3. केमिकल पील (Chemical peels) – डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह से।
  4. लेजर थेरेपी (Laser therapy) – गंभीर मामलों में।
  5. हार्मोन संतुलन (Hormonal balance) – अगर हार्मोनल असंतुलन कारण हो।

क्लोआस्मा से बचाव (Prevention of Chloasma)

  • सूर्य की रोशनी से बचाव (Sun protection)
  • नियमित रूप से सनस्क्रीन का उपयोग
  • गर्भावस्था या हार्मोनल उपचार के दौरान स्किन की विशेष देखभाल
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स या दवाइयों का प्रयोग न करें

क्लोआस्मा के घरेलू उपाय (Home Remedies for Chloasma)

  1. एलोवेरा जेल (Aloe vera gel) – त्वचा को ठंडक और पोषण देने वाला
  2. नींबू और शहद (Lemon and honey) – हल्का ब्लीचिंग प्रभाव
  3. हल्दी और दूध (Turmeric and milk) – मेलानिन नियंत्रित करने वाला मिश्रण
  4. पपीते का पेस्ट (Papaya paste) – डेड स्किन हटाने और स्किन टोन सुधारने में मददगार
  5. बेसन और दही (Gram flour and curd) – चेहरे को चमकदार और दाग रहित बनाता है

नोट: घरेलू उपाय प्रयोग से पहले पैच टेस्ट अवश्य करें।

क्लोआस्मा में सावधानियाँ (Precautions in Chloasma)

  • सूर्य में बाहर जाते समय स्कार्फ या टोपी पहनें
  • नियमित सनस्क्रीन का प्रयोग करें
  • रासायनिक क्रीम का अत्यधिक उपयोग न करें
  • त्वचा पर रगड़ना या खरोंचना नहीं चाहिए
  • स्किन केयर प्रोडक्ट्स बदलने से पहले डॉक्टर से सलाह लें

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: क्या क्लोआस्मा हमेशा के लिए होता है?
उत्तर: नहीं, यह सही इलाज और सावधानी से समय के साथ हल्का या पूरी तरह ठीक हो सकता है।

प्रश्न 2: क्या पुरुषों को भी क्लोआस्मा होता है?
उत्तर: हां, लेकिन बहुत कम। यह समस्या महिलाओं में अधिक पाई जाती है।

प्रश्न 3: क्या क्लोआस्मा संक्रामक है?
उत्तर: नहीं, यह एक गैर-संक्रामक त्वचा विकार है।

प्रश्न 4: गर्भावस्था के बाद क्लोआस्मा खुद ठीक हो जाता है?
उत्तर: कई मामलों में हां, लेकिन कुछ महिलाओं को ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5: क्या घरेलू उपायों से भी क्लोआस्मा ठीक हो सकता है?
उत्तर: हल्के मामलों में घरेलू उपाय मददगार हो सकते हैं, लेकिन गंभीर स्थिति में डॉक्टर से संपर्क जरूरी है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Chloasma / Melasma एक आम लेकिन सौंदर्य को प्रभावित करने वाली त्वचा समस्या है। हालांकि यह गंभीर नहीं होती, पर इसका प्रभाव आत्मविश्वास पर पड़ सकता है। समय पर पहचान, सही इलाज और उचित सावधानी बरतने से इसे प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। घरेलू उपाय और सूर्य से सुरक्षा इसमें अहम भूमिका निभाते हैं।


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