Chronic Urinary Tract Infection : कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के उपाय

Chronic Urinary Tract Infection (क्रोनिक मूत्र मार्ग संक्रमण) एक ऐसी स्थिति है जिसमें मूत्र प्रणाली (Urinary System) में बार-बार या लंबे समय तक संक्रमण बना रहता है। सामान्य यूटीआई (UTI) के विपरीत, यह संक्रमण पूरी तरह से ठीक नहीं होता या फिर बार-बार लौटकर आता है। यह संक्रमण मुख्यतः मूत्राशय (Bladder), मूत्रनली (Urethra), मूत्रवाहिनी (Ureters), और कभी-कभी गुर्दों (Kidneys) तक भी पहुँच सकता है।

Chronic Urinary Tract Infection क्या होता है Chronic ? (What is Chronic Chronic Urinary Tract Infection?)

जब किसी व्यक्ति को 6 महीने में दो बार या एक वर्ष में तीन या अधिक बार मूत्र मार्ग संक्रमण हो, तो इसे Chronic Urinary Tract Infection कहा जाता है। यह संक्रमण बार-बार दोहराया जाता है और कभी-कभी लक्षणों की अनुपस्थिति में भी बना रहता है।

Chronic Urinary Tract Infection कारण (Causes of Chronic Urinary Tract Infection):

  1. अधूरा या बार-बार छोड़ा गया एंटीबायोटिक कोर्स (Incomplete or irregular antibiotic treatment)
  2. बैक्टीरियल पुनः संक्रमण (Reinfection by bacteria like E. coli)
  3. मूत्राशय पूरी तरह से खाली न होना (Incomplete bladder emptying)
  4. मूत्र प्रणाली में संरचनात्मक दोष (Anatomical abnormalities of urinary tract)
  5. बार-बार कैथेटर का उपयोग (Frequent use of urinary catheter)
  6. मधुमेह (Diabetes mellitus)
  7. प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी (Weak immune system)
  8. यौन गतिविधियाँ (Frequent sexual activity)
  9. रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन की कमी (Post-menopausal estrogen deficiency)

Chronic Urinary Tract Infection के लक्षण (Symptoms of Chronic UTI):

  1. बार-बार पेशाब आने की इच्छा (Frequent urge to urinate)
  2. पेशाब करते समय जलन या दर्द (Burning sensation while urinating)
  3. पेशाब में दुर्गंध या मटमैला रंग (Foul-smelling or cloudy urine)
  4. पेट के निचले हिस्से में दर्द (Pain in lower abdomen)
  5. थकान और कमजोरी (Fatigue and weakness)
  6. हल्का बुखार (Mild fever)
  7. बार-बार संक्रमण लौट आना (Recurrent episodes of UTI)
  8. कभी-कभी पीठ में दर्द (Back pain – especially if kidneys are involved)

Chronic Urinary Tract Infection पहचान (Diagnosis of Chronic UTI):

  1. यूरिन एनालिसिस (Urinalysis) – ल्यूकोसाइट्स, नाइट्राइट्स, बैक्टीरिया की जांच
  2. यूरिन कल्चर (Urine Culture) – संक्रमणकारी बैक्टीरिया की पहचान
  3. ब्लड टेस्ट (Blood Tests) – शरीर में सूजन या इन्फेक्शन के संकेत
  4. अल्ट्रासाउंड / CT स्कैन (Ultrasound / CT scan) – मूत्र प्रणाली में रुकावट या पथरी देखने हेतु
  5. सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy) – मूत्राशय की आंतरिक जांच
  6. KUB X-ray या IVP टेस्ट – किडनी और मूत्रमार्ग की संरचना देखने के लिए

Chronic Urinary Tract Infection इलाज (Treatment of Chronic Chronic Urinary Tract Infection):

  1. लंबी अवधि की एंटीबायोटिक थेरेपी (Long-term antibiotics) – डॉक्टर के निर्देश अनुसार
  2. संक्रमण के अनुसार एंटीबायोटिक चयन (Targeted therapy as per culture result)
  3. प्रोबायोटिक्स (Probiotics) – अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देने हेतु
  4. इम्यून सिस्टम को मजबूत करने की दवाएं (Immunomodulators)
  5. एस्ट्रोजन क्रीम या हार्मोनल थेरेपी (Postmenopausal women)
  6. संरचनात्मक समस्याओं की सर्जरी (Surgery for anatomical issues, if needed)

Chronic Urinary Tract Infection कैसे रोके (Prevention of Chronic Chronic Urinary Tract Infection):

  1. रोज़ाना 8–10 गिलास पानी पिएँ (Drink sufficient water daily)
  2. पेशाब को देर तक न रोकें (Avoid holding urine)
  3. यौन क्रिया के बाद पेशाब करें (Urinate after sexual intercourse)
  4. जननांगों की स्वच्छता बनाए रखें (Maintain genital hygiene)
  5. कॉटन के अंडरवियर पहनें (Wear breathable cotton underwear)
  6. बहुत तंग कपड़े न पहनें (Avoid tight-fitting clothes)
  7. मधुमेह या अन्य बीमारियों को नियंत्रित रखें (Control diabetes or underlying conditions)

Chronic Urinary Tract Infection घरेलू उपाय (Home Remedies for Chronic Chronic Urinary Tract Infection):

  1. क्रैनबेरी जूस (Cranberry juice) – बैक्टीरिया को ब्लैडर की दीवारों से चिपकने से रोकता है
  2. नारियल पानी (Coconut water) – मूत्र प्रणाली की सफाई में सहायक
  3. मेथी दाना का पानी (Fenugreek seeds water) – संक्रमण कम करने में उपयोगी
  4. नीम और तुलसी की पत्तियाँ (Neem and Tulsi leaves) – प्राकृतिक जीवाणुरोधी गुण
  5. सेब का सिरका (Apple cider vinegar) – 1 चम्मच गुनगुने पानी में
  6. गुनगुने पानी में बैठकर स्नान (Sitz bath) – जलन और सूजन में राहत

सावधानियाँ (Precautions in Chronic UTI):

  1. बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक न लें
  2. एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स समय पर और नियमित रूप से लें
  3. घरेलू उपायों को इलाज का विकल्प न बनाएं
  4. बार-बार संक्रमण होने पर विशेषज्ञ से जाँच कराएं
  5. स्वच्छता और हाइजीन का विशेष ध्यान रखें
  6. नियमित रूप से ब्लड शुगर और यूरिन जांच कराते रहें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

प्रश्न 1: क्या Chronic UTI हमेशा से ठीक हो सकता है?
उत्तर: हां, अगर समय पर निदान और पूरा इलाज किया जाए तो Chronic UTI को नियंत्रित और ठीक किया जा सकता है।

प्रश्न 2: क्या हर बार संक्रमण में एंटीबायोटिक लेना जरूरी है?
उत्तर: नहीं, सिर्फ डॉक्टर द्वारा निर्धारित स्थिति में ही एंटीबायोटिक लें और प्रयोग से पहले यूरिन कल्चर कराना बेहतर होता है।

प्रश्न 3: महिलाओं में Chronic UTI अधिक क्यों होता है?
उत्तर: महिलाओं की मूत्रनली छोटी होती है, जिससे बैक्टीरिया को मूत्राशय तक पहुंचने में आसानी होती है।

प्रश्न 4: क्या Chronic UTI से किडनी खराब हो सकती है?
उत्तर: हां, बार-बार संक्रमण untreated रहने पर यह किडनी को नुकसान पहुँचा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

Chronic Urinary Tract Infection (क्रोनिक मूत्र मार्ग संक्रमण) एक आम लेकिन उपेक्षित समस्या है जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। इसके बार-बार लौटने वाले लक्षण व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से परेशान कर सकते हैं। सही निदान, पर्याप्त इलाज, जीवनशैली में बदलाव, और स्वच्छता के उपायों से इस स्थिति को रोका और ठीक किया जा सकता है। यदि लक्षण बार-बार लौट रहे हों, तो डॉक्टर से जल्द परामर्श लें।


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