Citrullinemia : कारण, लक्षण, इलाज, डाइट, घरेलू उपाय और सावधानियाँ

Citrullinemia (सिट्रुलीनीमिया) एक दुर्लभ आनुवंशिक (genetic) विकार है जिसमें शरीर प्रोटीन के टूटने से उत्पन्न होने वाले नाइट्रोजन को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता। इसका कारण यूरिया चक्र में एक एंजाइम की कमी होती है जिससे शरीर में अमोनिया (Ammonia) नामक विषैली गैस खून में जमा हो जाती है। यदि इसका इलाज समय पर न हो, तो यह मस्तिष्क को नुकसान पहुँचा सकती है और जानलेवा हो सकती है।








Citrullinemia क्या होता है ? (What is Citrullinemia?)

Citrullinemia एक Urea Cycle Disorder है। यह तब होता है जब यूरिया चक्र में शामिल एक जरूरी एंजाइम argininosuccinate synthetase की कमी होती है। इससे अमोनिया शरीर में जमने लगता है जो शिशुओं, बच्चों या बड़ों के लिए खतरनाक हो सकता है।

यह दो प्रकार का होता है:

  1. Type 1 (क्लासिक टाइप) – नवजात में गंभीर लक्षण
  2. Type 2 (लेट-ऑनसेट) – किशोर या व्यस्क अवस्था में लक्षण उभरते हैं

Citrullinemia कारण (Causes of Citrullinemia)

  • यह एक आनुवंशिक विकार है जो ऑटोसोमल रिसेसिव (Autosomal Recessive) पैटर्न में फैलता है
  • यदि माता-पिता दोनों में दोषपूर्ण जीन हो, तो बच्चे को यह रोग हो सकता है
  • ASS1 जीन में उत्परिवर्तन (mutation) इसका मुख्य कारण है

Citrullinemia के लक्षण (Symptoms of Citrullinemia)

Type 1 Citrullinemia (शिशुओं में):

  • सुस्ती (Lethargy)
  • उल्टी (Vomiting)
  • भूख में कमी (Poor feeding)
  • साँस लेने में कठिनाई (Breathing problems)
  • दौरे पड़ना (Seizures)
  • कोमा में जाना (Coma)
  • मानसिक विकास में रुकावट (Developmental delay)

Type 2 Citrullinemia (किशोर/वयस्क में):

  • व्यवहार में बदलाव (Behavioral changes)
  • भ्रम (Confusion)
  • मतिभ्रम (Hallucinations)
  • कोमा
  • उच्च अमोनिया स्तर (Hyperammonemia)

निदान (Diagnosis of Citrullinemia)

  • नवजात स्क्रीनिंग (Newborn Screening Test)
  • ब्लड अमोनिया लेवल टेस्ट
  • अमीनो एसिड एनालिसिस (Plasma Amino Acids Test)
  • यूरीन ऑर्गेनिक एसिड टेस्ट
  • जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing for ASS1 Mutation)

Citrullinemia  इलाज (Treatment of Citrullinemia)

  • लो-प्रोटीन डाइट (Low Protein Diet)
  • नाइट्रोजन-बाध्यकारी दवाएं (Nitrogen Scavenger Medicines) – जैसे sodium benzoate, sodium phenylbutyrate
  • अर्जिनिन सप्लीमेंट (Arginine supplements)
  • इंट्रावेनस डेक्सट्रोज़ और लिपिड (IV Glucose and Lipids)
  • डायलिसिस (Hemodialysis in severe hyperammonemia)
  • लीवर ट्रांसप्लांट (Liver transplant in chronic/severe cases)

Citrullinemia कैसे रोके (Prevention of Citrullinemia)

  • वैवाहिक जीवन से पहले जेनेटिक काउंसलिंग कराएं
  • परिवार में किसी को यह रोग हो तो प्रेगनेंसी में जेनेटिक स्क्रीनिंग कराएं
  • नवजातों की निःशुल्क स्क्रीनिंग प्रोग्राम का लाभ लें

घरेलू उपाय (Home Remedies for Citrullinemia)

नोट: यह रोग घरेलू उपायों से नहीं ठीक हो सकता। फिर भी कुछ सहायक उपाय:

  • प्रोटीन रहित भोजन
  • अधिक कार्बोहाइड्रेट और कैलोरीयुक्त डाइट
  • नियमित दवाएं समय पर देना
  • बार-बार डॉक्टर की सलाह लेना
  • डिहाइड्रेशन से बचाव

सावधानियाँ (Precautions for Citrullinemia)

  • प्रोटीन की मात्रा सीमित रखें
  • बुखार, उल्टी या संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
  • नियमित रूप से अमोनिया लेवल की जांच करवाएं
  • मानसिक स्थिति में परिवर्तन को हल्के में न लें
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1. क्या Citrullinemia का इलाज संभव है?
उत्तर: हाँ, डाइट नियंत्रण, दवाओं और ट्रांसप्लांट से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

Q2. क्या यह बीमारी जीवनभर रहती है?
उत्तर: हाँ, यह जन्म से होता है और जीवनभर रह सकता है; परंतु इलाज से जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाई जा सकती है।

Q3. क्या सभी नवजातों की जांच की जाती है?
उत्तर: भारत में अब कुछ राज्यों में नवजात स्क्रीनिंग प्रोग्राम शुरू हो चुके हैं, लेकिन यह सभी जगह अनिवार्य नहीं है।

Q4. क्या इस रोग से बच्चे का मानसिक विकास रुक जाता है?
उत्तर: हाँ, अगर इलाज में देरी हो जाए तो मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है।

कैसे पहचाने (How to Identify Citrullinemia)?

  • यदि शिशु जन्म के कुछ दिनों में सुस्त हो, उल्टी करे, खाना न खाए या कोमा में चला जाए
  • किशोर या व्यस्क में मानसिक भ्रम, आक्रामकता, या दौरे आने लगें
  • तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें और अमोनिया लेवल की जांच करवाएं

निष्कर्ष (Conclusion)

Citrullinemia (सिट्रुलीनीमिया) एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय आनुवंशिक रोग है। यदि इसे जन्म के तुरंत बाद पहचान लिया जाए और सही इलाज किया जाए, तो व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। यह जरूरी है कि समाज में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाए और सभी बच्चों की जन्म के समय स्क्रीनिंग करवाई जाए।


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