Congenital Nephrosis की सम्पूर्ण जानकारी: कारण, लक्षण, इलाज और सावधानियाँ

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस (Congenital Nephrosis) एक गंभीर जन्मजात किडनी रोग है, जो नवजात शिशुओं में जन्म के समय या जीवन के पहले कुछ महीनों में ही दिखाई देता है। इस स्थिति में किडनी की फिल्टरिंग यूनिट (ग्लोमेरुलस) सामान्य रूप से कार्य नहीं करती, जिससे अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन मूत्र के माध्यम से बाहर निकलता है (Proteinuria)। यह रोग आमतौर पर अनुवांशिक होता है और कुछ विशेष जीन परिवर्तन इसके लिए जिम्मेदार होते हैं।

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस क्या होता है ? (What is Congenital Nephrosis?)

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस एक प्रकार की नेफ्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic Syndrome) है, जो जीवन के पहले तीन महीनों के अंदर शुरू हो जाती है। यह किडनी में स्थित ग्लोमेरुलस की क्षति के कारण होता है, जिससे शरीर में प्रोटीन की कमी, सूजन, संक्रमण और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस कारण (Causes of Congenital Nephrosis):

  1. आनुवांशिक कारण (Genetic Causes) – विशेष रूप से NPHS1, NPHS2 और WT1 जैसे जीनों में म्यूटेशन।
  2. फिनिश टाइप नेफ्रोसिस (Finnish Type Nephrosis) – यह एक अनुवांशिक रूप है जो विशेष रूप से फिनलैंड में आम है।
  3. गर्भावस्था में संक्रमण (Intrauterine Infections) – जैसे कि सिफिलिस (Syphilis), साइटोमेगालोवायरस (CMV) आदि।
  4. स्वप्रतिरक्षित रोग (Autoimmune diseases) – कभी-कभी गर्भ में मां की एंटीबॉडी का प्रभाव।

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस के लक्षण (Symptoms of Congenital Nephrosis):

  1. अत्यधिक मूत्र में प्रोटीन (Heavy proteinuria)
  2. पूरे शरीर में सूजन (Generalized edema), खासकर चेहरे और आंखों के आसपास
  3. वजन में अत्यधिक वृद्धि या अचानक कमी (Abnormal weight gain/loss)
  4. बार-बार संक्रमण (Frequent infections)
  5. भूख की कमी (Poor feeding)
  6. पेट में सूजन (Ascites)
  7. त्वचा पीली और शुष्क होना (Pale and dry skin)

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस कैसे पहचाने? (Diagnosis of Congenital Nephrosis):

  1. यूरिन टेस्ट (Urine Test) – प्रोटीन की मात्रा जांचने के लिए।
  2. ब्लड टेस्ट (Blood Test) – एल्ब्युमिन की कमी, कोलेस्ट्रॉल और किडनी फंक्शन का मूल्यांकन।
  3. किडनी बायोप्सी (Kidney Biopsy) – क्षति की जांच के लिए।
  4. जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing) – जीन म्यूटेशन की पुष्टि के लिए।
  5. अल्ट्रासाउंड/CT स्कैन – किडनी की संरचना देखने के लिए।

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस इलाज (Treatment of Congenital Nephrosis):

  1. डाययूरेटिक्स (Diuretics) – सूजन कम करने के लिए।
  2. एल्ब्युमिन सप्लिमेंटेशन (Albumin infusions) – प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए।
  3. एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – संक्रमण रोकने के लिए।
  4. ACE inhibitors और स्टेरॉइड्स – कुछ मामलों में उपयोग किया जाता है।
  5. किडनी प्रत्यारोपण (Kidney Transplant) – गंभीर मामलों में अंतिम विकल्प।
  6. न्यून प्रोटीन आहार – किडनी पर दबाव कम करने के लिए।

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस कैसे रोके? (Prevention of Congenital Nephrosis):

  1. परिवार में यदि पहले कोई केस है तो जेनेटिक काउंसलिंग अवश्य करवाएं।
  2. गर्भावस्था के दौरान संक्रमण से बचाव – नियमित जांच और उपचार करवाएं।
  3. प्रसवपूर्व स्क्रीनिंग और नवजात की नियमित निगरानी आवश्यक है।

घरेलू उपाय (Home Remedies for Congenital Nephrosis):

ध्यान दें: यह एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, इसलिए घरेलू उपाय केवल सहायक हो सकते हैं, विकल्प नहीं।

  1. नमक का सेवन सीमित करें।
  2. हाई प्रोटीन युक्त संतुलित आहार दें (डॉक्टर की सलाह से)।
  3. हाइड्रेशन का ध्यान रखें।
  4. संक्रमण से बचाव के उपाय अपनाएं जैसे स्वच्छता बनाए रखना।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. बच्चे को भीड़भाड़ और संक्रमित लोगों से दूर रखें।
  2. समय-समय पर किडनी फंक्शन की जांच कराएं।
  3. डॉक्टर द्वारा दिए गए इलाज को नियमित रूप से लें।
  4. टीकाकरण समय पर करवाएं।
  5. शिशु के वजन, पेशाब और भूख की नियमित निगरानी करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

प्र.1: क्या Congenital Nephrosis का इलाज संभव है?
उ. हां, सही समय पर निदान और उपचार से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है, और गंभीर मामलों में किडनी ट्रांसप्लांट से जीवन बचाया जा सकता है।

प्र.2: क्या यह बीमारी अनुवांशिक है?
उ. हां, यह ज्यादातर मामलों में एक जेनेटिक विकार होता है।

प्र.3: क्या यह रोग संक्रामक है?
उ. नहीं, यह संक्रामक नहीं है।

प्र.4: क्या इस रोग से ग्रस्त बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है?
उ. सही इलाज और देखभाल से बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है, लेकिन चिकित्सा निगरानी आवश्यक होती है।

निष्कर्ष (Conclusion):

कॉन्जेनिटल नेफ्रोसिस (Congenital Nephrosis) एक गंभीर लेकिन नियंत्रित होने वाला किडनी रोग है। समय पर पहचान, उचित चिकित्सा और देखभाल से इस रोग से प्रभावित नवजात शिशु को एक बेहतर जीवन प्रदान किया जा सकता है। यदि परिवार में कोई जेनेटिक इतिहास है, तो गर्भावस्था से पूर्व या दौरान जेनेटिक काउंसलिंग अवश्य कराएं।


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