Drug-Induced Pigmentation (ड्रग-इंड्यूस्ड पिग्मेंटेशन) एक ऐसी त्वचा संबंधी स्थिति है जिसमें शरीर के किसी हिस्से की त्वचा का रंग कुछ दवाओं के सेवन के कारण गहरा या बदरंग हो जाता है। यह स्थिति अस्थायी या स्थायी हो सकती है और शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है – जैसे चेहरे, होंठ, मसूड़े, हाथ, पैरों की त्वचा, नाखून या मुंह की अंदरूनी परत।
Drug-Induced Pigmentation क्या होता है (What is Drug-Induced Pigmentation)?
जब कोई दवा शरीर की त्वचा कोशिकाओं पर प्रभाव डालती है या मेलेनिन (Melanin – त्वचा का रंग देने वाला पदार्थ) के उत्पादन में बदलाव करती है, तो इससे त्वचा का रंग सामान्य से अधिक काला, नीला, भूरा या स्लेटी रंग में बदल सकता है। यह एक आम प्रकार का Adverse Cutaneous Drug Reaction (ACDR) है।
Drug-Induced Pigmentation कारण (Causes of Drug-Induced Pigmentation):
इस स्थिति के पीछे कई दवाएं जिम्मेदार होती हैं। वे विभिन्न प्रकार से त्वचा में रंग परिवर्तन करती हैं:
1. Melanin जमा होना (Deposition of melanin):
- Antimalarials: जैसे – Chloroquine, Hydroxychloroquine
- Chemotherapy Drugs: जैसे – Cyclophosphamide, Busulfan
- Psychotropic drugs: जैसे – Chlorpromazine
- Phenytoin (मिर्गी की दवा)
2. Drug-Metabolite का जमा होना (Drug-metabolite deposition):
- Minocycline – भूरा, स्लेटी रंग
- Amiodarone – नीला-भूरा रंग
- Antiretroviral drugs – Zidovudine से नाखून या त्वचा की काली पट्टियां
3. Iron deposition या Hemosiderin deposition:
- Cytotoxic drugs या repeated IV iron therapy
4. Phototoxic reaction (सूरज की किरणों से दवा की प्रतिक्रिया):
- Doxycycline, Tetracycline
- NSAIDs (जैसे – Naproxen)
5. Heavy metals (भारी धातुएं):
- Silver (Argyria)
- Gold (Chrysiasis)
Drug-Induced Pigmentation के लक्षण (Symptoms of Drug-Induced Pigmentation):
- त्वचा पर भूरे, स्लेटी, नीले या काले रंग के धब्बे
- होंठों, मसूड़ों, गालों की अंदरूनी परतों पर गहरा रंग
- नाखूनों पर काली या भूरे रंग की रेखाएं
- आंखों के सफेद भाग (sclera) में भूरा/नीला रंग
- प्रभावित भागों में कोई खुजली या जलन नहीं होती
- रैश के बिना केवल रंग परिवर्तन
- कुछ मामलों में पूरे चेहरे या त्वचा का रंग गहरा हो सकता है
निदान (Diagnosis):
- दवा का इतिहास (Detailed Drug History): कौन सी दवा लेने के बाद पिग्मेंटेशन शुरू हुआ
- क्लिनिकल मूल्यांकन (Clinical Evaluation): त्वचा की बनावट और रंग के प्रकार की जांच
- Dermatoscopy और Wood’s Lamp Examination
- स्किन बायोप्सी: यदि पिग्मेंटेशन का कारण स्पष्ट न हो
- Patch Test: फोटोटॉक्सिसिटी जांचने के लिए
Drug-Induced Pigmentation इलाज (Treatment of Drug-Induced Pigmentation):
1. कारण बनने वाली दवा बंद करना (Discontinuation of the causative drug):
- यदि संभव हो तो डॉक्टर के निर्देश पर दवा बंद करें या वैकल्पिक दवा लें
2. टॉपिकल एजेंट्स (Topical Treatments):
- Hydroquinone (4%)
- Kojic acid creams
- Azelaic acid
- Retinoic acid
3. Sun Protection (सूर्य से बचाव):
- Broad Spectrum Sunscreen (SPF 30 या उससे अधिक)
- Protective clothing, टोपी, सनग्लासेस
4. Laser Therapy या Chemical Peels (कभी-कभी):
- Q-switched lasers या glycolic acid peels
Drug-Induced Pigmentation कैसे रोके (Prevention Tips):
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं ही लें
- सूरज की रोशनी में जाने से पहले सनस्क्रीन का प्रयोग करें
- फोटोसेंसिटिव दवाओं के दौरान UV संरक्षण अनिवार्य करें
- लम्बे समय तक दवाओं के उपयोग के दौरान त्वचा में बदलावों की निगरानी रखें
- किसी भी रंग परिवर्तन को नजरअंदाज न करें
घरेलू उपाय (Home Remedies for Drug-Induced Pigmentation):
- एलोवेरा जेल (Aloe vera gel): त्वचा को हल्का और ठंडा करने में मदद करता है
- नींबू और शहद का लेप: हल्का ब्लीचिंग प्रभाव (सावधानी से उपयोग करें)
- चंदन और गुलाब जल का फेस पैक: त्वचा का रंग साफ करने में मददगार
- हल्दी + दूध: प्राकृतिक एंटीपिग्मेंट एजेंट
- पपीते का लेप: एंजाइम्स त्वचा की मृत कोशिकाएं हटाने में मदद करते हैं
सावधानियाँ (Precautions):
- डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा लंबे समय तक न लें
- पहले से पिग्मेंटेशन का इतिहास हो तो डॉक्टर को जरूर बताएं
- स्टेरॉयड या पिग्मेंट प्रभावित क्रीम खुद से न लगाएं
- हर दिन सनस्क्रीन का उपयोग करें
- अगर पिग्मेंटेशन बढ़ रहा है तो तुरंत स्किन स्पेशलिस्ट से सलाह लें
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
प्रश्न 1: क्या Drug-Induced Pigmentation स्थायी होती है?
उत्तर: कुछ मामलों में यह अस्थायी होती है और दवा बंद करने पर धीरे-धीरे कम हो जाती है। लेकिन कुछ दवाओं (जैसे मिनोसाइक्लिन, सिल्वर) से उत्पन्न पिग्मेंटेशन स्थायी हो सकती है।
प्रश्न 2: क्या यह संक्रामक है?
उत्तर: नहीं, यह संक्रमण नहीं है। यह दवाओं की प्रतिक्रिया है।
प्रश्न 3: क्या इसे हल्का किया जा सकता है?
उत्तर: हां, टॉपिकल एजेंट्स, सन प्रोटेक्शन और स्किन ट्रीटमेंट से पिग्मेंटेशन को हल्का किया जा सकता है।
प्रश्न 4: क्या घरेलू उपाय असरदार होते हैं?
उत्तर: हल्के मामलों में घरेलू उपाय सहायक हो सकते हैं, लेकिन गहरे या स्थायी पिग्मेंटेशन में मेडिकल ट्रीटमेंट अधिक प्रभावी होता है।
कैसे पहचाने (How to Identify Drug-Induced Pigmentation):
- त्वचा पर बिना किसी अन्य लक्षण (जैसे खुजली, जलन) के गहरा रंग उभरना
- नई दवा शुरू करने के कुछ हफ्तों/महीनों में त्वचा पर रंग परिवर्तन
- दाने नहीं, केवल रंग में बदलाव
- त्वचा, होंठ, मसूड़े, नाखूनों या आंखों की सफेदी में रंग गहराना
- पहले से इस्तेमाल की जा रही दवा का इतिहास और विशिष्ट रंग परिवर्तन इसके संकेत होते हैं
निष्कर्ष (Conclusion):
Drug-Induced Pigmentation (दवा से उत्पन्न त्वचा में रंग परिवर्तन) एक आम लेकिन प्रायः नजरअंदाज की जाने वाली स्थिति है। इसका समय पर पहचान और इलाज आवश्यक है। यदि आपको किसी दवा के सेवन के बाद त्वचा के रंग में बदलाव नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। उचित रोकथाम, स्किन केयर और मेडिकल गाइडेंस से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।