Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography जानिए इसकी प्रक्रिया, कारण, उपयोग, सावधानियाँ और जाँच से जुड़ी जानकारी

एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलैंगियोपैन्क्रियाटोग्राफी (ERCP) एक विशेष प्रकार की एंडोस्कोपिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग पित्त नली (bile duct), अग्नाशय नली (pancreatic duct) और गॉलब्लैडर से संबंधित समस्याओं का निदान और उपचार करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया एंडोस्कोपी और एक्स-रे दोनों की मदद से की जाती है।









Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography क्या होता है  (What is ERCP):

ERCP एक न्यूनतम इनवेसिव (minimally invasive) प्रक्रिया है जिसमें मुंह के रास्ते एक पतली ट्यूब (एंडोस्कोप) पेट और छोटी आंत (duodenum) तक पहुँचाई जाती है। इस ट्यूब के जरिए पित्त नली और अग्नाशय नली में डाई (contrast dye) डाली जाती है ताकि एक्स-रे के माध्यम से संरचना और रुकावट को देखा जा सके।

 Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography क्यों किया जाता है? (Reasons and Uses of ERCP):

  • पित्त नली की रुकावट (bile duct obstruction)
  • पित्त पथरी (gallstones)
  • अग्नाशय की सूजन (Pancreatitis)
  • पित्त नली या अग्नाशय का कैंसर
  • पित्त नली में ट्यूमर या स्ट्रिक्चर (narrowing)
  • बाइल लीक (bile leakage)
  • स्टेंट लगाने या निकालने के लिए
  • जैविक नमूना (biopsy) लेने के लिए
Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography के लक्षण (When ERCP is Needed - Symptoms Indicating Need for ERCP):

यदि नीचे दिए गए लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर ERCP कराने की सलाह दे सकते हैं:

  • आंखों और त्वचा का पीलापन (Jaundice)
  • पेट के ऊपरी भाग में लगातार दर्द
  • अपच और उल्टी
  • अचानक वजन घटना
  • बुखार और ठंड लगना (पित्त संक्रमण में)
  • गहरे रंग का पेशाब
  • हल्के रंग का मल

   Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography की प्रक्रिया (Procedure of ERCP):

  1. मरीज को बेहोश या नींद की अवस्था में किया जाता है।
  2. एक फ्लेक्सिबल एंडोस्कोप मुंह के रास्ते पेट और डुओडेनम तक पहुंचाया जाता है।
  3. एक छोटी कैथेटर पित्त और अग्नाशय नली में डाली जाती है।
  4. डाई डाली जाती है और एक्स-रे से नलियों की स्थिति का पता लगाया जाता है।
  5. यदि पथरी, रुकावट या संकीर्णता हो तो उसी समय इलाज भी किया जा सकता है।

 Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatographyकैसे पहचाने (Diagnosis Support through ERCP):

ERCP एक डायग्नोस्टिक और थेरेप्यूटिक टूल है जो निम्न बीमारियों की पहचान में मदद करता है:

  • कोलैंगियोकार्सिनोमा (bile duct cancer)
  • क्रॉनिक पैनक्रिएटाइटिस
  • बाइल डक्ट की स्ट्रिक्चर
  • गॉलब्लैडर स्टोन जो नली में फंसी हो
  • पैनक्रियाटिक डक्ट लीक

Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography के बाद के इलाज और रिकवरी (Post-Procedure Recovery):

  • आमतौर पर मरीज को 4-6 घंटे निगरानी में रखा जाता है
  • हल्का भोजन अगले दिन से शुरू किया जाता है
  • यदि स्टेंट डाला गया हो तो फॉलोअप ज़रूरी है
  • कुछ मामलों में एक-दो दिन अस्पताल में रहना पड़ सकता है

  Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography की सावधानियाँ (Precautions of ERCP):

  • प्रक्रिया से पहले खून पतला करने वाली दवाएं बंद करना
  • खाली पेट (कम से कम 6 घंटे) रहना जरूरी
  • डॉक्टर को एलर्जी या पुरानी बीमारियों के बारे में जानकारी देना
  • प्रक्रिया के बाद पेट दर्द, बुखार या उल्टी हो तो तुरंत सूचित करना

Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography के जोखिम (Risks of ERCP):

  • अग्नाशय की सूजन (Post-ERCP Pancreatitis)
  • संक्रमण (Cholangitis)
  • रक्तस्राव (Bleeding)
  • पित्त नली या आंत में छेद (Perforation)
  • एलर्जी प्रतिक्रिया

घरेलू उपाय (Home Care after ERCP):

  • भरपूर पानी पिएं
  • हल्का और सुपाच्य भोजन लें
  • अत्यधिक शारीरिक श्रम से बचें
  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं समय पर लें
  • किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

Q1. क्या ERCP दर्दनाक प्रक्रिया है?
नहीं, यह प्रक्रिया बेहोशी या सिडेशन में की जाती है, जिससे दर्द महसूस नहीं होता।

Q2. ERCP में कितना समय लगता है?
प्रक्रिया आमतौर पर 30 मिनट से 1 घंटे तक चलती है।

Q3. क्या ERCP सुरक्षित है?
हाँ, यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन थोड़े जोखिम भी हो सकते हैं जैसे पैनक्रिएटाइटिस।

Q4. क्या ERCP के बाद अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है?
सामान्यत: नहीं, लेकिन जटिलता होने पर भर्ती किया जा सकता है।

Q5. क्या ERCP के लिए तैयारी करनी होती है?
हाँ, ERCP से पहले कम से कम 6 घंटे तक कुछ नहीं खाना-पीना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):

Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography (ERCP) एक आधुनिक और प्रभावी तकनीक है जो पित्त और अग्नाशय की बीमारियों के निदान और उपचार में मदद करती है। यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है यदि अनुभवी डॉक्टर द्वारा की जाए। इसके माध्यम से कई जटिल स्थितियों का इलाज बिना बड़े ऑपरेशन के संभव हो गया है। सही समय पर यह प्रक्रिया कराना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकता है।


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