Hirschsprung’s Disease एक जन्मजात आंत्र रोग (Congenital Intestinal Disorder) है जिसमें बड़ी आंत (large intestine) के कुछ हिस्सों में गैंगलियन कोशिकाएं (Ganglion Cells) अनुपस्थित होती हैं। इन कोशिकाओं के अभाव में वह हिस्सा संकुचन नहीं कर पाता, जिससे मल का सामान्य रूप से आगे बढ़ना रुक जाता है और आंत्र में रुकावट (Intestinal Obstruction) हो जाती है।
Hirschsprung’s Disease क्या होता है ? (What is Hirschsprung’s Disease)
यह बीमारी नवजात शिशु में जन्म के तुरंत बाद सामने आती है, जिसमें मल का निष्कासन (Passage of stool) कठिन या असंभव हो जाता है। यह स्थिति गंभीर कब्ज, पेट फूलने और उल्टी जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होती है। कुछ मामलों में यह बाद के बचपन में भी पहचान में आती है।
Hirschsprung’s Disease कारण (Causes of Hirschsprung’s Disease)
- गर्भावस्था के दौरान गैंगलियन कोशिकाओं का आंत में पूरी तरह न बन पाना
- RET, EDNRB जैसे जीन में म्यूटेशन (Gene Mutations)
- वंशानुगत प्रभाव (Hereditary Influence) – यह बीमारी परिवार में चल सकती है
- कुछ आनुवंशिक विकारों से संबंध:
- Down syndrome
- Waardenburg syndrome
- Congenital heart disease
Hirschsprung’s Disease के लक्षण (Symptoms of Hirschsprung’s Disease)
नवजात शिशुओं में:
- जन्म के 48 घंटे के भीतर मल न आना (Failure to pass meconium)
- पित्तयुक्त उल्टी (Bilious vomiting)
- पेट फूलना (Abdominal distension)
- चिड़चिड़ापन और बेचैनी
- दूध न पीना या कम पीना
बड़े बच्चों में:
- लंबे समय से चल रही कब्ज (Chronic constipation)
- पतला और बदबूदार मल (Ribbon-like stools)
- पेट में सूजन और दर्द
- धीमी वृद्धि और वजन कम होना
- आंत्र संक्रमण (Enterocolitis)
Hirschsprung’s Disease कैसे पहचाने (Diagnosis of Hirschsprung’s Disease)
- शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)
- एक्स-रे + बेरियम एनीमा (Barium enema):
आंत के संकुचित और फैले हुए हिस्सों की पहचान - रेक्टल बायोप्सी (Rectal Biopsy):
गैंगलियन कोशिकाओं की अनुपस्थिति की पुष्टि करता है – सबसे विश्वसनीय जांच - Anorectal manometry:
मलाशय की तंत्रिका प्रतिक्रिया की जांच करता है - Prenatal Ultrasound (कुछ मामलों में):
जन्म से पहले संदेह हो सकता है
Hirschsprung’s Disease इलाज (Treatment of Hirschsprung’s Disease)
इस बीमारी का मात्र प्रभावी इलाज सर्जरी है।
1. Pull-through Surgery:
प्रभावित आंत को हटाकर स्वस्थ आंत को मलद्वार से जोड़ा जाता है।
2. Staged Surgery (यदि संक्रमण हो):
पहले कोलोस्टॉमी (Colostomy) की जाती है, फिर दूसरी स्टेज में Pull-through surgery।
3. सर्जरी के बाद देखभाल:
- संक्रमण की रोकथाम
- पोषण और फीडिंग की विशेष निगरानी
- मल नियंत्रण की समस्या के लिए परामर्श
- नियमित फॉलोअप
Hirschsprung’s Disease कैसे रोके (Prevention of Hirschsprung’s Disease)
- यह एक जन्मजात और अनुवांशिक स्थिति है, जिससे बचाव संभव नहीं है।
- यदि परिवार में इसका इतिहास है, तो Genetic Counseling उपयोगी हो सकता है।
- समय पर निदान से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
घरेलू उपाय (Home Remedies – केवल सहायक देखभाल के लिए)
सर्जरी के बिना इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है, लेकिन सर्जरी के बाद घरेलू देखभाल आवश्यक है:
- बच्चे को हल्का, सुपाच्य और फाइबर युक्त आहार देना
- कब्ज की स्थिति में डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाएं देना
- पानी की पर्याप्त मात्रा देना (उम्र अनुसार)
- सफाई और स्वच्छता बनाए रखना
- मल की निगरानी और समय-समय पर फॉलोअप
सावधानियाँ (Precautions in Hirschsprung’s Disease)
- शिशु द्वारा मल न करने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- सर्जरी के बाद संक्रमण और फीडिंग पर विशेष ध्यान दें
- बार-बार कब्ज या पेट फूलने को अनदेखा न करें
- कोई भी नई दवा या आहार परिवर्तन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें
- विकास और वजन की निगरानी करें
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
प्रश्न 1: क्या Hirschsprung’s disease का पूरी तरह इलाज संभव है?
उत्तर: हाँ, सर्जरी द्वारा यह रोग पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
प्रश्न 2: क्या यह रोग जानलेवा हो सकता है?
उत्तर: हाँ, अगर समय पर इलाज न हो तो यह आंत्र रुकावट और संक्रमण के कारण खतरनाक हो सकता है।
प्रश्न 3: क्या यह दोबारा हो सकता है?
उत्तर: नहीं, एक बार सर्जरी के बाद यह आमतौर पर वापस नहीं होता।
प्रश्न 4: क्या इस बीमारी का पता गर्भावस्था के दौरान लगाया जा सकता है?
उत्तर: कुछ मामलों में अल्ट्रासाउंड द्वारा संदेह हो सकता है, लेकिन पुष्टि जन्म के बाद ही होती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Hirschsprung’s Disease एक गंभीर लेकिन पूरी तरह इलाज योग्य जन्मजात आंत्र रोग है। इसका समय पर निदान और सर्जरी बच्चे की जान बचा सकती है और उसे सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकती है। माता-पिता को इसके लक्षणों के प्रति सजग रहना चाहिए और किसी भी संदेह की स्थिति में शीघ्र डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।