Khushveer Choudhary

Non-Invasive Prenatal Testing क्या है? कारण, प्रक्रिया, लाभ और सावधानियाँ

NIPT (Non-Invasive Prenatal Testing) एक आधुनिक प्रीनेटल जांच है जो गर्भवती महिलाओं में भ्रूण की अनुवांशिक असामान्यताओं की पहचान करने के लिए की जाती है। यह एक साधारण ब्लड टेस्ट होता है जो माँ के खून में भ्रूण का डीएनए (Fetal DNA) खोजता है और उसके आधार पर संभावित जेनेटिक डिसऑर्डर का पता लगाता है।









NIPT टेस्ट क्या होता है ? (What is NIPT Test?)

NIPT एक ब्लड टेस्ट है जो गर्भवती महिला के खून से भ्रूण का मुक्त डीएनए (cfDNA – cell free DNA) लेकर भ्रूण में पाई जाने वाली क्रोमोसोमल असामान्यताओं की पहचान करता है। यह टेस्ट आमतौर पर गर्भावस्था के 10वें हफ्ते के बाद किया जाता है।

किन स्थितियों की पहचान करता है NIPT? (Conditions Detected by NIPT)

  1. Trisomy 21 (डाउन सिंड्रोम / Down Syndrome)
  2. Trisomy 18 (एडवर्ड सिंड्रोम / Edwards Syndrome)
  3. Trisomy 13 (पाटौ सिंड्रोम / Patau Syndrome)
  4. Sex Chromosome Aneuploidies (जैसे Turner Syndrome, Klinefelter Syndrome)
  5. कुछ मामलों में भ्रूण का लिंग (Fetal Sex) भी ज्ञात किया जा सकता है।

NIPT टेस्ट के कारण (Causes/Need for NIPT Test):

  1. गर्भवती महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक हो।
  2. पिछले बच्चे में कोई जेनेटिक समस्या हो।
  3. सोनोग्राफी में कोई असामान्यता दिखे।
  4. पारिवारिक इतिहास में अनुवांशिक रोग हों।
  5. IVF गर्भावस्था या जुड़वां गर्भ।

NIPT टेस्ट के लक्षण (Symptoms Indicating Need for NIPT):

(ध्यान दें: यह एक निदान जांच है, कोई शारीरिक लक्षण नहीं होते)

  1. पहले से ज्ञात जेनेटिक समस्याओं का इतिहास
  2. असामान्य अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट
  3. हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी स्कोरिंग
  4. पिछली गर्भावस्थाओं में समस्या

परीक्षण की प्रक्रिया (Test Procedure):

  • गर्भवती महिला से सामान्य ब्लड सैंपल लिया जाता है।
  • उस सैंपल में भ्रूण का cfDNA जांचा जाता है।
  • रिपोर्ट 7-10 दिनों में मिल जाती है।

कैसे रोके संभावित समस्याएं (Prevention):

  1. गर्भावस्था से पहले जेनेटिक काउंसलिंग कराएं।
  2. परिवार में अनुवांशिक बीमारियों का इतिहास हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
  3. समय पर प्रीनेटल जांच करवाएं।

घरेलू उपाय (Home Remedies):

यह एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है, इसलिए घरेलू उपाय लागू नहीं होते। लेकिन गर्भवती महिला को स्वस्थ आहार, मानसिक शांति और नियमित चेकअप ज़रूरी हैं।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. केवल प्रशिक्षित डॉक्टर की सलाह से ही NIPT कराएं।
  2. यह स्क्रीनिंग टेस्ट है, पुष्टि के लिए अन्य टेस्ट (जैसे Amniocentesis) जरूरी हो सकता है।
  3. रिपोर्ट मिलने के बाद डॉक्टर से विस्तृत परामर्श लें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):

Q1: NIPT टेस्ट कब कराना चाहिए?
A1: गर्भावस्था के 10वें हफ्ते के बाद कराया जा सकता है।

Q2: क्या यह टेस्ट 100% सटीक है?
A2: इसकी सटीकता 99% तक होती है लेकिन यह एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, पुष्टि के लिए अन्य परीक्षण ज़रूरी हो सकते हैं।

Q3: क्या यह टेस्ट हर गर्भवती महिला को कराना चाहिए?
A3: नहीं, यह विशेष रूप से हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं के लिए सुझाया जाता है।

Q4: क्या यह टेस्ट भ्रूण का लिंग बता सकता है?
A4: हाँ, लेकिन भारत में भ्रूण लिंग जांच गैरकानूनी है।

निदान (Diagnosis):

यदि NIPT रिपोर्ट में कोई असामान्यता दिखाई देती है, तो डॉक्टर आपको Amniocentesis या Chorionic Villus Sampling (CVS) जैसे कंफर्मेटरी टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion):

NIPT (Non-Invasive Prenatal Testing) गर्भावस्था में भ्रूण की स्वास्थ्य स्थिति को जानने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावशाली तरीका है। यह न केवल मां और डॉक्टर को समय रहते निर्णय लेने में मदद करता है बल्कि भविष्य में बच्चे के जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। यदि आप हाई-रिस्क गर्भवती हैं तो NIPT एक विचार योग्य विकल्प है।


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