Arterial Dissection जिसे हिंदी में धमनी विच्छेदन कहा जाता है, एक गंभीर चिकित्सकीय स्थिति है जिसमें धमनी (Artery) की आंतरिक परत (Inner Layer) में फटाव (Tear) हो जाता है। इस फटाव के कारण रक्त धमनी की परतों के बीच में प्रवेश कर जाता है और परतें अलग हो जाती हैं। यह स्थिति रक्त प्रवाह को बाधित कर सकती है और अंगों को पर्याप्त रक्त नहीं मिलने से जानलेवा जटिलताएँ हो सकती हैं। यह स्थिति अधिकतर Aorta, Carotid Artery, Coronary Artery या अन्य प्रमुख धमनियों में देखी जाती है।
Arterial Dissection क्या होता है ? (What Happens in Arterial Dissection)
जब धमनी की आंतरिक परत क्षतिग्रस्त होती है, तो रक्त उच्च दबाव के साथ अंदर रिसकर धमनी की मध्य परत में चला जाता है। यह रक्त का दबाव धमनी की बाहरी परत पर असर डालता है और धमनी में रुकावट, ब्लॉकेज या फटाव पैदा कर सकता है।
Arterial Dissection कारण (Causes of Arterial Dissection)
- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) – लंबे समय तक अनियंत्रित BP रहना।
- चोट या आघात (Trauma or Injury) – सड़क दुर्घटना या खेल में चोट।
- जन्मजात विकार (Genetic Disorders) – जैसे Marfan Syndrome, Ehlers-Danlos Syndrome।
- एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) – धमनियों में चर्बी या प्लाक जमना।
- धूम्रपान और तंबाकू सेवन (Smoking and Tobacco Use)
- गंभीर शारीरिक परिश्रम (Severe Physical Strain)
- हृदय की शल्य चिकित्सा के बाद (Post-cardiac surgery)
- गर्भावस्था और प्रसव के समय (During Pregnancy or Postpartum) – हार्मोनल और हेमोडायनामिक बदलावों के कारण।
Arterial Dissection के लक्षण (Symptoms of Arterial Dissection)
- अचानक तेज दर्द (Sudden Severe Pain) – स्थान के अनुसार गर्दन, छाती, पीठ या पेट में।
- सिरदर्द (Headache) – खासकर अगर Carotid या Vertebral Artery प्रभावित हो।
- दृष्टि धुंधलापन (Blurred Vision)
- चक्कर आना (Dizziness)
- कमजोरी या सुन्नपन (Weakness or Numbness) – शरीर के किसी एक हिस्से में।
- बोलने में कठिनाई (Difficulty in Speaking)
- बेहोशी (Loss of Consciousness)
- श्वास लेने में कठिनाई (Shortness of Breath) – खासकर Aortic Dissection में।
Arterial Dissection कैसे पहचाने (Diagnosis of Arterial Dissection)
- शारीरिक जांच (Physical Examination)
- CT Angiography (सीटी एंजियोग्राफी)
- MRI/MRA (एमआरआई / एमआरए)
- डॉपलर अल्ट्रासाउंड (Doppler Ultrasound)
- ईकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography) – Aortic Dissection के लिए।
Arterial Dissection इलाज (Treatment of Arterial Dissection)
इलाज का तरीका प्रभावित धमनी और स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है –
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दवाओं से इलाज (Medical Management)
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने वाली दवाएं।
- ब्लड थिनर (Anticoagulants) या Antiplatelet दवाएं।
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एंडोवास्कुलर रिपेयर (Endovascular Repair)
- स्टेंट लगाकर धमनी की मरम्मत।
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शल्य चिकित्सा (Surgery)
- गंभीर मामलों में धमनी का क्षतिग्रस्त भाग बदलना।
Arterial Dissection कैसे रोके (Prevention of Arterial Dissection)
- रक्तचाप को नियंत्रित रखें (Maintain Blood Pressure)
- धूम्रपान और तंबाकू से बचें (Avoid Smoking and Tobacco)
- स्वस्थ आहार लें (Eat a Healthy Diet)
- अत्यधिक परिश्रम से बचें (Avoid Excessive Strain)
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं (Regular Health Check-up)
- हृदय और धमनी संबंधी रोगों का समय पर इलाज करें
घरेलू उपाय (Home Remedies for Arterial Dissection) – सहायक रूप में
(केवल डॉक्टर की सलाह के साथ)
- कम नमक का सेवन (Low Salt Intake)
- फल और हरी सब्जियां अधिक खाएं (Eat More Fruits and Vegetables)
- हल्का व्यायाम (Light Exercise) – जैसे वॉकिंग, योग।
- तनाव प्रबंधन (Stress Management) – ध्यान, प्राणायाम।
सावधानियाँ (Precautions)
- किसी भी प्रकार के अचानक दर्द को नजरअंदाज न करें।
- सिरदर्द, चक्कर या कमजोरी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
- उच्च BP और कोलेस्ट्रॉल का नियमित इलाज लें।
- स्ट्रोक या हार्ट अटैक के इतिहास वाले व्यक्ति विशेष सतर्क रहें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्र1: क्या Arterial Dissection जानलेवा है?
हाँ, अगर समय पर इलाज न मिले तो यह स्ट्रोक, हार्ट अटैक या अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
प्र2: क्या यह दोबारा हो सकता है?
हाँ, खासकर अगर कारण (जैसे उच्च BP या जेनेटिक समस्या) को नियंत्रित न किया जाए।
प्र3: क्या युवा लोगों में भी हो सकता है?
हाँ, लेकिन अधिकतर यह मध्यम और वृद्ध आयु वर्ग में पाया जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Arterial Dissection (धमनी विच्छेदन) एक गंभीर स्थिति है जिसमें त्वरित पहचान और इलाज बेहद जरूरी है। उच्च रक्तचाप का नियंत्रण, स्वस्थ जीवनशैली और नियमित जांच इसके खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। सही समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से मरीज की जान बचाई जा सकती है और जटिलताओं को रोका जा सकता है।
