Aspergilloma – कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके

Aspergilloma (एस्परजिलोमा) एक प्रकार का फंगल (फंगस जनित) संक्रमण है जो मुख्य रूप से फेफड़ों (lungs) में होता है। यह Aspergillus fumigatus नामक फंगस के कारण होता है, जो सामान्यत: वातावरण में पाया जाता है। यह फंगस उन लोगों में अधिक संक्रमण करता है जिनके फेफड़ों में पहले से कोई कैविटी (गुहा) या पुराना रोग जैसे ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) हो चुका हो।Aspergilloma को सामान्य भाषा में फंगल बॉल (Fungal Ball) भी कहा जाता है क्योंकि फंगस, म्यूकस और मृत कोशिकाओं के जमा होने से यह बॉल के रूप में विकसित हो जाता है।









Aspergilloma क्या होता है ? (What is Aspergilloma?)

Aspergilloma एक ठोस, फंगस से बनी गेंद जैसी संरचना होती है जो पहले से मौजूद फेफड़ों की गुहा में बनती है। यह सीधे फेफड़ों के ऊतक को नुकसान नहीं पहुंचाती, लेकिन रक्तस्राव (hemoptysis) का कारण बन सकती है। यह स्थिति आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होती है और कई बार लंबे समय तक बिना लक्षण के रह सकती है।

Aspergilloma के कारण (Causes of Aspergilloma)

  1. Aspergillus फंगस का संक्रमण – मुख्य कारण।
  2. पहले से मौजूद फेफड़ों की बीमारियां:
    1. पुराना ट्यूबरकुलोसिस (Chronic Tuberculosis)
    1. सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis)
    1. लंग एब्सेस (Lung Abscess)
    1. ब्रॉन्किएक्टेसिस (Bronchiectasis)
  3. कमजोर इम्यून सिस्टम (Weakened immunity)
  4. लंबी अवधि तक स्टेरॉयड का उपयोग
  5. लंग कैविटी में पुरानी चोट या संक्रमण

Aspergilloma के लक्षण (Symptoms of Aspergilloma)

  1. खून के साथ खांसी आना (Hemoptysis) – प्रमुख लक्षण
  2. लगातार खांसी (Persistent cough)
  3. सांस लेने में तकलीफ (Shortness of breath)
  4. सीने में दर्द (Chest pain)
  5. बुखार (Fever)
  6. थकान और कमजोरी (Fatigue and weakness)
  7. बार-बार फेफड़ों में संक्रमण (Recurrent lung infections)

Aspergilloma का निदान (Diagnosis of Aspergilloma)

  1. चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) – फंगल बॉल का पता लगाने के लिए
  2. सीटी स्कैन (CT Scan) – फेफड़ों की विस्तृत तस्वीर के लिए
  3. सीरोलॉजी टेस्ट (Aspergillus Antibody test)
  4. स्पुटम टेस्ट (Sputum culture) – फंगस की पहचान के लिए
  5. ब्रॉन्कोस्कोपी (Bronchoscopy) – अंदरूनी जांच और सैंपल लेने के लिए

Aspergilloma का इलाज (Treatment of Aspergilloma)

  1. दवाइयों से इलाज (Medical treatment)
    1. एंटीफंगल दवाएं (Antifungal medicines) जैसे Itraconazole, Voriconazole
    1. खून रोकने के लिए हेमोस्टेटिक दवाएं
  2. सर्जिकल उपचार (Surgical treatment)
    1. अगर खून बहुत ज्यादा निकल रहा हो तो फेफड़े का प्रभावित हिस्सा निकालना (Lobectomy)
  3. एम्बोलाइजेशन (Embolization)
    1. खून बहना रोकने के लिए ब्लीडिंग आर्टरी को ब्लॉक करना
  4. सपोर्टिव थेरेपी
    1. ऑक्सीजन सपोर्ट
    2. पोषण में सुधार

Aspergilloma से बचाव के तरीके (Prevention of Aspergilloma)

  1. पुराने फेफड़ों के रोग का समय पर इलाज करवाएं
  2. धूल और फंगस वाले वातावरण से बचें
  3. इम्यून सिस्टम मजबूत रखें
  4. ट्यूबरकुलोसिस या अन्य फेफड़ों की बीमारी के बाद नियमित जांच कराएं
  5. संक्रमित स्थानों (जैसे अनाज के गोदाम, कम्पोस्ट ढेर) में मास्क पहनें

Aspergilloma के घरेलू उपाय (Home Remedies for Aspergilloma)

नोट: ये उपाय मुख्य इलाज का विकल्प नहीं हैं, सिर्फ सहायक हैं।

  1. हल्दी वाला दूध – सूजन कम करने में मदद करता है
  2. अदरक और शहद – इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक
  3. भाप लेना (Steam inhalation) – सांस की तकलीफ में राहत
  4. विटामिन C युक्त फल – फेफड़ों की सेहत के लिए
  5. धूल, धुआं और प्रदूषण से बचना

Aspergilloma में सावधानियाँ (Precautions in Aspergilloma)

  1. खून आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
  2. खुद से दवाएं लेना बंद करें
  3. धूम्रपान और तंबाकू का सेवन न करें
  4. नियमित हेल्थ चेकअप कराएं
  5. एंटीफंगल दवा बीच में न छोड़ें

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या Aspergilloma संक्रामक है?
नहीं, यह व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता।

Q2. क्या Aspergilloma का इलाज सिर्फ दवा से हो सकता है?
अगर लक्षण हल्के हों तो दवाओं से नियंत्रण संभव है, लेकिन गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

Q3. क्या यह बीमारी दोबारा हो सकती है?
हाँ, यदि फेफड़ों में पुरानी कैविटी बनी रहती है तो दोबारा हो सकता है।

कैसे पहचानें (How to Identify Aspergilloma)

अगर आपको पुराना फेफड़ों का रोग है और खून के साथ खांसी, सांस फूलना, बुखार या बार-बार फेफड़ों में संक्रमण हो रहा है तो तुरंत जांच कराएं।

निष्कर्ष (Conclusion)

Aspergilloma (एस्परजिलोमा) एक गंभीर फेफड़ों का फंगल संक्रमण है जो पहले से क्षतिग्रस्त फेफड़ों में पनपता है। शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर जांच व इलाज करवाएं। सही देखभाल, बचाव और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करने से इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।


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