Autoimmune Glomerulonephritis कारण, लक्षण, इलाज और रोकथाम

Autoimmune Glomerulonephritis (ऑटोइम्यून ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस) एक गंभीर किडनी रोग है जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) गलती से किडनी के ग्लोमेरुली (Glomeruli) यानी फिल्टरिंग यूनिट्स पर हमला कर देती है। इससे किडनी में सूजन (inflammation), क्षति (damage) और धीरे-धीरे किडनी फेलियर (Kidney Failure) का खतरा बढ़ जाता है।

Autoimmune Glomerulonephritis क्या होता है (What is Autoimmune Glomerulonephritis?)

जब इम्यून सिस्टम अपने ही टिश्यूज़ को विदेशी मानकर antibodies बनाकर उन पर हमला करती है, तो उसे ऑटोइम्यून रोग कहते हैं। किडनी के ग्लोमेरुली जब इस हमले की चपेट में आते हैं, तो उनमें सूजन आ जाती है, जिससे:

  • पेशाब में प्रोटीन (Proteinuria)
  • पेशाब में खून (Hematuria)
  • शरीर में सूजन (Edema)
  • और धीरे-धीरे किडनी फंक्शन कम होना शुरू हो जाता है।

Autoimmune Glomerulonephritis कारण (Causes of Autoimmune Glomerulonephritis)

ऑटोइम्यून ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. Autoimmune Diseases (ऑटोइम्यून बीमारियाँ) – जैसे Lupus Nephritis, Goodpasture Syndrome, IgA Nephropathy।
  2. संक्रमण (Infections) – वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद इम्यून प्रतिक्रिया।
  3. Genetic Factors (अनुवांशिक कारण) – परिवार में ऑटोइम्यून रोग होने की संभावना।
  4. Environmental Triggers (पर्यावरणीय कारक) – प्रदूषण, विषैले केमिकल्स।
  5. Immune System Dysfunction (प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी)

Autoimmune Glomerulonephritis लक्षण (Symptoms of Autoimmune Glomerulonephritis)

इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, जैसे:

  1. पेशाब में खून आना (Hematuria)
  2. पेशाब में झाग होना (Proteinuria)
  3. चेहरे, पैरों या हाथों में सूजन (Edema)
  4. थकान और कमजोरी (Fatigue)
  5. उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
  6. बार-बार पेशाब आना या कम पेशाब आना
  7. गंभीर मामलों में – किडनी फेल होना

निदान (Diagnosis of Autoimmune Glomerulonephritis)

डॉक्टर निम्नलिखित जांच कर सकते हैं:

  • Urine Test (मूत्र परीक्षण) – प्रोटीन और खून की जाँच।
  • Blood Test (रक्त परीक्षण) – किडनी फंक्शन (Creatinine, BUN)।
  • Immunological Tests – ऑटोएंटीबॉडी की जाँच।
  • Ultrasound/CT Scan – किडनी की स्थिति जानने के लिए।
  • Kidney Biopsy (किडनी बायोप्सी) – निश्चित निदान।

इलाज (Treatment of Autoimmune Glomerulonephritis)

इलाज का उद्देश्य सूजन को कम करना और किडनी को बचाना होता है।

  1. दवाइयाँ (Medications)
    1. Corticosteroids (स्टेरॉयड)
    1. Immunosuppressants (प्रतिरक्षा दबाने वाली दवाइयाँ)
    1. ACE inhibitors/ARBs (ब्लड प्रेशर नियंत्रण)
    1. Diuretics (सूजन कम करने के लिए)
  2. Dialysis (डायलिसिस) – यदि किडनी फेल हो जाए।
  3. Kidney Transplant (किडनी प्रत्यारोपण) – गंभीर स्थिति में।

कैसे रोके (Prevention of Autoimmune Glomerulonephritis)

  • संतुलित और हेल्दी डाइट लें।
  • हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रित रखें।
  • संक्रमण से बचें और समय पर इलाज करें।
  • शराब और धूम्रपान से बचें।
  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयाँ समय पर लें।

घरेलू उपाय (Home Remedies for Autoimmune Glomerulonephritis)

  • नमक का सेवन कम करें।
  • पर्याप्त पानी पिएँ, लेकिन डॉक्टर की सलाह अनुसार।
  • प्रोटीन की मात्रा संतुलित रखें।
  • हल्की एक्सरसाइज करें।
  • हर्बल या घरेलू नुस्खे केवल डॉक्टर की सलाह से लें।

सावधानियाँ (Precautions in Autoimmune Glomerulonephritis)

  • बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ न लें।
  • किसी भी संक्रमण को नजरअंदाज न करें।
  • नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और किडनी टेस्ट कराएँ।
  • स्टेरॉयड और इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयों का उपयोग केवल विशेषज्ञ की निगरानी में करें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या Autoimmune Glomerulonephritis पूरी तरह ठीक हो सकता है?
कुछ मामलों में इलाज से कंट्रोल हो जाता है, लेकिन क्रॉनिक मामलों में किडनी फेलियर हो सकता है।

Q2. क्या यह बीमारी जेनेटिक होती है?
हाँ, आंशिक रूप से यह अनुवांशिक कारकों से जुड़ी हो सकती है।

Q3. क्या मरीज सामान्य जीवन जी सकता है?
यदि समय पर इलाज लिया जाए तो मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।

Q4. क्या डाइट से सुधार संभव है?
हाँ, लो-सॉल्ट और संतुलित डाइट से काफी हद तक किडनी को बचाया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Autoimmune Glomerulonephritis एक गंभीर किडनी रोग है जो शरीर की इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी के कारण होता है। इसके लक्षणों को समय रहते पहचानकर इलाज करना बेहद ज़रूरी है। सही दवाइयों, हेल्दी लाइफस्टाइल, संतुलित आहार और नियमित जांच से इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है और किडनी फेलियर के खतरे को कम किया जा सकता है।


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