Porphyria (पॉर्फीरिया) एक दुर्लभ रोगों का समूह है, जिसमें शरीर में हीम (heme) नामक एक आवश्यक पदार्थ के निर्माण में समस्या आती है। यह रोग मुख्यतः यकृत (Liver) या अस्थि मज्जा (Bone marrow) को प्रभावित करता है। Porphyria Screening एक ऐसा प्रक्रिया है जिससे इस रोग की उपस्थिति, प्रकार और गंभीरता की पहचान की जाती है।
Porphyria Screening क्या होता है (What is Porphyria Screening)?
Porphyria Screening का उद्देश्य शरीर में porphyrins (पॉर्फिरिन्स) और उनके उप-उत्पादों की असामान्य मात्रा का पता लगाना है। यह परीक्षण रक्त (Blood), मूत्र (Urine), और मल (Stool) में पॉर्फिरिन्स और संबंधित एंजाइम्स की उपस्थिति को मापता है।
पॉर्फीरिया होने के कारण (Causes of Porphyria):
- अनुवांशिक जीन दोष (Genetic mutation)
- हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal changes - खासकर महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान)
- शराब सेवन (Alcohol abuse)
- दवाइयों का साइड इफेक्ट (Certain medications - जैसे बार्बिट्यूरेट्स, एंटीबायोटिक्स)
- तनाव (Physical or emotional stress)
- सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशीलता (Photosensitivity)
Porphyria Screening के लक्षण (Symptoms of Porphyria):
1. Acute Porphyria (तीव्र पॉर्फीरिया):
- पेट में तेज दर्द (Severe abdominal pain)
- मतली और उल्टी (Nausea and vomiting)
- कब्ज या दस्त (Constipation or diarrhea)
- हृदय गति तेज होना (Rapid heart rate)
- मानसिक भ्रम (Mental confusion)
- दौरे पड़ना (Seizures)
- पेशी कमजोरी (Muscle weakness)
2. Cutaneous Porphyria (त्वचा संबंधी पॉर्फीरिया):
- सूरज की रोशनी से एलर्जी (Sunlight sensitivity)
- त्वचा में जलन और फफोले (Blisters and burning on skin)
- त्वचा का काला पड़ना (Hyperpigmentation)
- बालों का झड़ना (Hair loss in affected areas)
- नाखूनों का कमजोर होना (Brittle nails)
Porphyria Screening कैसे पहचाने (Diagnosis of Porphyria):
Porphyria की पुष्टि के लिए निम्न स्क्रीनिंग टेस्ट किए जाते हैं:
1. Urine Test (मूत्र जांच):
- Urinary porphobilinogen (PBG) और δ-aminolevulinic acid (ALA) की मात्रा
- रंग बदलता मूत्र (गहरे बैंगनी रंग का मूत्र)
2. Blood Test (रक्त जांच):
- Erythrocyte porphyrin levels
- Genetic testing for porphyria gene mutations
3. Stool Test (मल जांच):
- Coproporphyrin और protoporphyrin की मात्रा
4. DNA Testing (डीएनए परीक्षण):
- Specific gene mutations की पुष्टि के लिए
5. Skin Biopsy (त्वचा की बायोप्सी – कटैनीयस प्रकार में)
Porphyria Screening इलाज (Treatment of Porphyria):
Acute Porphyria:
- Hemin injection (हीमिन इंजेक्शन): ALA synthesis को रोकने के लिए
- IV glucose (ग्लूकोज़ ड्रिप): Acute attack को कम करने हेतु
- दर्द और मतली के लिए supportive medications
Cutaneous Porphyria:
- Phlebotomy (रक्तस्राव चिकित्सा): शरीर से आयरन की मात्रा घटाना
- Low-dose antimalarial drugs (जैसे Hydroxychloroquine)
- सनस्क्रीन और सुरक्षात्मक कपड़ों से त्वचा सुरक्षा
Porphyria Screening कैसे रोके (Prevention Tips):
- सूर्य के सीधे संपर्क से बचाव
- एल्कोहल, स्मोकिंग और हॉर्मोनल दवाओं से दूरी
- पोर्फीरिया ट्रिगर करने वाली दवाओं से परहेज़
- तनाव और फास्टिंग से बचें
- आनुवांशिक परामर्श लेना (Genetic counseling for family)
घरेलू उपाय (Home Remedies):
- त्वचा को ढक कर रखें और UV प्रोटेक्टेड क्रीम लगाएं
- नींबू पानी और तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें
- आयरन युक्त चीज़ों का सेवन सीमित करें
- कैफीन और शराब से परहेज़ करें
- ठंडी सेंक और एलोवेरा जेल का उपयोग त्वचा पर करें (कटैनीयस पॉर्फीरिया के लिए)
सावधानियाँ (Precautions):
- घरेलू या ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें
- खून की जांच समय-समय पर कराएं
- धूप में बाहर जाने से पहले सुरक्षा उपाय अपनाएं
- तनाव और अत्यधिक शारीरिक परिश्रम से बचें
- यदि परिवार में पॉर्फीरिया का इतिहास हो, तो शुरुआती जांच कराएं
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
प्र.1: Porphyria कौन से अंग को प्रभावित करता है?
उ: मुख्यतः यकृत, त्वचा और तंत्रिका तंत्र को।
प्र.2: क्या Porphyria का इलाज संभव है?
उ: यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता, लेकिन सही इलाज से नियंत्रण संभव है।
प्र.3: क्या यह रोग आनुवंशिक है?
उ: हां, यह अनुवांशिक विकार होता है।
प्र.4: पॉर्फीरिया की पुष्टि के लिए कौन सा टेस्ट सबसे सटीक है?
उ: Urine test for PBG और Genetic testing सबसे सटीक माने जाते हैं।
प्र.5: क्या यह रोग खतरनाक होता है?
उ: अगर समय पर निदान और इलाज न हो, तो यह जीवन-धमक हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
Porphyria एक जटिल और दुर्लभ स्थिति है जिसकी समय पर पहचान और स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है। Porphyria Screening के माध्यम से रोग की पहचान करके उचित इलाज शुरू किया जा सकता है, जिससे रोगी का जीवन गुणवत्ता में सुधार आता है। नियमित परीक्षण, सतर्कता और जीवनशैली में सावधानी बरत कर इस रोग को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।