एसोफैगाइटिस (Esophagitis) का अर्थ है – अन्नप्रणाली (esophagus) की सूजन। जब यह समस्या किसी कॉरोसिव पदार्थ (Corrosive substance) जैसे तेजाब (acid), क्षार (alkali), या अन्य हानिकारक रसायन के कारण होती है, तब इसे कॉरोसिव एसोफैगाइटिस (Corrosive Esophagitis) कहा जाता है।
यह स्थिति अचानक हो सकती है और गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है, जैसे – अन्नप्रणाली में अल्सर, छेद (perforation), या लंबे समय तक चलने वाला संकुचन (stricture)।
एसोफैगाइटिस क्या होता है (What is Corrosive Esophagitis?)
कॉरोसिव एसोफैगाइटिस में जब कोई व्यक्ति गलती से या जानबूझकर अम्लीय (acidic) या क्षारीय (alkaline) पदार्थ पी लेता है, तो वह पदार्थ अन्नप्रणाली की परत (lining) को नुकसान पहुँचाता है। इससे:
- सूजन (inflammation)
- छाले (ulcers)
- जलन (burns)
- और गंभीर मामलों में छेद (perforation) हो सकते हैं।
एसोफैगाइटिस कारण (Causes of Corrosive Esophagitis)
- घरेलू क्लीनर (Household cleaners) – जैसे टॉयलेट क्लीनर, ब्लीच।
- तेजाब (Acids) – बैटरी एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड।
- क्षारीय पदार्थ (Alkalis) – सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH), पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)।
- गलती से बच्चों द्वारा निगलना।
- आत्महत्या के प्रयास में कॉरोसिव पदार्थ पीना।
एसोफैगाइटिस के लक्षण (Symptoms of Corrosive Esophagitis)
- निगलने में दर्द (Pain while swallowing – Odynophagia)
- निगलने में कठिनाई (Difficulty in swallowing – Dysphagia)
- गले और सीने में जलन (Burning in throat and chest)
- उल्टी जिसमें खून आ सकता है (Vomiting with blood)
- पेट दर्द (Abdominal pain)
- मुँह और होंठों पर जलन/घाव (Burns or ulcers in mouth and lips)
- बुखार और कमजोरी (Fever and weakness)
एसोफैगाइटिस कैसे पहचाने (Diagnosis of Corrosive Esophagitis)
- इतिहास (History) – रोगी से जानकारी लेना कि उसने क्या निगला।
- एंडोस्कोपी (Endoscopy) – अन्नप्रणाली की अंदरूनी सतह की जाँच।
- एक्स-रे (X-ray) / सीटी स्कैन (CT Scan) – छेद या अन्य जटिलता का पता लगाने के लिए।
- ब्लड टेस्ट (Blood Tests) – संक्रमण या अन्य नुकसान की जाँच के लिए।
एसोफैगाइटिस इलाज (Treatment of Corrosive Esophagitis)
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तुरंत आपातकालीन देखभाल (Emergency Care)
- उल्टी करवाना मना है (Vomiting should not be induced)।
- तुरंत अस्पताल ले जाएँ।
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चिकित्सकीय उपचार (Medical Treatment)
- आईवी फ्लूइड्स (IV fluids) और दर्द निवारक दवाएँ।
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – संक्रमण रोकने के लिए।
- एसिड रिड्यूसिंग दवाएँ (Acid reducing drugs)।
- गंभीर मामलों में सर्जरी (Surgery) – यदि छेद या गंभीर संकुचन हो।
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पोषण (Nutrition)
- शुरुआती दिनों में तरल आहार (liquid diet)।
- जरूरत पड़ने पर नली (feeding tube) से भोजन।
एसोफैगाइटिस कैसे रोके (Prevention)
- कॉरोसिव पदार्थ बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- रसायनों को हमेशा लेबल वाले कंटेनर में रखें।
- खाने-पीने की बोतलों में रसायन कभी न रखें।
- सफाई करने के बाद हाथ अच्छी तरह धोएँ।
- आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता दें।
घरेलू उपाय (Home Remedies)
कॉरोसिव एसोफैगाइटिस एक आपातकालीन स्थिति है, इसमें घरेलू उपाय सीधे कारगर नहीं होते। फिर भी, रिकवरी के दौरान:
- मुलायम और तरल आहार लें।
- मसालेदार, तैलीय और गरम भोजन से बचें।
- खूब पानी पिएँ।
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएँ नियमित लें।
सावधानियाँ (Precautions)
- कॉरोसिव पदार्थ पीने के तुरंत बाद घर पर इलाज करने की कोशिश न करें।
- उल्टी कराने का प्रयास न करें।
- दूध, नींबू पानी या किसी भी द्रव्य को तुरंत न दें (बिना डॉक्टर की सलाह के)।
- डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा न लें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या कॉरोसिव एसोफैगाइटिस हमेशा जानलेवा होता है?
Ans: नहीं, अगर समय पर इलाज हो जाए तो रोगी बच सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में यह जानलेवा हो सकता है।
Q2. क्या यह बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है?
Ans: हाँ, अक्सर बच्चे गलती से कॉरोसिव पदार्थ पी लेते हैं जिससे यह समस्या होती है।
Q3. क्या कॉरोसिव एसोफैगाइटिस में सर्जरी जरूरी होती है?
Ans: केवल गंभीर मामलों में, जब अन्नप्रणाली में छेद (perforation) या संकुचन (stricture) हो जाता है।
Q4. क्या इस बीमारी का स्थायी इलाज संभव है?
Ans: हाँ, लेकिन अन्नप्रणाली में स्थायी नुकसान हो सकता है, जिससे लंबे समय तक निगलने में समस्या बनी रह सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कॉरोसिव एसोफैगाइटिस (Corrosive Esophagitis) एक गंभीर और आपातकालीन स्थिति है, जो तेजाब या क्षारीय पदार्थ निगलने से होती है। यह अन्नप्रणाली को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है। समय पर इलाज, सावधानियाँ और रोकथाम ही इसका सबसे बड़ा उपचार है।
रसायनों को सुरक्षित रखना और बच्चों को इनके खतरे के बारे में जागरूक करना इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
