Khushveer Choudhary

Haemolytic Disease of Newborn: कारण, लक्षण, इलाज और सावधानियाँ

नवजात शिशु का हीमोलिटिक रोग (Haemolytic Disease of Newborn – HDN) एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसमें नवजात शिशु के लाल रक्त कोशिकाएँ (Red Blood Cells / RBCs) माँ की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) के कारण टूटने लगती हैं। यह समस्या मुख्य रूप से रक्त समूह (Blood Group) असंगति या Rh फैक्टर असंगति के कारण होती है। यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो यह जॉन्डिस (Jaundice), एनीमिया (Anemia), हृदय और मस्तिष्क की जटिलताओं का कारण बन सकती है।








नवजात शिशु का हीमोलिटिक रोग क्या होता है (What is Haemolytic Disease of Newborn)

HDN तब होता है जब माँ का शरीर रक्त समूह या Rh फैक्टर में भिन्नता के कारण शिशु के लाल रक्त कोशिकाओं पर एंटीबॉडी (Antibodies) बनाता है। ये एंटीबॉडी शिशु के रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं।

  • यह स्थिति जन्म से पहले (Prenatal) या जन्म के तुरंत बाद दिखाई देती है।
  • गंभीर HDN में नवजात शिशु में गंभीर पीली त्वचा, रक्त की कमी और अंगों पर दबाव देखा जा सकता है।

नवजात शिशु के हीमोलिटिक रोग के कारण (Causes of Haemolytic Disease of Newborn)

  1. Rh फैक्टर असंगति (Rh Incompatibility):

    1. माँ Rh-negative और शिशु Rh-positive होने पर।
    1. माँ की इम्यून सिस्टम शिशु के RBC पर हमला करती है।
  2. ABO असंगति (ABO Incompatibility):

    1. माँ और शिशु के ब्लड ग्रुप में भिन्नता।
  3. अन्य एंटीबॉडीज़ (Other Alloantibodies):

    1. Rare blood group incompatibilities।
  4. पिछला गर्भधारण या रक्त संक्रमण (Previous Pregnancy / Blood Transfusion):

    1. पहले के गर्भधारण में संवेदनशीलता (Sensitization) बढ़ जाती है।

नवजात शिशु के हीमोलिटिक रोग के लक्षण (Symptoms of Haemolytic Disease of Newborn)

  • जन्म के तुरंत बाद पीली त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (Jaundice)
  • कमजोरी और नींद में अधिक समय (Lethargy)
  • भूख कम लगना (Poor Feeding)
  • गंभीर मामलों में हृदय की समस्या और सांस लेने में कठिनाई (Heart / Respiratory Problems)
  • एनीमिया के कारण त्वचा का फीका पड़ना (Pale Skin)
  • बड़ा पीलापन (Severe Jaundice) – बिलीरुबिन बढ़ने से

नवजात शिशु के हीमोलिटिक रोग का इलाज (Treatment of Haemolytic Disease of Newborn)

  1. फोटोथेरेपी (Phototherapy):

    1. पीलेपन (Jaundice) को कम करने के लिए।
    1. शरीर के बिलीरुबिन को तोड़ता है।
  2. ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood Transfusion):

    1. गंभीर एनीमिया या हृदय पर दबाव होने पर।
    1. Exchange Transfusion – शिशु के खून को बदला जाता है।
  3. दवाइयाँ (Medications):

    1. Immunoglobulins (IVIG) – माँ के एंटीबॉडी को ब्लॉक करने के लिए।
  4. माँ की रोकथाम (Prevention in Mother):

    1. Rh-negative माँ को गर्भावस्था में Rho(D) Immune Globulin (Anti-D) इंजेक्शन।
    2. इससे माँ के शरीर में Rh-positive RBC के लिए एंटीबॉडी बनने से रोका जा सकता है।

नवजात शिशु के हीमोलिटिक रोग को कैसे रोके (Prevention of Haemolytic Disease of Newborn)

  • Rh-negative माँ को Anti-D (RhoGAM) इन्जेक्शन गर्भावस्था के 28वें हफ्ते और जन्म के बाद।
  • पिछली गर्भधारण और रक्त संक्रमण का रिकॉर्ड रखें।
  • जन्म से पहले रक्त जांच (Blood Group और Antibody Screening) कराएँ।
  • डॉक्टर की सलाह अनुसार प्रेगनेंसी की नियमित जांच।

नवजात शिशु के हीमोलिटिक रोग के घरेलू उपाय (Home Care for HDN)

  • फोटोथेरेपी के दौरान: बच्चे को समय पर पलटें और आँखों की सुरक्षा करें।
  • पानी और दूध: बच्चे को पर्याप्त स्तनपान या फॉर्मूला दूध दें।
  • नरमी और आराम: बच्चे को शांत और गर्म रखें।

नोट: HDN एक गंभीर स्थिति है; घरेलू उपाय केवल सहायक हैं। मुख्य उपचार अस्पताल और डॉक्टर की निगरानी में होना चाहिए।

नवजात शिशु के हीमोलिटिक रोग में सावधानियाँ (Precautions in HDN)

  • पीलेपन, नींद में कमी या भूख न लगना जैसी स्थिति को हल्के में न लें।
  • समय पर डॉक्टर से संपर्क करें और फोटोथेरेपी या ब्लड ट्रांसफ्यूजन के निर्देश का पालन करें।
  • माँ की गर्भावस्था के दौरान नियमित रक्त जांच कराएँ।
  • संक्रमण और तापमान पर विशेष ध्यान।

नवजात शिशु के हीमोलिटिक रोग कैसे पहचाने (Diagnosis of HDN)

  1. ब्लड टेस्ट (Blood Tests):
    1. Hemoglobin, Hematocrit, Reticulocyte Count
  2. बिलीरुबिन स्तर जांच (Bilirubin Levels)
  3. Coombs Test: माँ और शिशु के रक्त में एंटीबॉडी का पता
  4. ABO और Rh ब्लड ग्रुप टेस्ट

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: क्या HDN जानलेवा हो सकता है?
उत्तर: यदि समय पर इलाज न हो तो गंभीर एनीमिया और उच्च बिलीरुबिन से जीवन खतरे में आ सकता है।

प्रश्न 2: क्या यह हर गर्भावस्था में होता है?
उत्तर: नहीं, केवल Rh-negative माँ और Rh-positive शिशु में उच्च जोखिम होता है।

प्रश्न 3: क्या ब्लड ट्रांसफ्यूजन हमेशा जरूरी है?
उत्तर: नहीं, हल्के मामलों में केवल फोटोथेरेपी पर्याप्त हो सकती है।

प्रश्न 4: क्या यह आनुवंशिक है?
उत्तर: Rh और ABO असंगति आनुवंशिक नहीं होती, लेकिन माँ के रक्त प्रकार पर निर्भर करती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

नवजात शिशु का हीमोलिटिक रोग (Haemolytic Disease of Newborn) रक्त समूह असंगति या Rh फैक्टर असंगति के कारण होने वाला गंभीर रोग है। समय पर पहचान, उचित फोटोथेरेपी, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और गर्भावस्था में रोकथाम (Anti-D इंजेक्शन) से इससे होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है और शिशु स्वस्थ जीवन जी सकता है।


Post a Comment (0)
Previous Post Next Post