पॉलीसाइथीमिया वेरा (Polycythemia Vera) एक प्रकार का रक्त संबंधी विकार है जिसमें शरीर की अस्थि मज्जा (Bone marrow) आवश्यकता से अधिक लाल रक्त कोशिकाएँ (Red Blood Cells - RBCs) बनाने लगती है। इसके कारण रक्त गाढ़ा (Thick) हो जाता है और उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। यह एक क्रोनिक (Chronic) मायलोप्रोलिफेरेटिव डिसऑर्डर (Myeloproliferative Disorder) है।
यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और सही समय पर पहचान न होने पर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, और ब्लड क्लॉटिंग जैसी गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकती है।
पॉलीसाइथीमिया वेरा क्या होता है (What is Polycythemia Vera)
यह एक दुर्लभ (Rare) रक्त विकार है जिसमें न केवल लाल रक्त कोशिकाएँ बल्कि सफेद रक्त कोशिकाएँ (White Blood Cells - WBCs) और प्लेटलेट्स (Platelets) भी सामान्य से अधिक बनने लगते हैं। इससे खून का घनत्व बढ़ जाता है और शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
पॉलीसाइथीमिया वेरा के कारण (Causes of Polycythemia Vera)
- जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic Mutation) – JAK2 (Janus Kinase 2) जीन में बदलाव इस रोग का मुख्य कारण है।
- अस्थि मज्जा में असामान्य कोशिका उत्पादन।
- अनुवांशिकता (Heredity) – यह कभी-कभी परिवार में भी देखा गया है।
- यह सामान्य जीवनशैली या आहार से नहीं होता, बल्कि मुख्य रूप से एक जेनेटिक डिसऑर्डर है।
पॉलीसाइथीमिया वेरा के लक्षण (Symptoms of Polycythemia Vera)
- थकान (Fatigue)
- सिरदर्द (Headache)
- चक्कर आना (Dizziness)
- धुंधली दृष्टि (Blurred Vision)
- खुजली (Itching), खासकर नहाने के बाद
- त्वचा का लाल या नीला पड़ना (Redness or Bluish skin)
- सांस फूलना (Shortness of breath)
- हाथ-पैरों में झनझनाहट या जलन (Burning sensation in hands/feet)
- बार-बार नाक से खून आना या मसूड़ों से खून आना
- स्प्लीन का बढ़ना (Enlarged spleen)
पॉलीसाइथीमिया वेरा का इलाज (Treatment of Polycythemia Vera)
इस रोग का पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करके जीवन को सामान्य रखा जा सकता है।
- फ्लेबोटोमी (Phlebotomy) – शरीर से अतिरिक्त खून निकालकर RBCs की संख्या कम की जाती है।
- दवाइयाँ (Medications) –
- Hydroxyurea (लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नियंत्रित करने के लिए)
- Interferon-alpha
- Aspirin (खून को पतला रखने के लिए)
- ब्लड थिनर (Blood Thinners) – ब्लड क्लॉटिंग रोकने के लिए।
- JAK2 Inhibitors – JAK2 जीन म्यूटेशन को नियंत्रित करने के लिए।
- नियमित चेकअप और CBC (Complete Blood Count) टेस्ट जरूरी है।
पॉलीसाइथीमिया वेरा से बचाव (Prevention of Polycythemia Vera)
इस बीमारी को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है क्योंकि यह जेनेटिक कारणों से होती है। लेकिन इसके जटिलताओं (Complications) को रोका जा सकता है –
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें।
- धूम्रपान और शराब से बचें।
- पर्याप्त पानी पिएं ताकि खून गाढ़ा न हो।
- स्वस्थ आहार लें।
- सक्रिय जीवनशैली अपनाएँ।
पॉलीसाइथीमिया वेरा के घरेलू उपाय (Home Remedies for Polycythemia Vera)
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- हल्के व्यायाम करें ताकि रक्त प्रवाह सही बना रहे।
- हरी सब्ज़ियाँ और फल खाएँ।
- मसालेदार और तैलीय भोजन से परहेज करें।
- अधिक गर्म पानी से न नहाएँ, क्योंकि इससे खुजली बढ़ सकती है।
पॉलीसाइथीमिया वेरा में सावधानियाँ (Precautions in Polycythemia Vera)
- Aspirin या ब्लड थिनर दवाओं को डॉक्टर की सलाह के बिना न रोकें।
- खुद से कोई हर्बल सप्लीमेंट न लें।
- धूप और गर्मी से बचें।
- खून निकालने की प्रक्रिया (Phlebotomy) को समय पर कराएँ।
पॉलीसाइथीमिया वेरा कैसे पहचाने (Diagnosis of Polycythemia Vera)
- ब्लड टेस्ट (CBC Test) – RBC, WBC और प्लेटलेट्स की संख्या पता करने के लिए।
- JAK2 Mutation Test – जेनेटिक परिवर्तन की जांच के लिए।
- Bone Marrow Biopsy – अस्थि मज्जा की जाँच।
- Erythropoietin (EPO) Level Test – यह हार्मोन RBCs उत्पादन नियंत्रित करता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या पॉलीसाइथीमिया वेरा कैंसर है?
हाँ, इसे रक्त कैंसर (Blood Cancer) की एक किस्म माना जाता है क्योंकि यह अस्थि मज्जा की कोशिकाओं का असामान्य विकास है।
Q2. क्या पॉलीसाइथीमिया वेरा का इलाज संभव है?
पूर्ण इलाज संभव नहीं है, लेकिन दवाइयों और नियमित उपचार से रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।
Q3. यह बीमारी कितने समय तक रहती है?
यह एक क्रोनिक (लंबे समय तक रहने वाली) बीमारी है। सही इलाज से जीवन प्रत्याशा सामान्य के बराबर हो सकती है।
Q4. क्या पॉलीसाइथीमिया वेरा संक्रामक है?
नहीं, यह संक्रामक (Infectious) बीमारी नहीं है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पॉलीसाइथीमिया वेरा (Polycythemia Vera) एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है। इसमें लाल रक्त कोशिकाओं की अत्यधिक वृद्धि होती है, जिससे खून गाढ़ा हो जाता है और हृदय व मस्तिष्क से जुड़ी जटिलताएँ हो सकती हैं। हालांकि, समय पर पहचान, नियमित इलाज, संतुलित जीवनशैली और सावधानियों के साथ मरीज एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकता है।
