Khushveer Choudhary

Juvenile Nephronophthisis कारण, लक्षण, पहचान, इलाज, रोकथाम और सावधानियाँ

Juvenile Nephronophthisis (हिंदी में: युवावस्था-नेफ्रोनोफ्थिसिस) एक दुर्लभ आनुवंशिक गुर्दी रोग है जिसमें गुर्दियों के ट्यूब्यूलर इंटरस्टिशियम (renal tubulointerstitial क्षेत्र) और कॉर्टिको-मेडुलरी जंक्शन (cortico-medullary junction) में फाइब्रोसिस (scarring) तथा सिस्ट (cysts) बनते हैं। यह विशेष रूप से बच्‍चों या किशोरों में देखा जाता है और समय के साथ गुर्दी की कार्य-क्षमता कम होती जाती है, अंततः गुर्दा विकार/शेषःचरण (end-stage renal disease, ESRD) की ओर ले जा सकती है।

यह रोग आम तौर पर ऑटोसोमल रिसेसिव (autosomal recessive) प्रकार का होता है — अर्थात् दोनों माता-पिता से दोषग्रस्त जीन मिलने पर इस रोग का जोखिम बढ़ जाता है।

Juvenile Nephronophthisis क्या होता है (What is Juvenile Nephronophthisis)

इस रोग की स्थिति में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु होते हैं:

  • गुर्दियों के ट्यूब्यूल्स और इंटरस्टिशियल क्षेत्र में फाइब्रोसिस और स्कैरिंग होती है।
  • कॉर्टिको-मेडुलरी जंक्शन (renal cortex और medulla के बीच) की संरचना बिगड़ जाती है, जिससे गुर्दियों का कार्य प्रभावित होता है।
  • अधिकांश मामलों में गुर्दियों का आकार सामान्य या घटा हुआ होता है (बड़ा नहीं होता), जो इसे अन्य सिस्टिक गुर्दी रोगों से अलग बनाता है।
  • उपयकृत (secondary) रूप से गुर्दियों की एकाग्रता (concentration) क्षमता कम हो जाती है — अर्थात् पेशाब का घनत्व सामान्य से कम होता है।
  • अंततः यदि सही समय पर निदान व प्रबंधन न हो, तो गुर्दा विफलता (renal failure) और ESRD की संभावना बढ़ जाती है।

Juvenile Nephronophthisis कारण (Causes)

  • मुख्य कारण एक बहु-जीन (multigene) आनुवंशिक दोष है।
  • उदाहरण के लिए, NPHP1 जीन में बदल (म्यूटेशन) Juvenile Nephronophthisis का सबसे आम कारण है।
  • इस तरह के जीन अधिकतर cilia (सूक्ष्म कोशिकीय प्रसारक) से संबंधित कार्य करते हैं — इसलिए इस रोग को एक “सिलियोपैथी” (ciliopathy) माना जाता है।
  • राह-प्रदर्शन (inheritance) ऑटोसोमल रिसेसिव है — यदि दोनों माता-पिता में दोषग्रस्त जीन हो, तो 25 % संभावना होती है कि बच्चा प्रभावित होगा।

Juvenile Nephronophthisis लक्षण (Symptoms of Juvenile Nephronophthisis)

यहाँ प्रमुख लक्षण दिए जा रहे हैं:

  • पॉलीयूरिया (बहुत अधिक पेशाब आना) — लीकेज और ट्यूब्यूलर दोष के कारण।
  • पोलीडिप्सिया (बहुत प्यास लगना, अधिक तरल पदार्थ पीना) — इससे संबंधित जल-उपयोग बढ़ जाता है।
  • एनीमिया (खून की कमी) — गुर्दियों द्वारा इरिथ्रोपोएटिन (EPO) कम बनना इसका एक कारण हो सकता है।
  • वृद्धि-विलंब (growth retardation) — बच्चों में शारीरिक विकास अपेक्षित स्तर से कम हो सकता है।
  • सोडियम व जल खपत दोष — ट्यूब्यूल खराब होने से सोडियम का उत्सर्जन बढ़ सकता है एवं गुर्दियों की एकाग्रता क्षमता कम हो जाती है।
  • गुर्दी कार्य में कमी — शुरुआती अवस्था में हल्के-हल्के संकेत, लेकिन आगे चलकर गंभीर गुर्दी विफलता हो सकती है।
  • विशेष रूप से उच्च रक्तचाप (hypertension) आम नहीं है इस रोग में — क्योंकि सोडियम उत्सर्जन बढ़ता है तथा लवण-धरिताश्रय (salt retention) कम होती है।

Juvenile Nephronophthisis कैसे पहचानें (How to recognise)

निदान के मुख्य पहलू

  • रक्त परीक्षण और मूत्र परीक्षण: मूत्र का घनत्व कम होना, मूत्र निष्कर्षण में कमी, क्रिएटिनिन व बनावट जाँचना।
  • गुर्दियों का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): प्रारंभ में गुर्दी सामान्य दिख सकती है, लेकिन आगे चलकर कॉर्टिको-मेडुलरी जंक्शन की विभेदन (corticomedullary differentiation) कम हो जाती है और गुर्दी की प्रतिच्छवि (echogenicity) बढ़ सकती है।
  • परिवारिक इतिहास: यदि परिवार में इस तरह की गुर्दी बीमारी रही हो, तो संभावना बढ़ जाती है।
  • अन्य लक्षण/संकेत: जैसे लगातार प्यास, पेशाब की मात्रा बढ़ जाना, विकास में कमी आदि।
  • जीन परीक्षण (genetic testing) द्वारा दोष-जीन (mutated gene) की पुष्टि की जा सकती है।

Juvenile Nephronophthisis इलाज (Treatment)

चूंकि Juvenile Nephronophthisis एक आनुवंशिक व प्रगतिशील (progressive) रोग है, इसलिए इसका पूर्ण चंगाई (cure) संभव नहीं है, लेकिन प्रबंधन संभव है।

  • गुर्दी के फंक्शन को जितना संभव हो देर तक रख-रखाव करना (renal preservation) मुख्य उद्देश्य है।
  • रक्तचाप नियंत्रण (यदि हो) और एनीमिया का उपचार।
  • गुर्दी विफलता की ओर अग्रसर होने पर डायालिसिस (dialysis) या गुर्दा प्रत्यारोपण (kidney transplantation) विकल्प हो सकते हैं।
  • जीवनशैली व आहार में बदलाव: कम लवण (salt) आहार, प्रोटीन संतुलित आहार, गुर्दी-सुरक्षात्मक उपाय।
  • नियमित निगरानी: गुर्दी फंक्शन (GFR), इलेक्ट्रोलाइट्स, मूत्र परीक्षण, वृद्धि-मापन आदि।

Juvenile Nephronophthisis कैसे रोके (Prevention)

चूंकि यह मुख्यतः आनुवंशिक कारणों से होता है, इसलिए पूर्ण रोकथाम संभव नहीं है। लेकिन निम्न उपाय सहायक हो सकते हैं:

  • यदि परिवार में पहले से इस तरह का मामला हो, तो आनुवंशिक परामर्श (genetic counselling) लेना।
  • नियमित रूप से गुर्दी-स्वास्थ्य की जांच करवाना, विशेषकर यदि लक्षण दिखें।
  • बच्चों में असामान्य प्यास/पेशाब या विकास-विलंब दिखने पर शीघ्र चिकित्सा-जांच करवाना।
  • गुर्दी को अतिरिक्त नुकसान से बचाने हेतु: पर्याप्त जलयोजन (hydration), शराब व स्मोकिंग से दूर-दूर, अन्य गुर्दी-हानिकारक दवाओं से परहेज।

घरेलू उपाय (Home Remedies / Supportive Measures)

यहाँ कुछ सहायक उपाय दिए जा रहे हैं जो मुख्य उपचार के साथ साथ मदद कर सकते हैं (पूर्व सलाह के बाद ही अपनाएँ):

  1. पर्याप्त मात्रा में साफ व सुरक्षित पानी पिएँ ताकि शरीर में निर्जलीकरण (dehydration) न हो।
  2. आहार में नमक (sodium) की मात्रा नियंत्रित रखें — गुर्दी पर लवण बोझ कम करता है।
  3. पक्षाहारी या मांसाहारी भोजन में प्रोटीन की मात्रा संतुलित रखें— كثि प्रोटीन गुर्दियों पर अतिरिक्त बोझ डाल सकती है।
  4. नियमित हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि करें, ताकि संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर रहे।
  5. बच्चों की वृद्धि-माप (height, weight) नियमित रूप से करें, यदि वृद्धि में कमी हो रही हो तो समय पर चिकित्सक से संपर्क करें।
  6. किसी भी दवा (विशेषकर गुर्दी-प्रभावित दवा) को बिना चिकित्सक सुझाव के न लें।

ध्यान दें: ये उपाय मुख्य उपचार का विकल्प नहीं हैं, बल्कि सहायक हैं।

सावधानियाँ (Precautions)

  • यदि बच्चों में अचानक बहुत अधिक पेशाब आने लगे, अथवा बर्फ की कमी, वृद्धि रुकी हो रही हो, तुरंत नेफ्रोलॉजिस्ट (kidney specialist) से मिलें।
  • किसी भी तरह की गुर्दी-सम्बंधी दवा स्वयं-से-से न लें।
  • नियमित रूप से गुर्दी-फंक्शन, ब्लडप्रेशर तथा एनीमिया-स्थिति की जाँच करते रहें।
  • किसी भी संक्रमण (उदाहरण के लिए पेशाब का संक्रमण) को लम्बे समय तक न छोड़ें, क्योंकि गुर्दी पर और अधिक असर हो सकता है।
  • यदि परिवार में इस तरह की रोग-इतिहास हो, तो आगामी बच्चों के लिए जीन परीक्षण व आनुवंशिक परामर्श पर विचार करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: क्या Juvenile Nephronophthisis सिर्फ बच्चों में होती है?
उत्तर: इसका नाम “युवावस्था” (juvenile) फॉर्म को इंगित करता है जहाँ गुर्दा विफलता आमतौर पर करीब 13 वर्ष की उम्र तक होती है। हालांकि अन्य प्रकार भी हैं (infantile, adolescent) जिन्हें अलग-अलग रूप में देखा जाता है।

प्रश्न 2: क्या यह बीमारी अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है?
उत्तर: हाँ, कुछ मामलों में यह केवल गुर्दियों तक सीमित नहीं होती। इसके साथ आंख-रोग (retinal degeneration) जैसे Senior–Løken syndrome, लिवर फाइब्रोसिस, हृदय (heart) अथवा अन्य अंगों की समस्याएँ भी हो सकती हैं।

प्रश्न 3: क्या इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है?
उत्तर: वर्तमान में इस रोग का पूर्ण इलाज संभव नहीं है, क्योंकि यह जीन-दोषित है। लेकिन समय पर पहचान तथा प्रबंधन से गुर्दी की कार्य-क्षमता लंबे समय तक बनी रह सकती है। गुर्दा विफलता आने पर प्रतिस्थापन (retirement) विकल्प मौजूद हैं।

प्रश्न 4: इस बीमारी का कितना जोखिम है?
उत्तर: यह बहुत दुर्लभ रोग है। उदाहरण के लिए, कनाडा में नवजातों में अनुमानित प्रमाण 1 इन 50,000 है।

प्रश्न 5: अगर परिवार में इस रोग का एक सदस्य हो, तो क्या अगले बच्चों को भी होगा?
उत्तर: अगर माता-पिता दोनों में दोषग्रस्त जीन हो (carrier), तो प्रत्येक गर्भ में 25 % संभावना है कि बच्चा प्रभावित होगा, 50 % संभावना है कि बच्चा केवल वाहक (carrier) होगा, और 25 % संभावना है कि बच्चा प्रभावित या वाहक नहीं होगा।

निष्कर्ष

युवावस्था-नेफ्रोनोफ्थिसिस (Juvenile Nephronophthisis) एक जटिल लेकिन दुर्लभ आनुवंशिक गुर्दी रोग है। शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य एवं हल्के होते हैं — जैसे अधिक प्यास, अधिक पेशाब — इसलिए अक्सर पहचान देर से होती है। समय पर निदान एवं गुर्दी-स्वास्थ्य की निगरानी एवं उचित प्रबंधन से बच्चों की गुणवत्ता-जीवन बेहतर हो सकती है। यदि आपके परिवार में इस तरह का इतिहास है या बच्चे में उपरोक्त लक्षण दिखते हों, तो नेफ्रोलॉजिस्ट की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अगर आप चाहें, तो मैं इस रोग के जीन प्रकार, अनुवांशिक परीक्षण विकल्प, तथा भारत में उपलब्ध उपचार-संसाधनों पर भी जानकारी जुटा सकता हूँ।

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