किडनी स्कैरिंग (Kidney Scarring) एक ऐसी स्थिति है जिसमें किडनी के ऊतक (Tissues) में स्थायी निशान या दाग (Scar) बन जाते हैं।
ये दाग किडनी के ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे किडनी के फ़िल्टर (Nephrons) सही से काम नहीं कर पाते।
समय के साथ, यह स्थिति क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease - CKD) या किडनी फेल्योर (Kidney Failure) में बदल सकती है।
किडनी स्कैरिंग का सबसे बड़ा कारण बार-बार होने वाला संक्रमण (Repeated Kidney Infections) या हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) होता है।
किडनी स्कैरिंग क्या होती है? (What is Kidney Scarring?)
किडनी स्कैरिंग का अर्थ है किडनी के ऊतकों में स्थायी क्षति या फाइब्रोसिस (Fibrosis)।
जब किडनी किसी संक्रमण, सूजन या उच्च रक्तचाप के कारण बार-बार क्षतिग्रस्त होती है, तो वहां नया स्वस्थ ऊतक बनने की जगह “Scar Tissue” विकसित हो जाता है।
यह दाग किडनी की फ़िल्टरिंग क्षमता को घटाता है, जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थ (Toxins) जमा होने लगते हैं।
किडनी स्कैरिंग के कारण (Causes of Kidney Scarring)
- बार-बार किडनी इंफेक्शन (Repeated Kidney Infections / Pyelonephritis) – संक्रमण से किडनी के ऊतक नष्ट होकर दाग छोड़ जाते हैं।
- वेसिकोयूरिट्रल रिफ्लक्स (Vesicoureteral Reflux - VUR) – इसमें पेशाब मूत्राशय से वापस किडनी में चला जाता है, जिससे स्कैरिंग होती है।
- हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) – रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ने से किडनी को नुकसान होता है।
- डायबिटीज (Diabetes Mellitus) – लंबे समय तक अनियंत्रित शुगर से किडनी के फिल्टर क्षतिग्रस्त होते हैं।
- ऑब्स्ट्रक्शन (Obstruction in Urinary Tract) – स्टोन या ट्यूमर से मूत्र का बहाव रुकने पर सूजन और स्कैरिंग होती है।
- ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases) – जैसे लुपस नेफ्राइटिस (Lupus Nephritis), जो किडनी के ऊतकों पर हमला करती है।
किडनी स्कैरिंग के लक्षण (Symptoms of Kidney Scarring)
शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन समय के साथ निम्न लक्षण सामने आते हैं:
- पेशाब में झाग आना (Foamy Urine)
- पेशाब में खून (Hematuria)
- बार-बार पेशाब लगना या कम पेशाब आना
- शरीर में सूजन (Swelling in Legs or Face)
- थकान और कमजोरी (Fatigue and Weakness)
- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
- पीठ या कमर के हिस्से में दर्द (Flank Pain)
- भूख न लगना, उल्टी या मितली (Loss of Appetite, Nausea)
किडनी स्कैरिंग कैसे पहचानें (How to Identify Kidney Scarring)
डॉक्टर किडनी स्कैरिंग की पहचान के लिए निम्नलिखित जांचें करते हैं:
- मूत्र जांच (Urine Test) – प्रोटीन या खून की उपस्थिति का पता चलता है।
- रक्त जांच (Blood Test) – किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) के जरिए क्रिएटिनिन और यूरिया स्तर देखा जाता है।
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – किडनी के आकार और संरचना का अध्ययन किया जाता है।
- CT स्कैन या MRI – स्कैरिंग की मात्रा और स्थिति स्पष्ट दिखती है।
- DMSA स्कैन (Dimercaptosuccinic Acid Scan) – यह विशेष स्कैन किडनी के ऊतक की क्षति को दिखाता है।
किडनी स्कैरिंग का इलाज (Treatment of Kidney Scarring)
किडनी में बने दाग स्थायी होते हैं, लेकिन आगे की क्षति को रोका जा सकता है। इलाज मुख्य रूप से कारणों को नियंत्रित करने पर आधारित होता है:
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संक्रमण का इलाज (Treatment of Infection):
- एंटीबायोटिक दवाओं से संक्रमण नियंत्रित किया जाता है।
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ब्लड प्रेशर का नियंत्रण (Control of Blood Pressure):
- ACE Inhibitors या ARBs जैसी दवाएं दी जाती हैं जो किडनी की रक्षा करती हैं।
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डायबिटीज नियंत्रण (Control of Diabetes):
- ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए इंसुलिन या मेटफॉर्मिन जैसी दवाएं दी जाती हैं।
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मूत्र मार्ग की रुकावट का इलाज (Treating Obstruction):
- यदि स्टोन या ब्लॉकेज है, तो सर्जरी या लेज़र ट्रीटमेंट किया जाता है।
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डाइट और जीवनशैली में सुधार (Diet and Lifestyle Changes):
- नमक, प्रोटीन और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को सीमित करें।
- पर्याप्त पानी पिएं।
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गंभीर स्थिति में:
- किडनी फेल्योर होने पर डायलिसिस (Dialysis) या किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) की आवश्यकता होती है।
किडनी स्कैरिंग के घरेलू उपाय (Home Remedies for Kidney Scarring)
घरेलू उपाय केवल सहायक होते हैं, इलाज का विकल्प नहीं। इन्हें डॉक्टर की सलाह से ही अपनाएं।
- पर्याप्त पानी पिएं: रोजाना 2.5 से 3 लीटर पानी टॉक्सिन्स बाहर निकालने में मदद करता है।
- नमक और चीनी कम करें: यह किडनी पर दबाव घटाता है।
- फल और सब्जियां खाएं: जैसे तरबूज, लौकी, और सेब, जो किडनी के लिए फायदेमंद हैं।
- कैफीन और शराब से बचें।
- नियमित व्यायाम करें: ब्लड प्रेशर और शुगर नियंत्रण में रहता है।
किडनी स्कैरिंग से बचाव (Prevention of Kidney Scarring)
- संक्रमण का समय पर इलाज कराएं।
- ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें।
- दर्दनाशक दवाओं (Painkillers) का अत्यधिक उपयोग न करें।
- पर्याप्त पानी पिएं।
- हर साल किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाएं।
- अगर बच्चे को बार-बार पेशाब का संक्रमण हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।
सावधानियाँ (Precautions for Kidney Scarring)
- खुद से कोई भी दवा न लें।
- मूत्र संक्रमण को कभी नज़रअंदाज़ न करें।
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवा पूरी करें, बीच में न रोकें।
- अगर पेशाब में झाग, सूजन या थकान हो, तो तुरंत जांच करवाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Kidney Scarring)
Q1. क्या किडनी स्कैरिंग ठीक हो सकती है?
नहीं, पहले से बनी स्कैरिंग स्थायी होती है, लेकिन आगे की क्षति को रोका जा सकता है।
Q2. क्या किडनी स्कैरिंग से किडनी फेल्योर हो सकता है?
हाँ, यदि समय पर इलाज न किया जाए तो धीरे-धीरे किडनी फेल्योर हो सकता है।
Q3. क्या बच्चों में भी किडनी स्कैरिंग हो सकती है?
हाँ, बच्चों में वेसिकोयूरिट्रल रिफ्लक्स (VUR) के कारण यह समस्या आम है।
Q4. क्या यह रोग दर्द देता है?
कई मामलों में पीठ या कमर में हल्का दर्द महसूस होता है, विशेष रूप से संक्रमण के दौरान।
Q5. क्या सही आहार से स्कैरिंग को रोका जा सकता है?
हाँ, हेल्दी डायट और पर्याप्त पानी से किडनी की सेहत बनी रहती है और स्कैरिंग का खतरा घटता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
किडनी स्कैरिंग (Kidney Scarring) एक धीरे-धीरे बढ़ने वाली लेकिन गंभीर स्थिति है, जो समय पर ध्यान न देने पर किडनी फेल्योर का कारण बन सकती है।
सही समय पर निदान, ब्लड प्रेशर और शुगर का नियंत्रण, संक्रमण का उचित इलाज और संतुलित आहार अपनाकर इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।