Khushveer Choudhary

Kikuchi-Fujimoto disease (Kikuchi Disease): कारण, लक्षण, इलाज, रोकथाम, घरेलू उपाय और पूरी जानकारी

किकुची-फुजिमोटो रोग (Kikuchi-Fujimoto disease, KFD) एक दुर्लभ, आम तौर पर स्व-सीमित (self-limiting) लसीका-ग्रंथियों की सूजन (lymphadenitis) है, जिसे “हिस्टियोसाइटिक नेक्रोटाइजिंग लसीका-ग्रंथिशोथ” (histiocytic necrotizing lymphadenitis) भी कहा जाता है।

यह रोग सर्वप्रथम 1972 में जापान में Masahiro Kikuchi द्वारा वर्णित हुआ था।
यह मुख्यतः युवा वयस्कों (विशेषकर 20-30 वर्ष) में, महिलाओं में हल्के-से अधिक पाया गया है।
इस रोग में गंभीर दीर्घकालिक प्रभाव कम ही होते हैं और सही निदान एवं देखभाल से पूरी तरह ठीक हो जाना आम है।

Kikuchi-Fujimoto disease क्या होता है (What is)

  • इस रोग में गर्दन (विशेष रूप से पीछे की भाग में) की लसीका ग्रंथियाँ (cervical lymph nodes) अचानक बढ़ जाती हैं, दर्द कर सकती हैं और आमतौर पर बुखार तथा अन्य लक्षण सहायक रूप से होते हैं।
  • बायोप्सी (lymph-node excision biopsy) द्वारा ग्रंथियों का विश्लेषण किया जाता है, जिसमें नेक्रोसिस (coagulative necrosis), हिस्तियोसाइट्स की बढ़ोतरी (histiocytic proliferation), टेट्रफंक्शन (karyorrhectic debris) तथा न्युट्रोफिल्स की अनुपस्थिति विशेष रूप से देखी जाती है।
  • रोग का पाठक्रम (course) आमतौर पर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक चलता है, और स्व-ठीक (self-resolving) हो जाता है।
  • लेकिन, चूंकि यह लसीका ग्रंथियों की सूजन और बुखार जैसे लक्षण देता है, इसलिए इसे कभी-कभी अन्य गंभीर रोगों (जैसे लिम्फोमा (Lymphoma), टी.बी. (Tuberculosis), स्वयं प्रतिरक्षा विकार (Autoimmune disorders) आदि) के रूप में गलत निदान किया जाता है।

Kikuchi-Fujimoto disease कारण (Causes)

  • रोग का दिश्चत कारण (definitive cause) अभी तक जाना नहीं गया है।
  • संक्रमण (viral / bacterial) और प्रतिरक्षा-संबंधित (autoimmune) प्रतिक्रियाएँ संभावित कारण मानी गई हैं। उदाहरण के लिए Epstein–Barr virus (EBV), Human herpesvirus 6 (HHV6), Human herpesvirus 8 (HHV8), पर्वोवालरो B19 (parvovirus B19) आदि शामिल रहे हैं।
  • कुछ आनुवंशिक (HLA-class II) प्रकारों की प्रवृत्ति पाई गई है, जिससे यह सुझाव मिलता है कि जीन-बाध्यता (genetic predisposition) हो सकती है।
  • इसके अलावा, यह रोग कभी-कभी Systemic lupus erythematosus (SLE) जैसे प्रतिरक्षा रोगों के साथ पाया गया है, जो प्रतिरक्षा-मध्यस्थ (immune-mediated) प्रक्रियाओं की संभावना को बढ़ाता है।

Kikuchi-Fujimoto disease लक्षण (Symptoms)

नीचे किकुची-फुजिमोटो रोग के प्रमुख लक्षण दिए गए हैं:

  • गर्दन में सूजी हुई, अक्सर पीड़ादायक लसीका-ग्रंथियाँ (cervical lymphadenopathy) — विशेष रूप से पीछे की भाग की लसीका ग्रंथियाँ।
  • बुखार, आमतौर पर हल्के से मध्यम तरह का, कुछ मामलों में रात में पसीना (night sweats) होना।
  • थकान, कमजोरी, सिरदर्द, भूख कम लगना।
  • कभी-कभी त्वचा पर चकत्ते (rash), मुंह में छाले, जोड़ों में दर्द-कशिश (arthralgia) जैसे अन्य लक्षण भी मिल सकते हैं।
  • बहुत दुर्लभ मामलों में यकृत (liver) या प्लीहा (spleen) का बढ़ जाना, तंत्रिका तंत्र की भागीदारी जैसे मेंनिंजिस (meningitis) संबंधित लक्षण।

Kikuchi-Fujimoto disease कैसे पहचाने (How to recognize / Diagnosis)

  • मेडिकल इतिहास-लेने पर गर्दन में सूजी ग्रंथियों, बुखार, रातपसीना आदि संकेत मिल सकते हैं।
  • शारीरिक जांच में लसीका-ग्रंथियों का आकार बढ़ा, स्पर्श में कोमल (tender) हो सकता है।
  • रक्त परीक्षण में सामान्यतः ल्यूकोपीनिया (leucopenia) मिल सकती है, अर्थ सेटिंग रेखांक (ESR) बढ़ सकती है।
  • परंतु निदान (diagnosis) का स्वर्ण मानक लसीका-ग्रंथि बायोप्सी (excisional lymph node biopsy) है जिसमें विशेष हिस्टोपैथोलॉजिक (histopathologic) पैटर्न प्रदर्शित होते हैं: नेक्रोसिस, हिस्टियोसाइट्स, प्लाज़्मासायटॉइड मोनोसाइट्स, न्युट्रोफिल्स की अनुपस्थिति।
  • अन्य संभावित कारणों को अलग करना (differential diagnosis) महत्वपूर्ण है — जैसे टी.बी., लिम्फोमा, SLE, सार्कॉइडोसिस आदि।

Kikuchi-Fujimoto disease इलाज (Treatment)

  • चूंकि यह रोग स्व-सीमित (self-limiting) है, अधिकांश मामलों में विशेष रूप से कोई विशिष्ट चिकित्सा आवश्यक नहीं होती है; रोग स्वयं ही कुछ हफ्तों से महीनों में ठीक हो जाता है।
  • लक्षणों को आराम देने हेतु उपचार: गैर-स्टेरायडल सूजनरोधी दवाएं (NSAIDs) जैसे बुखार, दर्द, सूजी ग्रंथि के लिए।
  • गंभीर या व्यापक रोग के मामलों में (उदाहरण-स्वरूप: बहुत बड़ी ग्रंथि, सामान्यीकृत रोग, अन्य अंगों की भागीदारी) कम-खुराक स्टेरायड्स (corticosteroids) का उपयोग किया जा सकता है।
  • रोग के बाद नियमित फॉलो-अप जरूरी है क्योंकि कुछ मामलों में SLE आदि अन्य रोगों का विकास हो सकता है।

Kikuchi-Fujimoto disease कैसे रोके (Prevention)

  • चूंकि कारण स्पष्ट नहीं है इसलिए रोग की प्रत्यक्ष रोकथाम के लिए विशिष्ट निर्देश नहीं हैं।
  • हालांकि, सामान्य प्रतिरक्षा सुधारने वाले उपाय (स्वस्थ आहार, पर्याप्त नींद, तनाव कम करना, संक्रमणों से बचाव) सहायक हो सकते हैं।
  • गर्दन में लसीका-ग्रंथियों की अचानक बढ़ोतरी, बुखार या अन्य असामान्य लक्षण दिखाई दें तो समय पर चिकित्सकीय जांच कराना महत्वपूर्ण है — ताकि गलत निदान (مثلاً टी.बी. या लिम्फोमा) न हो।

घरेलू उपाय (Home Remedies)

  • गर्दन में सूजी ग्रंथि के कारण दर्द हो रहा हो, तो गर्म गुलाबजल से सिकाई या हल्की गर्म पैक इस्तेमाल की जा सकती है; लेकिन यह रोग के मूल स्रोत को नहीं बदलती।
  • पर्याप्त आराम और पर्याप्त पानी (hydration) लेना जरूरी है।
  • हल्का, पौष्टिक और संतुलित आहार लें — फल-सब्जियाँ, प्रोटीन समृद्ध भोजन।
  • बुखार और दर्द हेतु डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं लें; स्वयं दवाओं का प्रयोग बिना चिकित्सक सलाह के न करें।
  • धूम्रपान व अधिक शराब से बचें, क्योंकि ये प्रतिरक्षा प्रणाली पर अतिरिक्त भार डाल सकते हैं।
  • यदि गले में दर्द हो या संक्रमण का संदेह हो, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

सावधानियाँ (Precautions)

  • यदि लसीका-ग्रंथियाँ 2-3 हफ्तों से अधिक समय तक बढ़ी-हुई बनी रहती हैं, बिना सुधार के बुखार, रातपसीना, वजनघटाव जैसे लक्षण हों, तो शीघ्र चिकित्सकीय सलाह लें — क्योंकि यह अन्य गंभीर रोगों का संकेत हो सकता है।
  • बायोप्सी से पहले और बाद में चिकित्सकीय निर्देशों का पालन करें।
  • स्वयं स्टेरायड्स या अन्य उपचार शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है।
  • यदि SLE या अन्य प्रतिरक्षा रोगों के लक्षण हों (उदाहरण-स्वरूप: बहुत अधिक जोड़ों का दर्द, चकत्ते, मुंह के घाव, थकान अवधि बढ़ जाना) तो विशेष दृष्टि रखें।
  • डॉक्टर द्वारा बताए गए फॉलो-अप परीक्षण नियमित रूप से कराएं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. क्या यह रोग संक्रामक (contagious) है?
A. नहीं — इस रोग को आम तौर पर संक्रामक माना नहीं जाता है। संक्रमण-संबंधित कारणों का सुझाव मौजूद है लेकिन प्रत्यक्ष रूप से एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण का प्रमाण नहीं है।

Q2. कितने समय में ठीक हो जाता है?
A. अधिकांश मामलों में 1-4 महीनों में ठीक हो जाता है। कुछ मामलों में 6 महीनों तक भी चल सकता है।

Q3. क्या यह फिर से हो सकता है (recurrence)?
A. हाँ, पुनरावृति के मामले दुर्लभ हैं लेकिन रिपोर्ट में लगभग 3 % तक पुनरावृति मिली है।

Q4. क्या यह रोग कैंसर है?
A. नहीं — यह लिम्फोमा या कैंसर नहीं है, लेकिन इसके लक्षण (जैसे लसीका-ग्रंथि बढ़ना, बुखार) लिम्फोमा से मिल सकते हैं, इसलिए सही निदान (बायोप्सी द्वारा) महत्वपूर्ण है।

Q5. क्या इसका खतरनाक परिणाम हो सकता है?
A. बहुत ही दुर्लभ मामलों में जटिलताएँ हुई हैं, लेकिन सामान्य तौर पर रोग हल्के स्वरूप का होता है और पूरी तरह ठीक हो जाता है। नियमित मेडिकल निगरानी जरूरी है।

निष्कर्ष

किकुची-फुजिमोटो रोग एक दुर्लभ लेकिन अच्छी समझ वाला रोग है, जिसे समय पर पहचानना और उचित उपचार देना महत्वपूर्ण है। गर्दन में लसीका-ग्रंथियों की असामान्य बढ़ोतरी, बुखार, रातपसीना जैसे लक्षण दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें — चुकी यह अन्य गंभीर रोगों (जैसे टी.बी., लिम्फोमा, SLE) से भुला-मिला हो सकता है। सही निदान (विशेषकर बायोप्सी) के बाद, अधिकांश लोगों को असरदार घरेलू देखभाल व चिकित्सकीय सलाह से अच्छी रिकवरी मिलती है। यदि आप या आपका कोई जान-पहचान वाला इस रोग के लक्षणों से जूझ रहा हो, तो शीघ्र स्वास्थ्य-सेवा-प्रदाता से संपर्क करना सुनिश्चित करें।


Post a Comment (0)
Previous Post Next Post