Khushveer Choudhary

Renal Infarction कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के उपाय

किडनी इंफार्क्शन (Renal Infarction) एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसमें किडनी के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति (blood supply) रुक जाती है, जिसके कारण वह हिस्सा मरने (necrosis) लगता है।

यह स्थिति तब होती है जब किडनी को रक्त पहुँचाने वाली धमनियाँ (renal arteries) किसी कारणवश अवरुद्ध (blocked) या संकुचित (narrow) हो जाती हैं। अगर समय पर उपचार न किया जाए, तो किडनी का कार्य प्रभावित हो सकता है और किडनी फेल्योर (Kidney Failure) तक की संभावना होती है।

किडनी इंफार्क्शन क्या होता है (What is Renal Infarction)

किडनी इंफार्क्शन वह स्थिति है जब किडनी के किसी भाग तक रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है, जिससे उस हिस्से की कोशिकाएँ मर जाती हैं।
यह रुकावट आमतौर पर खून के थक्के (blood clot), धमनी में ब्लॉकेज (arterial blockage) या रक्त वाहिका में चोट (vascular injury) की वजह से होती है।
यह स्थिति अक्सर अचानक शुरू होती है और तेज दर्द या पेशाब में बदलाव के रूप में सामने आती है।

किडनी इंफार्क्शन के कारण (Causes of Renal Infarction)

किडनी इंफार्क्शन कई कारणों से हो सकता है, जिनमें मुख्य हैं:

  1. खून का थक्का (Blood Clot / Thrombosis):
    किडनी की धमनियों में रक्त का थक्का जम जाना।
  2. एंबोलिज़्म (Embolism):
    हृदय या अन्य अंगों से कोई रक्त का टुकड़ा या थक्का किडनी की धमनी में जाकर फंस जाना।
  3. एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis):
    रक्त वाहिकाओं की दीवारों में चर्बी (plaque) जमा होना, जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है।
  4. दिल की बीमारियाँ (Heart Disorders):
    जैसे — एट्रियल फिब्रिलेशन, हार्ट वाल्व डिजीज या एंडोकार्डाइटिस।
  5. किडनी की चोट या सर्जरी (Kidney Trauma or Surgery):
    किसी ऑपरेशन या चोट के बाद धमनी को नुकसान पहुँच सकता है।
  6. रक्त वाहिकाओं की सूजन (Vasculitis):
    रक्त वाहिकाओं में सूजन से उनका संकुचन हो सकता है।
  7. डिहाइड्रेशन और ब्लड डिसऑर्डर (Dehydration and Blood Disorders):
    जिससे खून गाढ़ा होकर थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है।

किडनी इंफार्क्शन के लक्षण (Symptoms of Renal Infarction)

किडनी इंफार्क्शन के लक्षण अक्सर अचानक दिखाई देते हैं और व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करते हैं। प्रमुख लक्षण हैं:

  • पीठ या कमर में अचानक तेज दर्द (Severe flank pain)
  • मतली और उल्टी (Nausea and vomiting)
  • बुखार (Fever)
  • पेशाब में खून आना (Blood in urine)
  • पेशाब का कम होना (Low urine output)
  • ब्लड प्रेशर बढ़ना (High blood pressure)
  • थकान और कमजोरी (Fatigue)
  • गंभीर मामलों में — सांस फूलना या शॉक की स्थिति (Shortness of breath or shock)

किडनी इंफार्क्शन का निदान (Diagnosis of Renal Infarction)

इस रोग का सही निदान करना चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि इसके लक्षण अन्य किडनी रोगों जैसे किडनी स्टोन या पाइलोनफ्राइटिस से मिलते-जुलते हैं।
निम्नलिखित जांचें की जाती हैं:

  1. रक्त परीक्षण (Blood Tests):

    1. LDH (Lactate Dehydrogenase) का स्तर बढ़ा होता है।
    1. किडनी फंक्शन टेस्ट (Creatinine, BUN)।
  2. मूत्र परीक्षण (Urine Test):

    1. पेशाब में खून या प्रोटीन की जांच।
  3. सीटी स्कैन (CT Scan):

    1. किडनी में ब्लॉकेज या इंफार्क्शन क्षेत्र का पता लगाने के लिए सबसे उपयोगी जांच।
  4. एमआरआई (MRI) या एंजियोग्राफी (Angiography):

    1. रक्त प्रवाह और अवरोध की स्थिति देखने के लिए।

किडनी इंफार्क्शन का इलाज (Treatment of Renal Infarction)

इलाज का चयन रुकावट के कारण, गंभीरता और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

  1. एंटीकोएगुलेंट दवाएँ (Anticoagulant Medicines):

    1. रक्त के थक्के बनने से रोकने के लिए — जैसे Heparin, Warfarin आदि।
  2. थ्रॉम्बोलिटिक थैरेपी (Thrombolytic Therapy):

    1. रक्त वाहिका में फंसे थक्के को घोलने के लिए दवाओं का उपयोग।
  3. एंजियोप्लास्टी (Angioplasty):

    1. अवरुद्ध धमनी को खोलने के लिए।
  4. ब्लड प्रेशर नियंत्रण (Blood Pressure Control):

    1. ब्लड प्रेशर को सामान्य रखना जरूरी होता है।
  5. दर्द और सूजन नियंत्रित करने वाली दवाएँ (Pain Management):

    1. दर्द कम करने और सूजन घटाने के लिए दवाएँ दी जाती हैं।
  6. सर्जरी (Surgery):

    1. अगर थक्का बहुत बड़ा है या धमनी पूरी तरह बंद है।

घरेलू उपाय (Home Remedies for Kidney Health)

किडनी इंफार्क्शन में घरेलू उपाय केवल सहायक भूमिका निभा सकते हैं, ये इलाज का विकल्प नहीं हैं।
कुछ सामान्य सुझाव:

  • रोज़ पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ।
  • नमक का सेवन सीमित करें।
  • ताज़े फल, सब्ज़ियाँ और फाइबरयुक्त भोजन लें।
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
  • हृदय और रक्तचाप को नियंत्रित रखें।

किडनी इंफार्क्शन कैसे रोके (Prevention of Renal Infarction)

  • रक्तचाप (Blood Pressure) को नियंत्रित रखें।
  • हृदय की बीमारियों का नियमित इलाज करवाएँ।
  • लंबे समय तक बैठने या निष्क्रिय रहने से बचें।
  • खून पतला करने वाली दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर करें।
  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करें।
  • नियमित रूप से किडनी और हृदय की जांच करवाएँ।

सावधानियाँ (Precautions)

  • स्वयं दवा न लें, विशेष रूप से ब्लड थिनर दवाएँ।
  • अगर पेशाब में खून या अचानक कमर में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच करें।
  • डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा को समय पर और सही मात्रा में लें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या किडनी इंफार्क्शन से किडनी फेल हो सकती है?
हाँ, अगर उपचार में देरी हो जाए तो किडनी का प्रभावित हिस्सा स्थायी रूप से खराब हो सकता है।

Q2. क्या यह स्थिति दोबारा हो सकती है?
अगर रक्त के थक्के बनने की प्रवृत्ति बनी रहे या हृदय रोग नियंत्रण में न हो तो यह दोबारा हो सकती है।

Q3. क्या यह एक इमरजेंसी स्थिति है?
हाँ, यह एक मेडिकल इमरजेंसी है — तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना आवश्यक है।

Q4. क्या घर पर इसका इलाज संभव है?
नहीं, इसका इलाज केवल डॉक्टर की देखरेख में अस्पताल में ही किया जा सकता है।

किडनी इंफार्क्शन कैसे पहचाने (How to Identify Renal Infarction)

अगर अचानक कमर या पीठ में तीव्र दर्द, पेशाब में खून, और उच्च रक्तचाप महसूस हो — तो यह किडनी इंफार्क्शन का संकेत हो सकता है।
ऐसे में तुरंत चिकित्सक से जांच करवाना जरूरी है।

निष्कर्ष (Conclusion)

किडनी इंफार्क्शन (Renal Infarction) एक गंभीर स्थिति है जो रक्त प्रवाह में रुकावट के कारण होती है।
इसका समय पर निदान और उचित इलाज बहुत जरूरी है, ताकि किडनी की कार्यक्षमता सुरक्षित रह सके।
स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित जांच से इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।


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