Khushveer Choudhary

Polymyositis कारण, लक्षण, पहचान और इलाज की पूरी जानकारी

Polymyositis (पॉलीमायोसाइटिस) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून मांसपेशी रोग (Autoimmune Muscle Disease) है।

इस बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) गलती से अपनी ही मांसपेशियों पर हमला करने लगती है, जिससे मांसपेशियों में सूजन, कमजोरी और दर्द उत्पन्न होता है।

यह रोग आमतौर पर वयस्कों में, विशेषकर 30–60 वर्ष की आयु में देखा जाता है और महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाया जाता है।

पॉलीमायोसाइटिस क्या होता है? (What is Polymyositis)

Polymyositis वह स्थिति है जिसमें:

  • शरीर की proximal muscles (कंधे, गर्दन, जांघ, कूल्हे की मांसपेशियाँ) कमजोर हो जाती हैं
  • मांसपेशियों में सूजन (inflammation) होती है
  • रोज़मर्रा के काम जैसे सीढ़ियाँ चढ़ना, उठना, हाथ ऊपर करना कठिन हो जाता है

यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और समय पर इलाज न होने पर गंभीर विकलांगता का कारण बन सकती है।

पॉलीमायोसाइटिस के कारण (Causes of Polymyositis)

1. ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया (Autoimmune reaction)

  • शरीर की इम्यून कोशिकाएँ मांसपेशियों को नुकसान पहुँचाती हैं

2. अनुवांशिक प्रवृत्ति (Genetic predisposition)

  • परिवार में ऑटोइम्यून रोगों का इतिहास

3. वायरल संक्रमण (Viral infections)

  • कुछ वायरस इम्यून सिस्टम को trigger कर सकते हैं

4. अन्य बीमारियों से संबंध (Associated conditions)

  • कैंसर
  • रूमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)
  • लुपस (Systemic Lupus Erythematosus)

पॉलीमायोसाइटिस के लक्षण (Symptoms of Polymyositis)

  • मांसपेशियों में कमजोरी (Muscle weakness)
  • सीढ़ियाँ चढ़ने या उठने में कठिनाई
  • हाथ ऊपर उठाने में परेशानी
  • गर्दन और कंधों में दर्द
  • थकान (Fatigue)
  • निगलने में कठिनाई (Dysphagia)
  • सांस फूलना (यदि फेफड़ों की मांसपेशियाँ प्रभावित हों)
  • मांसपेशियों में हल्का दर्द या tenderness

पॉलीमायोसाइटिस कैसे पहचाने? (How to Identify Polymyositis)

यदि निम्न लक्षण धीरे-धीरे बढ़ रहे हों, तो संदेह करना चाहिए:

  • दोनों ओर की मांसपेशियों में समान कमजोरी
  • रोज़मर्रा के कामों में गिरावट
  • आराम करने पर भी कमजोरी बनी रहना

जांच और निदान (Diagnosis of Polymyositis)

1. रक्त परीक्षण (Blood Tests)

  • Creatine Kinase – CK (मांसपेशी एंज़ाइम बढ़ा हुआ)
  • ESR और CRP
  • Autoantibodies (ANA, Anti-Jo-1)

2. इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG – Electromyography)

  • मांसपेशियों की electrical activity की जांच

3. MRI स्कैन (MRI Scan)

  • मांसपेशियों में सूजन का पता

4. मांसपेशी बायोप्सी (Muscle Biopsy)

  • निदान की पुष्टि के लिए सबसे महत्वपूर्ण जांच

पॉलीमायोसाइटिस का इलाज (Treatment of Polymyositis)

1. स्टेरॉयड दवाएँ (Corticosteroids)

  • Prednisolone सूजन कम करने के लिए

2. इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएँ (Immunosuppressive drugs)

  • Methotrexate
  • Azathioprine

3. फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)

  • मांसपेशियों की ताकत बनाए रखने के लिए

4. गंभीर मामलों में (Severe cases)

  • IVIG (Intravenous Immunoglobulin)
  • Biologic therapy

पॉलीमायोसाइटिस कैसे रोके? (Prevention)

Polymyositis को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, क्योंकि यह ऑटोइम्यून रोग है।

लेकिन निम्न उपाय मदद कर सकते हैं:

  • संक्रमण का समय पर इलाज
  • नियमित स्वास्थ्य जांच
  • डॉक्टर की सलाह से दवाएँ लेना

घरेलू उपाय (Home Remedies)

घरेलू उपाय इलाज का विकल्प नहीं हैं, लेकिन सहायक हो सकते हैं।

  • संतुलित प्रोटीन युक्त आहार
  • हल्की स्ट्रेचिंग और व्यायाम (फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह से)
  • पर्याप्त आराम
  • तनाव कम करना

सावधानियाँ (Precautions)

  • बिना डॉक्टर की सलाह दवा बंद न करें
  • अधिक थकाने वाला व्यायाम न करें
  • संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज
  • फॉलो-अप जांच नियमित कराएँ

FAQs (Frequently Asked Questions)

1. क्या Polymyositis ठीक हो सकती है?

यह पूरी तरह ठीक नहीं होती, लेकिन इलाज से नियंत्रित की जा सकती है।

2. क्या यह जानलेवा है?

समय पर इलाज न होने पर जटिलताएँ हो सकती हैं, लेकिन इलाज से जोखिम कम हो जाता है।

3. क्या यह बच्चों में होती है?

बच्चों में इसका अलग रूप होता है जिसे Juvenile Dermatomyositis कहा जाता है।

4. क्या इसमें व्यायाम करना चाहिए?

हाँ, लेकिन केवल फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में।

5. क्या Polymyositis कैंसर से जुड़ी हो सकती है?

कुछ मामलों में हाँ, इसलिए जांच आवश्यक होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Polymyositis (पॉलीमायोसाइटिस) एक गंभीर ऑटोइम्यून मांसपेशी रोग है, जो धीरे-धीरे मांसपेशियों को कमजोर करता है।
समय पर पहचान, सही दवाएँ, फिजियोथेरेपी और नियमित निगरानी से मरीज सामान्य और सक्रिय जीवन जी सकता है।

यदि मांसपेशियों की कमजोरी लगातार बढ़ रही हो, तो देर न करें और तुरंत रूमेटोलॉजिस्ट या न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें।


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