Mastitis क्या है? कारण, लक्षण, इलाज, बचाव और घरेलू उपाय

मैस्टाइटिस (Mastitis) एक ऐसी स्थिति है जिसमें स्तनों में सूजन और दर्द होता है। यह अक्सर स्तनपान कराने वाली महिलाओं (Lactating Women) में होता है लेकिन कभी-कभी स्तनपान न करने वाली महिलाओं और पुरुषों में भी हो सकता है। यह संक्रमण के कारण होता है और कभी-कभी दूध की रुकावट (milk stasis) से भी. मैस्टाइटिस इलाज योग्य स्थिति है लेकिन यदि समय पर उपचार न किया जाए तो यह एब्सेस (Abscess) या गंभीर संक्रमण का कारण बन सकती है।

मैस्टाइटिस के कारण (Causes of Mastitis)

  1. दूध का जमना (Milk Stasis) – जब दूध पूरी तरह से बाहर नहीं निकलता और स्तन में रुक जाता है।
  2. बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infection) – त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया निप्पल से अंदर प्रवेश कर जाते हैं।
  3. स्तन में चोट या खरोंच (Nipple injury or crack) – जिससे बैक्टीरिया प्रवेश कर सकते हैं।
  4. स्तनपान का गलत तरीका (Improper breastfeeding technique) – जिससे स्तन खाली नहीं हो पाता।
  5. कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र (Weakened Immune System) – संक्रमण के लिए शरीर अधिक संवेदनशील हो जाता है।
  6. टाइट ब्रा या कपड़े (Tight clothing or bras) – दूध के प्रवाह को रोक सकते हैं।

मैस्टाइटिस के लक्षण (Symptoms of Mastitis)

  1. स्तन में सूजन (Swelling in the breast)
  2. दर्द और जलन (Pain and burning sensation)
  3. स्तन की त्वचा पर लालिमा (Redness on breast skin)
  4. शरीर में बुखार (Fever and chills)
  5. थकान और कमजोरी (Fatigue and weakness)
  6. निप्पल से मवाद या दूध निकलना (Discharge from nipple – may be pus)
  7. एक हिस्से में गांठ जैसा महसूस होना (Lump or hardness in one area)
  8. दूध पिलाने में असहजता (Pain during breastfeeding)

मैस्टाइटिस की पहचान कैसे करें (Diagnosis of Mastitis)

  1. फिजिकल एग्ज़ामिनेशन (Physical Examination) – डॉक्टर द्वारा स्तन की जाँच।
  2. दूध या मवाद का कल्चर टेस्ट (Milk/Pus Culture Test) – संक्रमण के बैक्टीरिया की पहचान के लिए।
  3. अल्ट्रासाउंड (Breast Ultrasound) – एब्सेस की पुष्टि के लिए।
  4. ब्लड टेस्ट (Blood Test) – संक्रमण की गंभीरता जानने के लिए।

मैस्टाइटिस का इलाज (Treatment of Mastitis)

  1. एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – बैक्टीरियल संक्रमण के लिए।
  2. दर्द निवारक दवाएं (Pain Relievers) – जैसे पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन।
  3. स्तनपान जारी रखना (Continue breastfeeding) – स्तन खाली करने के लिए।
  4. स्तन को गरम सेक देना (Warm compress) – सूजन कम करने के लिए।
  5. अत्यधिक मामलों में सर्जरी (Surgical drainage) – यदि एब्सेस बन जाए।

मैस्टाइटिस से बचाव (Prevention of Mastitis)

  1. हर बार स्तन को पूरा खाली करें (Empty breasts completely while feeding)
  2. स्तनपान के सही तकनीक अपनाएं (Use proper breastfeeding techniques)
  3. साफ-सफाई का ध्यान रखें (Maintain nipple hygiene)
  4. टाइट कपड़े या ब्रा न पहनें (Avoid tight bras or clothes)
  5. स्तन में दर्द या गांठ हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें

मैस्टाइटिस के घरेलू उपाय (Home Remedies for Mastitis)

  1. गरम पानी की सिकाई (Warm compresses) – सूजन और दर्द में राहत।
  2. स्तनपान जारी रखें (Continue nursing) – दूध जमने से रोकता है।
  3. जैतून का तेल (Olive oil) – त्वचा को मॉइस्चराइज करने के लिए।
  4. लहसुन का सेवन (Garlic consumption) – प्राकृतिक एंटीबायोटिक।
  5. हल्दी वाला दूध (Turmeric milk) – सूजन कम करने में सहायक।

मैस्टाइटिस में सावधानियाँ (Precautions in Mastitis)

  1. निप्पल पर किसी भी प्रकार की क्रीम या दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न लगाएं
  2. ब्रेस्टपंप का सही इस्तेमाल करें
  3. अधिक दर्द होने पर स्तनपान बंद न करें बल्कि डॉक्टर की राय लें
  4. एंटीबायोटिक्स को पूरा कोर्स करें
  5. पानी अधिक मात्रा में पिएं और आराम करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्र. 1: क्या मैस्टाइटिस स्तनपान बंद करने से ठीक हो जाता है?
उत्तर: नहीं, बल्कि स्तनपान जारी रखना ही बेहतर है ताकि दूध जमने से बचा जा सके।

प्र. 2: क्या मैस्टाइटिस केवल स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ही होता है?
उत्तर: नहीं, यह गैर-स्तनपान वाली महिलाओं और पुरुषों में भी हो सकता है।

प्र. 3: क्या मैस्टाइटिस कैंसर बन सकता है?
उत्तर: नहीं, लेकिन यदि लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो जांच आवश्यक है।

प्र. 4: क्या मैस्टाइटिस से बच्चे को नुकसान होता है?
उत्तर: नहीं, अगर सही इलाज लिया जाए तो स्तनपान सुरक्षित है।

निष्कर्ष (Conclusion)

मैस्टाइटिस (Mastitis) एक आम लेकिन कष्टदायक समस्या है जो विशेषकर स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रभावित करती है। समय रहते लक्षणों को पहचानना और उचित इलाज लेना बेहद ज़रूरी है। घरेलू उपाय और जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव लाकर इससे बचा जा सकता है। यदि लक्षण अधिक गंभीर हों या बार-बार लौटकर आएं तो चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें।



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