Dressler’s Syndrome क्या है? कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके

Dressler’s Syndrome एक प्रकार की सूजन से जुड़ी ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया है, जो आमतौर पर हार्ट अटैक (Myocardial Infarction) या हार्ट सर्जरी के बाद होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही हृदय की झिल्ली (Pericardium) को लक्ष्य बनाकर सूजन पैदा करती है।


Dressler’s Syndrome क्या होता है?

Dressler’s Syndrome में हृदय की परिधि (pericardium) में सूजन और तरल पदार्थ जमा हो जाता है। यह स्थिति हार्ट अटैक, बाईपास सर्जरी, या अन्य हृदय संबंधी चोटों के कुछ सप्ताहों या महीनों बाद विकसित हो सकती है। इसे Post-myocardial infarction syndrome या Postpericardiotomy syndrome भी कहा जाता है।


Dressler’s Syndrome के कारण (Causes)

इसका मुख्य कारण है प्रतिरक्षा प्रणाली की असामान्य प्रतिक्रिया, जो निम्नलिखित स्थितियों के बाद हो सकती है:

  • हार्ट अटैक (Heart Attack)
  • हृदय सर्जरी (Bypass, Valve Replacement आदि)
  • हृदय पर चोट या ट्रॉमा
  • परिकार्डियम का छेदन (Pericardiocentesis)
  • एंजियोप्लास्टी या अन्य इनवेसिव प्रक्रिया

Dressler’s Syndrome के लक्षण (Symptoms)

Dressler's Syndrome के लक्षण आम तौर पर दिल की चोट या सर्जरी के 1-6 सप्ताह बाद दिखाई देते हैं:

  • सीने में तेज या चुभने वाला दर्द (जो लेटने से बढ़ता है, बैठने से कम होता है)
  • बुखार
  • थकान और कमजोरी
  • सांस लेने में तकलीफ
  • दिल की धड़कन तेज या अनियमित
  • सूजन (विशेषकर पैरों में)
  • खांसी या हिचकी (fluid irritation की वजह से)

Dressler’s Syndrome को कैसे पहचाने? (Diagnosis)

  • इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiogram): परिकॉर्डियल फ्लूइड की पहचान
  • ECG (Electrocardiogram): परिकार्डाइटिस के संकेत
  • ब्लड टेस्ट: सीआरपी, ईएसआर, ट्रोपोनिन आदि
  • Chest X-ray: हृदय के आकार में वृद्धि
  • MRI / CT Scan: सूजन और फ्लूइड की पुष्टि के लिए

Dressler’s Syndrome का इलाज (Treatment)

1. दवाइयाँ:

  • NSAIDs (जैसे इबुप्रोफेन): सूजन और दर्द के लिए
  • कोलचिसीन (Colchicine): लक्षणों को कम करने और पुनरावृत्ति रोकने के लिए
  • स्टेरॉइड्स (जैसे प्रेडनिसोन): गंभीर या बार-बार होने वाले मामलों में
  • एंटीबायोटिक्स: यदि संक्रमण जुड़ा हो

2. परिकार्डियोसेंटेसिस (Pericardiocentesis):

यदि परिकार्डियल फ्लूइड अत्यधिक हो और हृदय पर दबाव बन रहा हो (Cardiac Tamponade), तो फ्लूइड निकालने की प्रक्रिया की जाती है।


Dressler’s Syndrome को कैसे रोके? (Prevention)

  • हार्ट अटैक या सर्जरी के बाद नियमित फॉलोअप कराना
  • डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाइयों को नियमित लेना
  • संक्रमण और सूजन की स्थितियों पर तुरंत ध्यान देना
  • हार्ट से जुड़ी कोई भी प्रक्रिया के बाद सतर्क रहना

Dressler’s Syndrome के घरेलू उपाय (Home Remedies)

ध्यान दें: ये उपाय केवल सहायक रूप में इस्तेमाल करें, मुख्य इलाज नहीं हैं:

  • हल्दी और अदरक की चाय: सूजन कम करने में मददगार
  • तुलसी के पत्ते: प्रतिरक्षा बढ़ाते हैं
  • लहसुन: सूजन-रोधी गुण
  • गर्म पानी से सिकाई: छाती में दर्द में राहत
  • योग और ध्यान: तनाव कम करें, इम्युनिटी में सुधार करें

सावधानियाँ (Precautions)

  • हार्ट अटैक के बाद अचानक बुखार या सीने में दर्द को हल्के में न लें
  • दर्द निवारक दवाइयाँ बिना डॉक्टर की सलाह के न लें
  • अपने स्वास्थ्य की नियमित जाँच कराते रहें
  • पानी पीने और नमक के सेवन पर ध्यान दें (यदि हार्ट फेलियर भी हो)

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. Dressler’s Syndrome कब होता है?
उत्तर: यह आमतौर पर हार्ट अटैक या सर्जरी के 1 से 6 सप्ताह बाद हो सकता है।

Q2. क्या यह जानलेवा हो सकता है?
उत्तर: यदि समय पर इलाज न हो और परिकॉर्डियल फ्लूइड हृदय पर दबाव बनाए (Cardiac Tamponade), तो यह खतरनाक हो सकता है।

Q3. क्या यह बार-बार हो सकता है?
उत्तर: हाँ, कुछ लोगों में यह बार-बार हो सकता है, खासकर यदि इलाज अधूरा हो।

Q4. क्या इसे घरेलू उपाय से ठीक किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, यह एक गंभीर स्थिति है। घरेलू उपाय केवल सहायक हैं। मुख्य इलाज डॉक्टर के निर्देशानुसार होना चाहिए।

Q5. क्या कोलचिसीन सुरक्षित दवा है?
उत्तर: हाँ, लेकिन इसका सेवन डॉक्टर की निगरानी में ही करें क्योंकि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)

Dressler’s Syndrome एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य स्थिति है, जो दिल के किसी नुकसान या सर्जरी के बाद विकसित हो सकती है। यदि समय रहते लक्षणों को पहचाना जाए और सही उपचार किया जाए, तो रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। दिल की किसी भी सर्जरी या हार्ट अटैक के बाद सतर्क रहना और नियमित जाँच कराना इस स्थिति से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post