African Swine Fever (ASF) पर व्यापक जानकारी – कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

अफ्रीकन स्वाइन फीवर (African Swine Fever - ASF) एक अत्यंत संक्रामक और जानलेवा वायरल रोग है, जो मुख्य रूप से सुअरों (pigs) को प्रभावित करता है। यह रोग मनुष्यों में नहीं फैलता, लेकिन यह सूअर पालन उद्योग के लिए बहुत घातक है क्योंकि इससे मृत्यु दर लगभग 100% तक हो सकती है। यह रोग विश्व के कई हिस्सों में महामारी का रूप ले चुका है, विशेषकर अफ्रीका, यूरोप और एशिया में।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर में क्या होता है (What Happens in ASF)

इस रोग में संक्रमित सुअरों को तेज बुखार, आंतरिक रक्तस्राव, त्वचा पर दाने और मृत्यु जैसी गंभीर स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। रोग इतनी तेजी से फैलता है कि पूरे फार्म के सुअर कुछ ही दिनों में संक्रमित हो सकते हैं।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर के कारण (Causes of African Swine Fever)

  1. ASF Virus (ASFV):
    • यह Asfarviridae परिवार का DNA वायरस है।
  2. संक्रमित सुअर से संपर्क
  3. संक्रमित मांस या खाद्य पदार्थ खाना
  4. क्लॉथिंग, उपकरण और ट्रांसपोर्ट वाहनों से संक्रमण का प्रसार
  5. Soft Ticks (Ornithodoros प्रजाति): कुछ क्षेत्रों में वायरस फैलाने का माध्यम
  6. पशु व्यापार और आवागमन का अभाव नियंत्रण

अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण (Symptoms of African Swine Fever)

तीव्र संक्रमण के लक्षण:

  • तेज बुखार (104–108°F)
  • त्वचा पर नीले या बैंगनी धब्बे
  • नाक, मुंह और मलद्वार से रक्तस्राव
  • कमजोरी और सुस्ती
  • भूख न लगना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • गर्भवती सुअरों में गर्भपात
  • अचानक मृत्यु (बिना किसी स्पष्ट लक्षण के)

जीर्ण (Chronic) संक्रमण में:

  • वजन घटना
  • जोड़ो में सूजन
  • फेफड़ों और हृदय की समस्याएँ

अफ्रीकन स्वाइन फीवर को कैसे पहचाने (How to Identify ASF)

  1. क्लिनिकल लक्षणों का अवलोकन
  2. Post-mortem रिपोर्ट – अंदरूनी अंगों में रक्तस्राव
  3. PCR Test (Polymerase Chain Reaction) – ASFV की पुष्टि के लिए
  4. ELISA Test (Antibody टेस्ट)
  5. Virus Isolation & Sequencing

अफ्रीकन स्वाइन फीवर का इलाज (Treatment of African Swine Fever)

  • वर्तमान में कोई विशेष इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है
  • केवल supportive treatment से सुअरों की तकलीफ कम की जा सकती है
  • सभी संक्रमित और संपर्क में आए सुअरों को मारकर नष्ट करना ही एकमात्र प्रभावी नियंत्रण उपाय है
  • फार्म को पूरी तरह से डिसइंफेक्ट किया जाता है

अफ्रीकन स्वाइन फीवर को कैसे रोके (Prevention of ASF)

  1. Biosecurity का पालन करें:

    • बाहरी व्यक्तियों और वाहनों की फार्म में एंट्री प्रतिबंधित करें
    • नियमित रूप से फार्म की सफाई और डिसइंफेक्शन करें
  2. संक्रमित क्षेत्रों से सुअर, मांस या उपकरण न लाएं

  3. खाने की बची चीजें (Swill) सुअरों को न दें

  4. सुअरों को ASF प्रभावित क्षेत्र से दूर रखें

  5. Tick नियंत्रण कार्यक्रम चलाएं

अफ्रीकन स्वाइन फीवर के घरेलू उपाय (Home Remedies for ASF)

नोट: चूंकि यह एक अत्यधिक संक्रामक और गंभीर बीमारी है, इसलिए घरेलू उपाय केवल सहायक स्तर तक सीमित हैं, उपचार नहीं।

  • नीम के पत्तों से बना स्प्रे – फार्म को कीटाणुरहित करने के लिए
  • हल्दी और एलोवेरा युक्त फीड – प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने के लिए
  • गाय के गोमूत्र से फार्म की सफाई – पारंपरिक कीट नियंत्रण के लिए
  • भोजन में लहसुन और अदरक मिलाना – संक्रमण से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता

सावधानियाँ (Precautions)

  • ASF प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा से परहेज करें
  • संक्रमित सुअरों को तुरंत आइसोलेट करें
  • बिना लाइसेंस के मांस व्यापार न करें
  • किसी भी बीमार सुअर को तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाएं
  • सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें कि ASF के लक्षण क्या हैं और कैसे प्रतिक्रिया दें

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्रश्न 1: क्या अफ्रीकन स्वाइन फीवर मनुष्यों में फैलता है?
उत्तर: नहीं, यह केवल सुअरों को प्रभावित करता है और मनुष्यों के लिए खतरा नहीं है।

प्रश्न 2: क्या इसका कोई इलाज है?
उत्तर: नहीं, वर्तमान में इसका कोई टीका या इलाज नहीं है। केवल रोकथाम ही इसका उपाय है।

प्रश्न 3: क्या घरेलू सुअर भी प्रभावित हो सकते हैं?
उत्तर: हां, पालतू और फार्म वाले दोनों प्रकार के सुअर इससे संक्रमित हो सकते हैं।

प्रश्न 4: क्या संक्रमित सुअर का मांस खाना सुरक्षित है?
उत्तर: नहीं, संक्रमित सुअर का मांस खाना स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है, भले ही यह वायरस मनुष्यों को सीधे न प्रभावित करता हो।

निष्कर्ष (Conclusion)

अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक अत्यंत खतरनाक पशु रोग है जो वैश्विक स्तर पर सूअर पालन उद्योग के लिए एक गंभीर चुनौती है। चूंकि इसका कोई इलाज नहीं है, इसलिए सतर्कता, जागरूकता और सख्त रोकथाम उपाय ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वे बायो-सिक्योरिटी का सख्ती से पालन करें और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत पशु चिकित्सकीय सलाह लें।


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