चिलब्लेन्स (Chilblains) एक त्वचा संबंधी विकार (skin condition) है जो आमतौर पर ठंडी और नम जलवायु में होता है। इसमें त्वचा में जलन, सूजन, लालिमा और खुजली जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। यह शरीर के उन हिस्सों को प्रभावित करता है जो ठंडी हवा के संपर्क में ज्यादा रहते हैं, जैसे पैर की उंगलियां, हाथ की उंगलियां, नाक और कान। हालांकि यह खतरनाक नहीं होता, लेकिन इससे काफी असहजता हो सकती है और अगर ध्यान न दिया जाए तो त्वचा फट सकती है।

चिलब्लेन्स क्या होता है (What is Chilblains):
चिलब्लेन्स को पर्नियो (Pernio या Perniosis) भी कहा जाता है। यह एक नॉन-फ्रॉस्टबाइट कोल्ड इनजरी (Non-freezing cold injury) है जिसमें ठंड से रक्त प्रवाह प्रभावित होता है। जब ठंडी स्थिति के बाद शरीर अचानक गर्मी के संपर्क में आता है, तो छोटी रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने और फिर तेजी से फैलने के कारण सूजन और सूक्ष्म रक्तस्राव का कारण बनती हैं।
चिलब्लेन्स के कारण (Causes of Chilblains):
- ठंड और नमी के संपर्क में रहना (Exposure to cold and damp weather)
- शरीर के अंगों का अचानक ठंड से गर्म वातावरण में जाना
- खराब रक्त संचार (Poor blood circulation)
- तंग या गीले कपड़े पहनना
- शरीर में लोहे या विटामिन की कमी
- कुछ मेडिकल कंडीशन्स जैसे रेनॉड्स डिजीज (Raynaud’s Disease)
चिलब्लेन्स के लक्षण (Symptoms of Chilblains):
- त्वचा पर लाल, नीले या बैंगनी रंग के धब्बे (Red or bluish patches on skin)
- खुजली (Itching)
- सूजन (Swelling)
- जलन या चुभन (Burning or tingling sensation)
- छाले या फफोले बनना (Blisters formation in severe cases)
- त्वचा का फटना या अल्सर बनना (Cracked skin or ulcer in neglected cases)
- प्रभावित क्षेत्र में स्पर्श पर दर्द (Pain on touching affected area)
- अक्सर यह हाथ-पैर की उंगलियों, एड़ी, कान या नाक पर होता है
चिलब्लेन्स की पहचान कैसे करें (Diagnosis of Chilblains):
- क्लिनिकल परीक्षण (Clinical examination) – लक्षणों और रोग इतिहास के आधार पर
- त्वचा की बायोप्सी (Skin biopsy) – बहुत दुर्लभ मामलों में
- अन्य बीमारियों से भिन्न करने के लिए परीक्षण – जैसे Raynaud’s, lupus, vasculitis
आमतौर पर डॉक्टर केवल लक्षण देखकर पहचान कर लेते हैं।
चिलब्लेन्स का इलाज (Treatment of Chilblains):
- ठंड से बचाव (Avoiding cold exposure)
- गर्माहट प्रदान करना (Gradual warming of skin)
- टोपिकल क्रीम (Topical creams) – जैसे corticosteroid क्रीम
- दर्द और सूजन के लिए पेन किलर्स (Pain relievers)
- यदि घाव हो तो एंटीसेप्टिक क्रीम
- Calcium channel blockers (जैसे nifedipine) – रक्त प्रवाह सुधारने के लिए, कुछ मामलों में
- संक्रमण हो तो एंटीबायोटिक दवा
- त्वचा को खरोंचने से बचना – वरना घाव बढ़ सकता है
चिलब्लेन्स से बचाव (Prevention of Chilblains):
- ठंड में गर्म कपड़े पहनें, विशेषकर दस्ताने, मोजे और टोपी
- शरीर को अचानक गर्म जगह में न ले जाएं – धीरे-धीरे गर्माहट दें
- हाथ और पैर को सूखा रखें
- तंग या गीले जूते न पहनें
- विटामिन D, B12 और आयरन की पर्याप्त मात्रा लें
- हीटर या गर्म पानी से धीरे-धीरे त्वचा को गर्म करें
- शारीरिक गतिविधि से रक्त संचार बनाए रखें
घरेलू उपाय (Home Remedies for Chilblains):
- सरसों या नारियल तेल से मालिश – रक्त प्रवाह सुधारने के लिए
- एलोवेरा जेल लगाएं – सूजन और जलन कम करने के लिए
- हल्के गर्म पानी में प्रभावित अंग डुबोएं (10–15 मिनट)
- हल्दी और नारियल तेल का लेप – एंटीसेप्टिक और सूजन रोधक
- नीम पत्ती का पेस्ट – संक्रमण से बचाव के लिए
- लौंग का तेल (Clove oil) – खुजली और दर्द के लिए
सावधानियाँ (Precautions):
- त्वचा को बार-बार खुजलाने से बचें
- बहुत गर्म पानी या हीटर से त्वचा को अचानक गर्म न करें
- खुले पाँव बाहर न निकलें
- मधुमेह (diabetes) या रक्त संचार संबंधी रोग हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें
- चिलब्लेन्स बार-बार हो तो डॉक्टर से पूरी जांच कराएं
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):
प्रश्न 1: क्या चिलब्लेन्स खतरनाक है?
उत्तर: आमतौर पर नहीं, लेकिन अगर फफोले या अल्सर बन जाएं तो संक्रमण हो सकता है।
प्रश्न 2: क्या यह बीमारी संक्रामक है?
उत्तर: नहीं, यह एक त्वचा विकार है जो बाहरी ठंडे वातावरण के कारण होता है।
प्रश्न 3: क्या यह हर ठंड में हो सकता है?
उत्तर: अगर ठंड से सही ढंग से बचाव न किया जाए तो यह बार-बार हो सकता है।
प्रश्न 4: क्या चिलब्लेन्स खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है?
उत्तर: हल्के मामलों में हाँ, लेकिन अगर दर्द, फफोले या अल्सर हों तो इलाज आवश्यक है।
निष्कर्ष (Conclusion):
चिलब्लेन्स (Chilblains) ठंड और नमी के कारण होने वाला एक आम लेकिन असहज त्वचा विकार है। यह ठीक से बचाव और देखभाल से रोका और नियंत्रित किया जा सकता है। यदि समय रहते उचित उपचार न किया जाए, तो त्वचा को नुकसान और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए सावधानी और सही जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।