मल्टिपल मायलोमा (Multiple Myeloma) एक प्रकार का रक्त कैंसर (Blood Cancer) है जो प्लाज्मा कोशिकाओं (Plasma Cells) को प्रभावित करता है। ये कोशिकाएं अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में पाई जाती हैं और एंटीबॉडी (Antibodies) बनाकर शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करती हैं। जब ये कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हो जाती हैं, तो वे अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती हैं।
मल्टिपल मायलोमा क्या होता है ? (What is Multiple Myeloma?)
मल्टिपल मायलोमा एक कैंसर है जो अस्थि मज्जा की प्लाज्मा कोशिकाओं में शुरू होता है। यह रोग अस्थियों को कमजोर करता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, और रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ा सकता है। इससे हड्डियों में दर्द, संक्रमण, थकावट और किडनी की समस्याएं हो सकती हैं।
मल्टिपल मायलोमा के कारण (Causes of Multiple Myeloma):
- उम्र (60 वर्ष से अधिक)
- पुरुष लिंग (Male Gender)
- अफ्रीकी मूल के लोगों में अधिक जोखिम
- अनुवांशिक प्रवृत्ति (Genetic Predisposition)
- लंबे समय तक रसायनों से संपर्क (Benzene, pesticides)
- मोटापा (Obesity)
- पूर्व रक्त रोग जैसे MGUS (Monoclonal Gammopathy of Undetermined Significance)
मल्टिपल मायलोमा के लक्षण (Symptoms of Multiple Myeloma):
- हड्डियों में दर्द (विशेषकर पीठ और पसलियों में)
- बार-बार संक्रमण होना
- कमजोरी और थकान
- एनीमिया (Anemia)
- बार-बार नाक या मसूड़ों से खून आना
- किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट
- शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ना (Hypercalcemia)
- बार-बार प्यास लगना और पेशाब आना
मल्टिपल मायलोमा की पहचान (Diagnosis of Multiple Myeloma):
- रक्त परीक्षण (Blood Tests): M protein, CBC
- यूरीन टेस्ट (Urine test): Bence Jones protein
- बोन मैरो बायोप्सी (Bone marrow biopsy)
- इमेजिंग टेस्ट (X-ray, MRI, PET scan, CT scan)
- Serum Free Light Chain Assay and Beta-2 microglobulin test
मल्टिपल मायलोमा का इलाज (Treatment of Multiple Myeloma):
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy): जैसे Bortezomib, Carfilzomib
- इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): जैसे Daratumumab
- स्टेरॉइड्स (Steroids): Dexamethasone
- बोन मैरो या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant)
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): दर्द और ट्यूमर को कम करने के लिए
इलाज का चुनाव मरीज की उम्र, स्वास्थ्य और बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है।
मल्टिपल मायलोमा से बचाव (Prevention of Multiple Myeloma):
मल्टिपल मायलोमा को पूरी तरह से रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियाँ जोखिम कम कर सकती हैं:
- रसायनों के संपर्क से बचें
- तम्बाकू और धूम्रपान से दूरी बनाएं
- स्वस्थ वजन बनाए रखें
- पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें
- नियमित हेल्थ चेकअप करवाएं
मल्टिपल मायलोमा के घरेलू उपाय (Home Remedies for Multiple Myeloma):
ये उपाय मुख्य चिकित्सा का विकल्प नहीं हैं, लेकिन साथ में सहायक हो सकते हैं:
- हल्दी (Turmeric): करक्यूमिन सूजन और कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रभावी
- ग्रीन टी (Green Tea): एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर
- लहसुन (Garlic): इम्यून सिस्टम को बेहतर करता है
- अदरक (Ginger): सूजन कम करने में सहायक
- योग और ध्यान (Yoga & Meditation): तनाव कम करें और शरीर को ऊर्जा दें
- अच्छी नींद और भरपूर पानी पिएं
मल्टिपल मायलोमा में सावधानियाँ (Precautions in Multiple Myeloma):
- संक्रमण से बचें
- डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाएं समय पर लें
- भीड़भाड़ वाली जगहों से बचें
- अधिक वजन उठाने या गिरने से बचें (हड्डियों के लिए)
- नियमित रक्त और मूत्र जांच कराते रहें
- संतुलित आहार लें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Multiple Myeloma):
प्रश्न 1: क्या मल्टिपल मायलोमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है?
उत्तर: यह आमतौर पर एक incurable but treatable रोग है। सही इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है और मरीज वर्षों तक स्वस्थ रह सकता है।
प्रश्न 2: क्या यह छूत की बीमारी है?
उत्तर: नहीं, मल्टिपल मायलोमा संक्रामक (Infectious) नहीं है।
प्रश्न 3: क्या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सभी मरीजों के लिए होता है?
उत्तर: नहीं, यह मरीज की उम्र, सेहत और बीमारी की अवस्था पर निर्भर करता है।
प्रश्न 4: क्या मल्टिपल मायलोमा सिर्फ बुजुर्गों में होता है?
उत्तर: यह ज़्यादातर 60 साल से ऊपर के लोगों में पाया जाता है, लेकिन कम उम्र में भी हो सकता है।
प्रश्न 5: क्या किडनी फेलियर से इसका संबंध है?
उत्तर: हाँ, इस बीमारी से किडनी पर असर पड़ सकता है क्योंकि असामान्य प्रोटीन फिल्टरिंग सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
मल्टिपल मायलोमा एक गंभीर लेकिन नियंत्रित किया जा सकने वाला कैंसर है। समय पर पहचान, नियमित इलाज और जीवनशैली में सुधार से मरीज की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। जागरूकता और सतर्कता इस रोग से लड़ने में सबसे बड़ा हथियार है।