Khushveer Choudhary

aPTT टेस्ट क्या है? कारण, प्रक्रिया, सामान्य मान, लक्षण, इलाज, रोकथाम, घरेलू उपाय और सावधानियाँ

aPTT (Activated Partial Thromboplastin Time) एक खून की जांच है जो यह मापती है कि आपके शरीर में खून का थक्का बनने में कितना समय लगता है। यह टेस्ट शरीर के अंदर Intrinsic और Common clotting pathways की जाँच करता है। यह खास तौर पर उन मरीजों के लिए जरूरी होता है जो खून पतला करने वाली दवाएं ले रहे होते हैं या जिन्हें ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो।









aPTT टेस्ट क्या होता है ? (What is aPTT Test?)

aPTT टेस्ट यह निर्धारित करता है कि क्लॉटिंग फैक्टर्स (clotting factors) सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं। इस टेस्ट में खून के प्लाज्मा में कुछ रसायन मिलाकर देखा जाता है कि थक्का बनने में कितना समय लगता है। यदि समय ज्यादा है, तो इसका अर्थ हो सकता है कि खून जमने में समस्या है।

परीक्षण के कारण (Reasons for aPTT Test):

  1. ब्लीडिंग डिसऑर्डर की जाँच
  2. थक्का बनने की असामान्य स्थिति (Clotting disorder)
  3. Heparin जैसी एंटीकोएगुलेंट दवा की मॉनिटरिंग
  4. सर्जरी से पहले क्लॉटिंग की स्थिति जानना
  5. लीवर रोग या विटामिन K की कमी की जाँच

aPTT टेस्ट के लक्षण (Symptoms of Clotting Disorders):

  1. बार-बार खून बहना (नाक, मसूड़े या पेशाब से)
  2. मामूली चोट में भी खून न रुकना
  3. त्वचा पर नीले, बैंगनी या काले धब्बे (bruises)
  4. अनियमित पीरियड्स या अत्यधिक रक्तस्राव
  5. जोड़ों में सूजन और दर्द (हीमोआर्थ्रोसिस)
  6. चोट लगने के बाद लंबे समय तक सूजन और खून बहना

निदान व इलाज (Diagnosis and Treatment):

  • यदि aPTT टेस्ट का समय सामान्य से अधिक है, तो यह किसी क्लॉटिंग फैक्टर की कमी, लीवर की समस्या, या एंटीकोएगुलेंट ओवरडोज़ का संकेत हो सकता है।
  • इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि असामान्यता का कारण क्या है:
    1. फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी
    1. विटामिन K सप्लीमेंट
    1. Heparin की डोज़ समायोजित करना
    1. लीवर का इलाज

सामान्य मान (Normal Range of aPTT):

  • सामान्यतः: 30 से 40 सेकंड
  • Heparin थेरेपी में: 60 से 80 सेकंड (Target range)
    (नोट: यह मान लैब और व्यक्ति की स्थिति के अनुसार थोड़ा अलग हो सकता है)

कैसे रोके (Prevention):

  1. खून पतला करने वाली दवाओं का सही और नियंत्रित उपयोग
  2. लिवर को स्वस्थ रखना
  3. विटामिन K युक्त आहार लेना
  4. बार-बार चोट या रक्तस्राव से बचना
  5. डॉक्टर से नियमित परामर्श और फॉलो-अप

घरेलू उपाय (Home Remedies):

  1. विटामिन K युक्त भोजन जैसे पालक, गोभी, ब्रोकोली आदि का संतुलित सेवन
  2. अधिक लहसुन, अदरक या हल्दी का सेवन न करें (ये खून पतला करते हैं)
  3. एल्कोहल और स्मोकिंग से बचाव
  4. फलों और सब्जियों का सेवन जो लिवर को मजबूत बनाते हैं (जैसे – बीटरूट, सेब)

सावधानियाँ (Precautions):

  1. Heparin या अन्य खून पतला करने वाली दवाएं डॉक्टर की सलाह से ही लें
  2. सर्जरी या डेंटल प्रोसीजर से पहले डॉक्टर को अपने क्लॉटिंग टेस्ट की जानकारी दें
  3. चोट से बचाव करें
  4. सप्लीमेंट या आयुर्वेदिक दवाएं बिना परामर्श के न लें
  5. यदि बार-बार ब्लीडिंग हो रही हो तो तुरन्त डॉक्टर से जांच करवाएं

कैसे पहचाने कि आपको aPTT टेस्ट की जरूरत है (How to Identify the Need for aPTT Test):

  1. यदि आपको या आपके परिवार में ब्लीडिंग डिसऑर्डर का इतिहास है
  2. यदि आप Heparin या अन्य एंटीकोएगुलेंट ले रहे हैं
  3. यदि आपको मामूली चोट में भी अधिक रक्तस्राव होता है
  4. अगर कोई बड़ी सर्जरी करवाई जानी हो
  5. बार-बार त्वचा पर bruises आ रहे हों

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

प्र1: क्या aPTT टेस्ट खाली पेट होता है?
उत्तर: नहीं, यह टेस्ट खाली पेट करवाना अनिवार्य नहीं है। लेकिन डॉक्टर की सलाह जरूर मानें।

प्र2: aPTT और PT/INR में क्या अंतर है?
उत्तर:

  • aPTT: Intrinsic और Common clotting pathways की जांच करता है।
  • PT/INR: Extrinsic और Common pathways की जांच करता है।

प्र3: क्या इस टेस्ट में दर्द होता है?
उत्तर: यह टेस्ट केवल ब्लड सैंपल के लिए होता है, और इसमें मामूली सुई चुभने जैसा दर्द हो सकता है।

प्र4: इस टेस्ट की लागत कितनी होती है?
उत्तर: भारत में aPTT टेस्ट की कीमत ₹400 से ₹800 तक हो सकती है (लैब पर निर्भर करता है)।

प्र5: क्या बार-बार aPTT टेस्ट करवाना जरूरी है?
उत्तर: यदि आप Heparin जैसी दवाएं ले रहे हैं, तो हां – नियमित निगरानी जरूरी है।

निष्कर्ष (Conclusion):

aPTT एक आवश्यक ब्लड टेस्ट है जो खून के थक्के बनने की गति को मापता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो खून पतला करने की दवा ले रहे हैं या जिन्हें ब्लीडिंग की समस्या है। यदि समय पर टेस्ट और उपचार किया जाए, तो गंभीर रक्तस्राव या थक्का बनने की जटिलताओं से बचा जा सकता है।


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