Khushveer Choudhary

Chromosome Microdeletion Test क्या है? कारण, लक्षण, प्रक्रिया, उपचार, सावधानियाँ और पूरी जानकारी

Chromosome Microdeletion Test एक विशेष प्रकार की जेनेटिक जांच (Genetic Test) है जो किसी व्यक्ति के DNA में बहुत ही छोटे स्तर की क्रोमोसोम की कमी (microdeletion) को पहचानने के लिए की जाती है। यह डिलीशन इतनी छोटी होती है कि सामान्य कैरियोटाइपिंग (Karyotyping) द्वारा दिखाई नहीं देती, इसलिए इसके लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है जैसे कि FISH (Fluorescence In Situ Hybridization), Array CGH (Comparative Genomic Hybridization) या MLPA (Multiplex Ligation-dependent Probe Amplification)

यह जांच उन मामलों में बहुत उपयोगी होती है जहाँ बच्चे में विकास की देरी, मानसिक विकलांगता, जन्म दोष, या अस्पष्ट लक्षण पाए जाते हैं।








Chromosome Microdeletion क्या होता है ? (What is Chromosome Microdeletion?)

Microdeletion का अर्थ होता है – क्रोमोसोम के किसी हिस्से का बहुत छोटा भाग ग़ायब होना, जिसे साधारण माइक्रोस्कोपिक जांच में नहीं देखा जा सकता। ये छोटे-छोटे हिस्से हजारों से लाखों DNA बेस पेयर में हो सकते हैं।

Microdeletion से संबंधित रोग किसी विशेष क्रोमोसोम क्षेत्र से जुड़ी जीन की हानि के कारण होते हैं, जिससे शारीरिक, मानसिक या व्यवहारिक समस्याएं हो सकती हैं।

Chromosome Microdeletion Test करवाने के कारण (Causes / Why the Test is Done):

  1. मानसिक विकास में देरी (Developmental delay)
  2. शारीरिक वृद्धि में कमी (Failure to thrive)
  3. जन्मजात दोष (Congenital anomalies)
  4. बार-बार गर्भपात का इतिहास
  5. अस्पष्ट न्यूरोलॉजिकल या व्यवहारिक लक्षण
  6. ज्ञात माइक्रोडिलीशन सिंड्रोम का संदेह (जैसे DiGeorge syndrome, Williams syndrome)
  7. IVF या गर्भावस्था में Prenatal Diagnosis

Chromosome Microdeletion के लक्षण (Symptoms of Chromosome Microdeletion Syndromes):

Microdeletion से जुड़े लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि कौन सा क्रोमोसोम भाग प्रभावित हुआ है। कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. मानसिक विकास में विलंब (Cognitive delay)
  2. शारीरिक विकास में समस्या (Physical growth delay)
  3. चेहरे की असामान्यता (Facial dysmorphism)
  4. दिल की जन्मजात बीमारियाँ (Congenital heart defects)
  5. मांसपेशियों की कमजोरी या हाइपटोनिया (Hypotonia)
  6. बोलने में देरी (Speech delay)
  7. सामाजिक व्यवहार में समस्या (Social or autistic features)
  8. दौरे (Seizures)

कैसे होता है टेस्ट (Procedure of Chromosome Microdeletion Test):

1. सैंपल लेना (Sample Collection):

  • खून का सैंपल (Blood)
  • भ्रूण से लिए गए अम्नियोटिक द्रव या Chorionic villus sampling (Prenatal testing)
  • Buccal swab (कभी-कभी)

2. टेस्ट की तकनीकें (Techniques used):

  • FISH (Fluorescence In Situ Hybridization): किसी विशेष जीन या क्रोमोसोम क्षेत्र को fluorescent probes से पहचानता है।
  • Array CGH (Comparative Genomic Hybridization): पूरे जीनोम का विश्लेषण करता है और माइक्रोडिलीशन/डुप्लिकेशन को खोजता है।
  • MLPA (Multiplex Ligation-dependent Probe Amplification): विशिष्ट जीन क्षेत्रों की संख्या में बदलाव को जांचता है।

3. रिपोर्टिंग और व्याख्या:

  • रिपोर्ट में यह बताया जाता है कि कौन सा क्षेत्र डिलीट है, उसका साइज कितना है, और संभावित लक्षण क्या हो सकते हैं।

Chromosome Microdeletion इलाज (Treatment):

Chromosome Microdeletion का कोई स्थायी इलाज नहीं होता, लेकिन निदान के बाद लक्षणों के अनुसार सहायक इलाज किया जा सकता है:

  1. स्पीच और ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Speech and occupational therapy)
  2. विशेष शिक्षा (Special education support)
  3. हार्मोन या सप्लीमेंट थेरपी (यदि ज़रूरत हो)
  4. शल्य चिकित्सा (Surgical correction of congenital defects)
  5. जेनेटिक परामर्श (Genetic counseling)

Chromosome Microdeletion कैसे रोके (Prevention):

Microdeletion एक आनुवांशिक परिवर्तन है जो अक्सर स्वतः होता है और इसे पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन:

  1. गर्भधारण से पहले जेनेटिक परामर्श लें (Preconception genetic counseling)
  2. फैमिली हिस्ट्री हो तो कैरियर स्क्रीनिंग करवाएं
  3. Prenatal Testing (जैसे NIPT या Chorionic villus sampling) करवाना
  4. IVF में PGD (Preimplantation Genetic Diagnosis) का उपयोग

घरेलू उपाय (Home Remedies):

Microdeletion की स्थिति में कोई घरेलू उपाय इसे ठीक नहीं कर सकता, लेकिन कुछ चीज़ें मददगार हो सकती हैं:

  1. पोषणयुक्त आहार देना
  2. मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ाने वाली गतिविधियों में बच्चे को शामिल करना
  3. नियमित व्यायाम
  4. परिवार का भावनात्मक समर्थन

सावधानियाँ (Precautions):

  1. यदि पहले गर्भ में कोई अनुवांशिक विकृति रही हो तो अगली गर्भावस्था में prenatal testing करवाएं।
  2. किसी भी मानसिक या शारीरिक विकास में देरी के संकेत को नज़रअंदाज न करें।
  3. डॉक्टर और जेनेटिक काउंसलर की सलाह के बिना रिपोर्ट की व्याख्या न करें।
  4. नवजात में असामान्य लक्षण होने पर जल्दी जाँच करवाएं।

कैसे पहचाने कि यह टेस्ट जरूरी है? (How to Identify if the Test is Needed):

  1. बच्चा अपेक्षित विकास स्तर नहीं छू रहा हो।
  2. चेहरे या शरीर में कोई असामान्यता दिखे।
  3. फैमिली में किसी को माइक्रोडिलीशन सिंड्रोम रहा हो।
  4. बार-बार गर्भपात या गर्भधारण की विफलता हो।
  5. अल्ट्रासाउंड में जन्म दोष का संकेत मिले।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):

प्रश्न 1: क्या यह टेस्ट किफायती है?
उत्तर: नहीं, यह टेस्ट थोड़ा महंगा होता है और ₹10000 से ₹30000 या उससे अधिक तक हो सकता है।

प्रश्न 2: क्या यह टेस्ट 100% सटीक होता है?
उत्तर: हाँ, ये आधुनिक तकनीक जैसे Array CGH द्वारा अत्यधिक सटीकता से किया जाता है।

प्रश्न 3: क्या इसका इलाज संभव है?
उत्तर: मूल आनुवांशिक दोष का इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित और प्रबंधित किया जा सकता है।

प्रश्न 4: क्या यह रोग वंशानुगत होता है?
उत्तर: कुछ मामलों में यह माता-पिता से आता है (inherited), लेकिन कई बार यह नया (de novo) परिवर्तन होता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

Chromosome Microdeletion Test आधुनिक जेनेटिक जांचों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह जांच उन बच्चों और व्यक्तियों के लिए जरूरी होती है जिनमें अस्पष्ट मानसिक, शारीरिक या व्यवहारिक समस्याएं देखी जाती हैं। समय पर यह जांच करवाना न केवल रोग की सही पहचान में मदद करता है, बल्कि परिवार को आगे की योजना बनाने में भी मार्गदर्शन देता है। यदि आपके बच्चे में कोई असामान्यता दिखे या आप गर्भधारण की योजना बना रहे हों, तो विशेषज्ञ की सलाह लेकर यह जांच जरूर करवाएं।


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