Coracoacromial Impingement Syndrome कारण, लक्षण, इलाज और सावधानियाँ

Coracoacromial Impingement Syndrome (कोराकोएक्रोमियल इम्पिंजमेंट सिंड्रोम) एक कंधे से जुड़ी स्थिति है जिसमें कोराकोएक्रोमियल आर्क (coracoacromial arch) के नीचे के टिशू – खासकर रोटेटर कफ टेंडन – पर दबाव पड़ता है। यह दबाव कंधे को उठाने या घुमाने के समय दर्द और गति में रुकावट उत्पन्न करता है। यह स्थिति सामान्यतः Shoulder Impingement Syndrome (शोल्डर इम्पिंजमेंट सिंड्रोम) के अंतर्गत आती है।









Coracoacromial Impingement Syndrome क्या होता है ? (What is Coracoacromial Impingement Syndrome?)

Coracoacromial Impingement Syndrome में, जब व्यक्ति कंधे को ऊपर उठाता है, तो ह्यूमरस हड्डी (humerus bone) और कोराकोएक्रोमियल लिगामेंट (coracoacromial ligament) के बीच की जगह कम हो जाती है, जिससे रोटेटर कफ पर दबाव पड़ता है। समय के साथ यह टिशू फट सकते हैं या उनमें सूजन (inflammation) आ सकती है।

Coracoacromial Impingement Syndrome के कारण (Causes):

  1. बार-बार कंधे का उपयोग (Repetitive overhead activity)
  2. गलत मुद्रा (Poor posture)
  3. कंधे की हड्डी में असामान्य आकार या हड्डी का उभार (Bone spurs)
  4. रोटेटर कफ में सूजन या चोट (Rotator cuff inflammation or tear)
  5. एजिंग के कारण टिशू में गिरावट (Degenerative changes with aging)
  6. शोल्डर का फ्रोज़न होना (Frozen shoulder)

Coracoacromial Impingement Syndrome के लक्षण (Symptoms of Coracoacromial Impingement Syndrome):

  1. कंधे में तेज़ या मद्धम दर्द
  2. हाथ ऊपर उठाने में कठिनाई
  3. कंधे के ऊपरी हिस्से में जकड़न
  4. सोते समय कंधे में असहजता या दर्द
  5. कंधे की गति सीमित होना
  6. गतिविधि के दौरान दर्द बढ़ना
  7. हाथ को पीछे ले जाने में तकलीफ

Coracoacromial Impingement Syndrome की पहचान कैसे करें (Diagnosis):

  1. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination): डॉक्टर कंधे की गति और दर्द की सीमा की जांच करते हैं।
  2. X-ray: हड्डी के उभार या स्पर देखने के लिए।
  3. MRI: टिशू डैमेज और रोटेटर कफ की स्थिति जानने के लिए।
  4. Ultrasound: टेंडन में सूजन या आंसू का पता लगाने के लिए।

Coracoacromial Impingement Syndrome का इलाज (Treatment):

  1. आराम (Rest): कंधे की गतिविधि कम करना।
  2. बर्फ की सिकाई (Ice packs): सूजन और दर्द को कम करने हेतु।
  3. दवाएं (Medications):
    1. Nonsteroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDs) जैसे आइबुप्रोफेन
  4. फिजियोथेरेपी (Physiotherapy):
    1. कंधे की स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज
  5. स्टेरॉयड इंजेक्शन (Steroid Injections): सूजन कम करने के लिए।
  6. सर्जरी (Surgery):
    1. Subacromial decompression या acromioplasty तब की जाती है जब अन्य उपाय विफल हो जाएं।

Coracoacromial Impingement Syndrome से कैसे बचें (Prevention):

  1. कंधे के अधिक उपयोग से बचें
  2. सही शारीरिक मुद्रा अपनाएं
  3. भारी वजन उठाते समय सावधानी
  4. नियमित एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग
  5. किसी भी कंधे दर्द की शुरुआत में ही इलाज कराएं

Coracoacromial Impingement Syndrome के घरेलू उपाय (Home Remedies):

  1. बर्फ की थैली से दिन में 2-3 बार कंधे पर सिकाई
  2. हल्की स्ट्रेचिंग (डॉक्टर की सलाह अनुसार)
  3. हल्दी वाला दूध – सूजन कम करने के लिए
  4. अदरक की चाय – एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए
  5. गर्म पानी से स्नान – मांसपेशियों को आराम देने के लिए

Coracoacromial Impingement Syndrome में सावधानियाँ (Precautions):

  1. दर्द के बावजूद कंधे को बार-बार न घुमाएं
  2. बिना सलाह के फिजिकल एक्टिविटी न बढ़ाएं
  3. लक्षण बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
  4. फिजियोथेरेपी में बताई गई एक्सरसाइज ही करें
  5. भारी बैग या कंधे पर वजन उठाने से परहेज़ करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Coracoacromial Impingement Syndrome):

प्रश्न 1: क्या यह स्थिति स्थायी होती है?
उत्तर: नहीं, समय पर इलाज और एक्सरसाइज से यह पूरी तरह ठीक हो सकती है।

प्रश्न 2: क्या सर्जरी की जरूरत हमेशा पड़ती है?
उत्तर: नहीं, अधिकतर मामलों में फिजियोथेरेपी और दवाओं से सुधार हो जाता है। सर्जरी केवल तब होती है जब अन्य उपाय असफल हो जाएं।

प्रश्न 3: क्या यह उम्र से जुड़ी समस्या है?
उत्तर: यह किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन वृद्ध लोगों में अधिक आम है।

प्रश्न 4: क्या इस समस्या के साथ व्यायाम करना सुरक्षित है?
उत्तर: हां, लेकिन केवल फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा सुझाए गए व्यायाम करने चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):

Coracoacromial Impingement Syndrome (कोराकोएक्रोमियल इम्पिंजमेंट सिंड्रोम) एक दर्दनाक लेकिन उपचार योग्य कंधे की स्थिति है। यदि सही समय पर लक्षणों को पहचाना जाए और उचित फिजियोथेरेपी, आराम तथा उपचार किया जाए, तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। सावधानी, जागरूकता और चिकित्सकीय मार्गदर्शन से मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।


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