Deaf-Mutism : कारण, लक्षण, उपचार और सावधानियाँ

Deaf-mutism जिसे हिंदी में बहरापन और मूकता कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति जन्म से या बाद में श्रवण शक्ति (hearing ability) और बोलने की क्षमता (speech ability) दोनों से वंचित होता है। यह स्थिति आमतौर पर बचपन में ही पहचान में आ जाती है और इसका गहरा प्रभाव व्यक्ति के सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक विकास पर पड़ता है।

Deaf-Mutism क्या होता है ? (What is Deaf-Mutism?):

Deaf-mutism एक दोहरी विकलांगता है जिसमें व्यक्ति न सुन सकता है और न ही बोल सकता है। यह मुख्यतः सुनने में समस्या होने के कारण होता है क्योंकि भाषा की समझ और बोलने की क्षमता सुनने से ही विकसित होती है। अगर बच्चा बचपन से ही बहरा हो, तो वह बोलना भी नहीं सीख पाता।

Deaf-Mutism कारण (Causes of Deaf-Mutism):

  1. जन्मजात कारण (Congenital causes)

    1. माता के गर्भावस्था में संक्रमण (जैसे रूबेला)
    1. जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी
    1. अनुवांशिक दोष (Genetic defects)
    1. समय से पूर्व जन्म (Premature birth)
  2. उपार्जित कारण (Acquired causes)

    1. मेनिनजाइटिस (Meningitis)
    1. सिर में चोट
    1. अत्यधिक शोर में लंबे समय तक रहना
    1. कान में संक्रमण या चोट

Deaf-Mutism के लक्षण (Symptoms of Deaf-Mutism):

  1. जन्म के बाद ध्वनि पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना
  2. किसी भी प्रकार की आवाज पर सिर न घुमाना
  3. आवाज निकालने या बोलने की कोई कोशिश न करना
  4. देर से बोलना सीखना
  5. आंखों के इशारों और होठों की हरकतों पर अधिक ध्यान देना
  6. दूसरों से संवाद करने में कठिनाई

कैसे पहचाने (Diagnosis of Deaf-Mutism):

  1. Newborn Hearing Screening Test
  2. Audiometry Test (श्रवण परीक्षण)
  3. Brainstem Auditory Evoked Response (BAER)
  4. Speech and Language Evaluation
  5. CT Scan या MRI (अगर कान की संरचना में कोई दोष हो)

Deaf-Mutism इलाज (Treatment of Deaf-Mutism):

  1. हियरिंग एड्स (Hearing Aids) – हल्के या मध्यम बहरापन के लिए
  2. कोक्लियर इंप्लांट (Cochlear Implant) – गहरे या पूर्ण बहरापन में
  3. स्पीच थेरेपी (Speech Therapy)
  4. साइन लैंग्वेज ट्रेनिंग (Sign Language Training)
  5. स्पेशल एजुकेशन और काउंसलिंग
  6. ऑडियो-विजुअल कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी

Deaf-Mutism कैसे रोके (Prevention):

  1. गर्भावस्था के दौरान संक्रमण से बचाव
  2. नवजात शिशु की समय पर जांच और टीकाकरण
  3. कान की किसी भी बीमारी का त्वरित इलाज
  4. जन्म के तुरंत बाद सुनने की जांच
  5. हानिकारक दवाओं और ऑक्सीजन की कमी से बचाव

घरेलू उपाय (Home Remedies):

Deaf-mutism का इलाज घरेलू उपायों से नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ सहयोगात्मक गतिविधियाँ सहायक हो सकती हैं:

  1. बच्चे के साथ लगातार आंखों से संपर्क बनाए रखें
  2. हाथों के इशारों और चेहरे के हावभाव का प्रयोग करें
  3. संगीत और थरथराहट (vibration) से बच्चा प्रतिक्रिया दे सकता है
  4. बच्चे को दृश्य और स्पर्श आधारित लर्निंग दें

सावधानियाँ (Precautions):

  1. तेज़ आवाजों के संपर्क से बचें
  2. कान में कोई नुकीली वस्तु न डालें
  3. नवजात की सुनने की क्षमता की जाँच समय पर कराएं
  4. कान का संक्रमण होने पर देरी न करें
  5. टीकाकरण समय पर कराएं (विशेष रूप से रूबेला, मंप्स, खसरा)

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

Q1. क्या Deaf-mutism पूरी तरह से ठीक हो सकता है?
A: यदि स्थिति जन्मजात नहीं है और समय पर पहचानी जाए तो सुनने और बोलने की क्षमता को आंशिक रूप से बहाल किया जा सकता है।

Q2. क्या साइन लैंग्वेज सीखना जरूरी है?
A: हां, संचार के लिए साइन लैंग्वेज बहुत जरूरी है, खासकर तब जब सुनने और बोलने की क्षमता नहीं हो।

Q3. क्या कोक्लियर इंप्लांट सभी को दिया जा सकता है?
A: नहीं, यह हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होता। डॉक्टर द्वारा परीक्षण के बाद ही निर्णय लिया जाता है।

Q4. Deaf-mutism से ग्रसित बच्चे सामान्य स्कूल में पढ़ सकते हैं?
A: यदि सही सहायता और शिक्षण मिले तो वे सामान्य स्कूल में भी पढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion):

Deaf-mutism यानी बहरापन और मूकता एक गंभीर स्थिति है लेकिन आधुनिक चिकित्सा पद्धति और सही देखभाल से इसका बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। जल्दी पहचान और उचित इलाज से प्रभावित बच्चों को सामान्य जीवन जीने में सहायता मिल सकती है। समाज में जागरूकता और सहयोग ही इनके लिए सबसे बड़ा सहारा है।


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