Khushveer Choudhary

Preimplantation Genetic Diagnosis क्या है: एक आधुनिक गर्भधारण पूर्व आनुवांशिक परीक्षण प्रक्रिया

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (Preimplantation Genetic Diagnosis - PGD) एक आधुनिक जांच प्रक्रिया है जो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के दौरान भ्रूण में आनुवंशिक गड़बड़ियों की पहचान के लिए की जाती है। यह तकनीक उन दंपत्तियों के लिए उपयोगी है जिन्हें आनुवंशिक बीमारियों का पारिवारिक इतिहास होता है।









प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस क्या होता है ?(What is Preimplantation Genetic Diagnosis )

PGD एक लैब टेस्ट है जो भ्रूण (Embryo) के कोशिकीय स्तर पर जेनेटिक दोषों का विश्लेषण करता है, ताकि स्वस्थ भ्रूण को गर्भाशय (Uterus) में प्रत्यारोपित किया जा सके। इससे गंभीर अनुवांशिक बीमारियों को जन्म से पहले ही रोका जा सकता है।

Preimplantation Genetic Diagnosis कारण (Causes/Why PGD is Done):

  1. आनुवंशिक रोगों का पारिवारिक इतिहास
  2. थैलेसीमिया (Thalassemia), सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis), हंटिंग्टन डिजीज (Huntington’s Disease) जैसी बीमारियों से बचाव
  3. बार-बार गर्भपात होना
  4. उन्नत आयु में गर्भधारण
  5. किसी जेनेटिक बीमारी से ग्रसित संतान पहले से होना

Preimplantation Genetic Diagnosis  के लक्षण (Symptoms of Genetic Disorders for PGD Consideration):

PGD लक्षणों पर आधारित नहीं होता, बल्कि इन परिस्थितियों में यह जांच की जाती है:

  • पूर्व गर्भपात या विकृत भ्रूण
  • परिवार में अनुवांशिक बीमारियां
  • क्रोमोसोमल असामान्यता का इतिहास
  • माता-पिता में किसी आनुवंशिक दोष की पुष्टि

जांच प्रक्रिया (Testing Process):

  1. महिला से अंडाणु और पुरुष से शुक्राणु लेकर IVF किया जाता है।
  2. भ्रूण बनने के 3 से 5 दिन बाद उससे एक या दो कोशिकाएं निकाली जाती हैं।
  3. इन कोशिकाओं पर जेनेटिक विश्लेषण (Genetic Analysis) किया जाता है।
  4. जो भ्रूण स्वस्थ और दोष रहित होते हैं, उन्हें गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है।

Preimplantation Genetic Diagnosis  इलाज/उपयोग (Use/Treatment via PGD):

PGD का मुख्य उद्देश्य बीमारियों से ग्रसित भ्रूण को गर्भ में प्रत्यारोपण से पहले ही पहचान कर चयन करना है। यह इलाज नहीं, बल्कि रोकथाम है।

Preimplantation Genetic Diagnosis  इसे कैसे रोके (How to Prevent Genetic Disorders via PGD):

  • PGD उन दंपत्तियों के लिए एक उपाय है जो अनुवांशिक बीमारियों से अगली पीढ़ी को बचाना चाहते हैं।
  • यह जांच अनुवांशिक बीमारी के होने की संभावना को काफी हद तक कम कर देती है।

घरेलू उपाय (Home Remedies):

PGD एक लेबोरेटरी आधारित प्रोसेस है, इसका कोई घरेलू उपाय नहीं है। लेकिन, गर्भधारण से पहले जेनेटिक काउंसलिंग कराना एक बुद्धिमानी भरा निर्णय हो सकता है।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. किसी प्रमाणित IVF सेंटर का ही चयन करें।
  2. जेनेटिक काउंसलर और विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें।
  3. रिपोर्ट का सही विश्लेषण कर समझदारी से निर्णय लें।
  4. PGD का निर्णय भावनात्मक रूप से सोच-समझ कर करें।

Preimplantation Genetic Diagnosis  कैसे पहचाने (How to Identify the Need for PGD):

  • अगर दंपत्ति में से किसी को आनुवंशिक रोग हो
  • IVF के कई प्रयास विफल हुए हों
  • परिवार में क्रोमोसोमल बीमारियों का इतिहास हो

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):

Q1. क्या PGD 100% सफल है?
A1. नहीं, इसकी सफलता भ्रूण की गुणवत्ता, लैब टेक्नोलॉजी और महिला की आयु पर निर्भर करती है।

Q2. क्या PGD से संतान की लिंग पहचान की जाती है?
A2. भारत में लिंग पहचान प्रतिबंधित है। PGD का प्रयोग केवल बीमारियों की जांच के लिए होना चाहिए।

Q3. PGD का खर्च कितना होता है?
A3. यह भारत में लगभग ₹1.5 लाख से ₹3 लाख के बीच हो सकता है, IVF खर्च अलग होता है।

Q4. क्या PGD सुरक्षित है?
A4. हाँ, यह सुरक्षित प्रक्रिया मानी जाती है, पर इसमें थोड़े जोखिम और असफलता की संभावना होती है।

निष्कर्ष (Conclusion):

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (PGD) एक अत्याधुनिक तकनीक है जो दंपत्तियों को एक स्वस्थ संतान की प्राप्ति में मदद करती है। यदि परिवार में कोई आनुवंशिक बीमारी है, तो PGD का विकल्प जरूर विचार करना चाहिए। यह न केवल बच्चे के भविष्य को सुरक्षित बनाता है, बल्कि माता-पिता की मानसिक शांति को भी सुनिश्चित करता है।


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