Aspergillosis– कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम

एस्परगिलोसिस (Aspergillosis) एक प्रकार का फंगल (Fungal) संक्रमण है, जो Aspergillus नामक फंगस के कारण होता है। यह फंगस प्राकृतिक रूप से मिट्टी, पौधों, धूल और सड़ी-गली वस्तुओं में पाया जाता है। ज्यादातर लोग इसके संपर्क में आने के बाद भी बीमार नहीं होते, लेकिन जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) कमजोर होती है, उनमें यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है।









एस्परगिलोसिस क्या होता है  (What is Aspergillosis)

एस्परगिलोसिस एक फंगल संक्रमण है जो मुख्य रूप से फेफड़ों (Lungs) को प्रभावित करता है, लेकिन गंभीर स्थिति में यह अन्य अंगों जैसे कि साइनस (Sinus), दिमाग (Brain), त्वचा (Skin) और हड्डियों (Bones) तक फैल सकता है। इसके कई प्रकार होते हैं, जैसे:

  1. एलर्जिक ब्रोंकोपल्मोनरी एस्परगिलोसिस (ABPA) – यह अस्थमा (Asthma) या सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis) वाले मरीजों में होता है।
  2. क्रोनिक पल्मोनरी एस्परगिलोसिस (Chronic Pulmonary Aspergillosis) – लंबे समय तक फेफड़ों में संक्रमण।
  3. इनवेसिव एस्परगिलोसिस (Invasive Aspergillosis) – कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीजों में, संक्रमण पूरे शरीर में फैल जाता है।

एस्परगिलोसिस के कारण (Causes of Aspergillosis)

  • Aspergillus fumigatus या अन्य Aspergillus प्रजातियों के स्पोर्स (Spores) का सांस के जरिए शरीर में प्रवेश।
  • धूल, मिट्टी, खाद, या सड़ी-गली वनस्पतियों का संपर्क।
  • अस्पताल या निर्माण स्थलों की दूषित हवा।
  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (HIV/AIDS, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण)।
  • लंबे समय तक स्टेरॉयड या इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का उपयोग।

एस्परगिलोसिस के लक्षण (Symptoms of Aspergillosis)

1. एलर्जिक ब्रोंकोपल्मोनरी एस्परगिलोसिस (ABPA):

  • खांसी के साथ बलगम
  • सांस लेने में तकलीफ
  • घरघराहट (Wheezing)
  • बुखार

2. क्रोनिक पल्मोनरी एस्परगिलोसिस:

  • लगातार खांसी
  • बलगम में खून
  • वजन कम होना
  • थकान

3. इनवेसिव एस्परगिलोसिस:

  • तेज बुखार
  • सीने में दर्द
  • सांस लेने में कठिनाई
  • रक्त में संक्रमण के लक्षण
  • मस्तिष्क या अन्य अंगों में संक्रमण के लक्षण (सिरदर्द, भ्रम, दौरे)

एस्परगिलोसिस का इलाज (Treatment of Aspergillosis)

  • एंटीफंगल दवाएं – वोरिकोनाजोल (Voriconazole), इट्राकोनाजोल (Itraconazole), पॉसाकोनाजोल (Posaconazole)
  • इंट्रावीनस (IV) दवाएं – गंभीर मामलों में एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B)
  • सर्जरी – फेफड़ों में फंगल बॉल (Aspergilloma) को हटाने के लिए
  • स्टेरॉयड थेरेपी – एलर्जिक मामलों में सूजन कम करने के लिए
  • इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए अतिरिक्त देखभाल

एस्परगिलोसिस से बचाव (Prevention of Aspergillosis)

  • धूल, मिट्टी, और कंपोस्ट के सीधे संपर्क से बचें
  • मास्क (N95) पहनें, खासकर निर्माण स्थल या गार्डनिंग करते समय
  • घर और अस्पताल में एयर फिल्टर का उपयोग करें
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखें
  • इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का सावधानी से उपयोग करें

घरेलू उपाय (Home Remedies for Aspergillosis)

ध्यान दें: घरेलू उपाय केवल लक्षणों में राहत के लिए हैं, यह इलाज का विकल्प नहीं है।

  • भाप लेना (Steam Inhalation) – बलगम साफ करने में मदद
  • हल्दी वाला दूध – सूजन कम करने में सहायक
  • अदरक और शहद – खांसी में राहत
  • विटामिन C और जिंक युक्त भोजन – इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए
  • पर्याप्त पानी पीना – शरीर को हाइड्रेट रखना

सावधानियाँ (Precautions)

  • इम्यून सिस्टम कमजोर हो तो धूल और फंगस वाले क्षेत्रों में न जाएं
  • अपने डॉक्टर द्वारा बताए गए एंटीफंगल कोर्स को पूरा करें
  • बलगम में खून दिखे तो तुरंत जांच करवाएं
  • पुराने फेफड़ों के रोगों में नियमित चेकअप करवाएं

एस्परगिलोसिस की पहचान (Diagnosis of Aspergillosis)

  • सीटी स्कैन (CT Scan) या एक्स-रे (X-ray)
  • खून और बलगम की जांच
  • गैलैक्टोमैनन (Galactomannan) टेस्ट
  • बायोप्सी (Biopsy)
  • एलर्जी टेस्ट (IgE level)

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या एस्परगिलोसिस संक्रामक है?
नहीं, यह व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता।

Q2. क्या यह पूरी तरह ठीक हो सकता है?
हाँ, समय पर इलाज और सही दवाओं से ठीक हो सकता है, लेकिन कमजोर इम्यून सिस्टम में यह दोबारा हो सकता है।

Q3. क्या यह केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है?
नहीं, गंभीर मामलों में यह मस्तिष्क, त्वचा और अन्य अंगों में भी फैल सकता है।

Q4. इसका इलाज कितने समय तक चलता है?
हल्के मामलों में कुछ हफ्ते, जबकि गंभीर मामलों में कई महीनों तक इलाज चल सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

एस्परगिलोसिस (Aspergillosis) एक गंभीर फंगल संक्रमण है, जो खासकर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में खतरा बढ़ा सकता है। इसकी रोकथाम के लिए स्वच्छता, धूल और फंगस से बचाव, और समय पर इलाज जरूरी है। शुरुआती पहचान और एंटीफंगल थेरेपी से अधिकांश मरीज स्वस्थ हो सकते हैं।


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