ड्रग-प्रेरित साइकोसिस (Drug-Induced Psychosis) एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति भ्रम (delusions), मतिभ्रम (hallucinations) और वास्तविकता से कटाव का अनुभव करता है, और इसका मुख्य कारण किसी दवा या मादक पदार्थ (substance) का सेवन होता है। यह एक अस्थायी लेकिन गंभीर स्थिति हो सकती है जिसे सही समय पर पहचान कर इलाज की आवश्यकता होती है।
ड्रग-प्रेरित साइकोसिस क्या होता है ? (What is Drug-Induced Psychosis?):
यह एक प्रकार की मानसिक गड़बड़ी है जिसमें मस्तिष्क पर ड्रग्स का ऐसा प्रभाव पड़ता है कि व्यक्ति असामान्य सोचने, देखने, सुनने या महसूस करने लगता है। यह स्थिति विशेष रूप से उन दवाओं या नशीले पदार्थों के सेवन के कारण होती है जो न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को असंतुलित करती हैं।
ड्रग-प्रेरित साइकोसिस इसके कारण (Causes of Drug-Induced Psychosis):
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नशीले पदार्थों का सेवन (Substance abuse):
- कोकीन (Cocaine)
- मेथामफेटामीन (Methamphetamine)
- एलएसडी (LSD)
- हशीश या गांजा (Cannabis)
- एमडीएमए (MDMA)
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दवाएं (Medications):
- स्टेरॉइड्स (Steroids – जैसे prednisone)
- एंटीपार्किंसन ड्रग्स (Levodopa)
- एन्टीकोलिनर्जिक ड्रग्स (Anticholinergics)
- एंटीमलेरियल ड्रग्स (Chloroquine)
- ओपिओइड्स (Opioids)
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दवाओं का अत्यधिक या गलत प्रयोग (Overdose or misuse of medications)
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विच्छिति (Withdrawal) – किसी ड्रग या शराब को अचानक बंद करना
ड्रग-प्रेरित साइकोसिस के लक्षण (Symptoms of Drug-Induced Psychosis):
- मतिभ्रम (Hallucinations) – चीजें देखना, सुनना या महसूस करना जो वास्तव में नहीं हैं
- भ्रम (Delusions) – असत्य विचार, जैसे कोई पीछा कर रहा है
- असंगत व्यवहार (Disorganized behavior)
- बोलने में असमर्थता या असंबंधित बातें बोलना
- अत्यधिक संदेह या शंका (Paranoia)
- अचानक गुस्सा आना या चिड़चिड़ापन
- नींद की कमी या अनिद्रा
- आत्महत्या या दूसरों को नुकसान पहुंचाने के विचार
ड्रग-प्रेरित साइकोसिस कैसे पहचानें (How to Identify Drug-Induced Psychosis):
- लक्षण ड्रग के सेवन के तुरंत बाद या कुछ घंटों/दिनों में शुरू होते हैं
- व्यक्ति सामान्य व्यवहार से हटकर अत्यधिक विचलित या हिंसक हो सकता है
- रोगी को अपने व्यवहार का बोध नहीं होता
- कोई मानसिक रोग का इतिहास नहीं होते हुए भी लक्षण दिखना
निदान (Diagnosis):
- चिकित्सा और दवा इतिहास (Detailed medical and drug history)
- मनोवैज्ञानिक परीक्षण (Psychiatric evaluation)
- रक्त और मूत्र जांच (Toxicology tests)
- मस्तिष्क स्कैन (Brain imaging) – MRI या CT scan अन्य कारणों को排除 करने के लिए
ड्रग-प्रेरित साइकोसिस इलाज (Treatment of Drug-Induced Psychosis):
- कारक ड्रग का सेवन बंद करना (Discontinuation of the offending drug)
- एंटीसाइकोटिक दवाएं (Antipsychotic medications) – जैसे risperidone, olanzapine
- मानसिक चिकित्सा (Psychotherapy/Counseling)
- नशा मुक्ति कार्यक्रम (De-addiction therapy)
- निगरानी और देखभाल (Hospital observation in severe cases)
ड्रग-प्रेरित साइकोसिस कैसे रोके (Prevention):
- नशीले पदार्थों से दूर रहें
- किसी भी दवा को डॉक्टर की सलाह के बिना न लें
- मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें
- यदि किसी दवा से पहले लक्षण दिख चुके हों तो आगे उस दवा से परहेज करें
- डबल डोज या ओवरडोज से बचें
घरेलू उपाय (Home Remedies):
ध्यान दें: ड्रग-प्रेरित साइकोसिस एक आपातकालीन स्थिति हो सकती है और घरेलू उपाय केवल पूरक रूप में उपयोग किए जाने चाहिए।
- भरपूर नींद और विश्राम
- कैफीन और एल्कोहल से परहेज
- मन को शांत रखने के लिए ध्यान और योग
- पौष्टिक आहार जैसे फल, सब्जियां, ओमेगा-3 युक्त भोजन
- किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बातचीत और भावनाओं को साझा करना
सावधानियाँ (Precautions):
- लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- रोगी को अकेला न छोड़ें
- परिवारजन नशा करने की आदत पर निगरानी रखें
- मेडिकल हिस्ट्री साझा करते समय ईमानदारी बरतें
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का पूरा कोर्स करें
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):
प्र.1: क्या ड्रग-प्रेरित साइकोसिस ठीक हो सकता है?
हाँ, यदि समय पर पहचान हो और सही इलाज मिले तो यह पूरी तरह ठीक हो सकता है।
प्र.2: क्या यह मानसिक रोग का संकेत है?
यह अपने आप में मानसिक रोग नहीं है, लेकिन यदि इलाज न किया जाए तो यह दीर्घकालिक मानसिक समस्याएं पैदा कर सकता है।
प्र.3: क्या यह दोबारा हो सकता है?
हाँ, यदि वही ड्रग या नशीला पदार्थ दोबारा लिया गया तो लक्षण फिर से उभर सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
ड्रग-प्रेरित साइकोसिस एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य स्थिति है। इसका मुख्य कारण दवा या नशीले पदार्थों का दुरुपयोग है। समय रहते पहचान और चिकित्सकीय मदद से व्यक्ति की मानसिक स्थिति को सामान्य किया जा सकता है। समाज, परिवार और स्वयं व्यक्ति को जागरूक रहना अत्यंत आवश्यक है।